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देवघर जिले के शैक्षणिक हाल व उपलब्धियों के लिए याद किया जायेगा वर्ष 2023

एसकेएमयू प्रशासन के अथक प्रयास के बाद भी शैक्षणिक सत्र करीब छह माह विलंब से चल रहा है. यूजी कोर्स की परीक्षा देने के बाद भी परीक्षार्थियों को पांच से छह माह तक रिजल्ट का इंतजार करना पड़ा.

देवघर में प्राइमरी शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा (माध्यमिक व उच्चतर माध्यमिक) व उच्चतर शिक्षा की उपलब्धियों के लिए साल 2023 को याद किया जायेगा. साल 2023 में आंकड़ों पर गौर करें तो जिले के सरकारी हाईस्कूलों में 121 शिक्षकों की नियुक्ति अभी तक हुई है. इसमें साइंस, कॉमर्स के अलावा हिंदी, अंगरेजी, उर्दू, होम साइंस विषय के शिक्षक शामिल हैं. 29 दिसंबर को रांची में दो नवचयनित शिक्षकों को मुख्यमंत्री के द्वारा नियुक्ति पत्र देने का कार्यक्रम संभावित है. जिले में सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस का दर्जा आर मित्रा प्लस टू स्कूल, मातृ मंदिर बालिका प्लस टू स्कूल व कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय, देवघर को दिया गया है. जिले के विभिन्न प्रखंडों के 13 हाइस्कूलों को आदर्श विद्यालय का दर्जा दिया गया है. एक दशक से ज्यादा समय से लंबित वर्ष 2010 में नियुक्त 76 शिक्षकों की सेवा संपुष्टि की गयी. वर्ष 2015 में नियुक्त सरकारी हाइस्कूलों के 70 शिक्षकों की सेवा संपुष्टि का काम प्रक्रियाधीन है. इस वर्ष सरकारी स्कूलों से बच्चों का ड्रॉप आउट को रोकना बड़ी चुनौती रही. मैन पावर के अभाव में अंगीभूत व संबद्ध कॉलेजों में नियमित वर्ग कक्ष का संचालन एवं नियत समय पर परीक्षा व परिणाम जारी करना भी अग्नि परीक्षा से कम नहीं रहा.

सरकारी स्कूलों से बच्चों के ड्रॉप आउट को रोकना बड़ी चुनौती

एसकेएमयू प्रशासन के अथक प्रयास के बाद भी शैक्षणिक सत्र करीब छह माह विलंब से चल रहा है. यूजी कोर्स की परीक्षा देने के बाद भी परीक्षार्थियों को पांच से छह माह तक रिजल्ट का इंतजार करना पड़ा. वर्तमान में देवघर के विभिन्न कॉलेजों में मैन पावर की 50 फीसदी से ज्यादा की कमी है. इस वर्ष एनसीटीइ के निर्धारित पारा मीटर को पूरा नहीं करने के कारण एएस कॉलेज स्थित बीएड कॉलेज की मान्यता पर संकट गहरा गया है. हालांकि विश्वविद्यालय प्रशासन के द्वारा दावा किया जा रहा है कि बीएड कॉलेज में व्याप्त मैन पावर की कमी, वेतनमान में संशोधन, आग से बचाव से संबंधित सुरक्षा आदि मानक को पूरा कर दिया जायेगा. नयी शिक्षा नीति के तहत वर्ष 2024 तक सिलेबस के अनुसार पाठ्यक्रम तैयार करना है. अप्रैल 2025 तक इसे शत-प्रतिशत लागू किया जायेगा. नयी शिक्षा नीति में 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई को स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग में शामिल किया गया है, लेकिन विडंबना है कि शिक्षकों व प्राध्यापकों की कमी के कारण शिक्षा व इसकी नीति को सही तरीके से धरातल पर नहीं उतारा जा रहा है. बालिका शिक्षा के लिए जिले में 10 कस्तूरबा विद्यालय व झारखंड बालिका आवासीय विद्यालय का संचालन में किया जा रहा है, लेकिन स्कूल नहीं जाने वाली लड़कियों की दर में गिरावट भी आयी है. हालांकि जिले में शिक्षा का स्तर सुधारने और लोगों को साक्षर बनाने के प्रयास भी लगातार होता रहा है.

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