24.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

युवाओं को फांस रही है डार्क वेब की अंधेरी दुनिया

महाराष्ट्र, खासकर मुंबई, में डार्क वेब का इस्तेमाल देश में सबसे ज्यादा होता है. अमूमन इस के जरिये अवैध हथियारों की खरीद-फरोख्त, वेश्यावृत्ति के धंधे और नशीले पदार्थों की तस्करी की बात पुलिस की जानकारी में भी आ चुकी है.

मुंबई फिल्म जगत में एक समय ऐसा भी रहा है, जब नयी फिल्मों के वीडियो कैसेट रिलीज के दिन ही बाजार में आधिकारिक रूप से आ जाते थे. वीडियो लाइब्रेरी वाले उसी रात दर्जनों अवैध कॉपियां तैयार कर लेते थे. अब डिजिटल का जमाना है. फिल्म निर्माता जैसे ही अपनी फिल्म को लड़खड़ाते देखते हैं, तो एक खबर चुपके से फैला देते हैं कि उनकी पिक्चर ऑनलाइन लीक हो गयी है. वैसे तो हर नयी फिल्म रिलीज के दो-तीन दिन के भीतर मुंबई की लोकल ट्रेन स्टेशनों के बाहर बने खोखों पर मिल ही जाती है. मामला पुलिस तक पहुंच भी नहीं पाता और पायरेसी का धंधा चलता रहता है.

बीते कई महीनों से एक नया पैटर्न मुंबई पुलिस नोट कर रही है और वह है शहर में होने वाली नशीले पदार्थों की सौदेबाजी का व्हाट्सएप, टेलीग्राम, बॉटिम और फेसबुक जैसे मैसेंजरों से करीब करीब गायब हो जाना. शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान की गिरफ्तारी और उनके साथ हिरासत में लिये गये दूसरे युवकों की व्हाट्सएप चैट के डिलीट किये जाने के बावजूद फिर से हासिल कर लेने के बाद हुआ यह है कि मुंबई के अधिकतर युवाओं ने अपनी बातचीत इंटरनेट की एक ऐसी दुनिया में स्थानांतरित कर ली है, जिसका आम लोगों को अभी पता तक नहीं है. और, खास बात यह है कि इंटरनेट की इस अंधेरी दुनिया पर फिलहाल देश में कोई रोक-टोक भी नहीं है. आम बोलचाल की भाषा में इसे डार्क वेब कहते हैं, जो देश के युवाओं में तेजी से अपना जाल फैला रहा है. मामला फिल्मों से ज्यादा तकनीक से जुड़ा है. यहां इंटरनेट सर्फिंग करने पर कोई आइपी एड्रेस (इंटरनेट प्रोटोकॉल पता) इस्तेमाल करने वालों के कंप्यूटर पर दर्ज नहीं रह पाता है और न ही कंप्यूटर की सर्फिंग हिस्ट्री से ही इसका पता लगाया जा सकता है. यह अपने आप वीपीएन (वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क) पैदा करता रहता है. अगर दिल्ली में बैठे डार्क वेब यूजर को अगर पुलिस ट्रेस करना चाहे, तो उसका आइपी पता लंदन या डेनमार्क का भी निकल सकता है. यह खतरनाक सिलसिला देहात तक भी पहुंच रहा है.

फिल्मों की पायरेसी की तफ्तीश करने के दौरान आइबी को इस डार्क वेब के बारे में कुछ चौंकाने वाली जानकारियां भी मिलीं. अन्य एजेंसियां भी अपने स्तर पर इसे खंगालने के लिए तकनीकी विशेषज्ञों की मदद ले रही हैं. महाराष्ट्र, खासकर मुंबई, में डार्क वेब का इस्तेमाल देश में सबसे ज्यादा होता है. अमूमन इस के जरिये अवैध हथियारों की खरीद-फरोख्त, वेश्यावृत्ति के धंधे और नशीले पदार्थों की तस्करी की बात पुलिस की जानकारी में भी आ चुकी है. सबसे सनसनीखेज जानकारी जो यहां के कुछ यूजर्स से जो मिली, वह यह है कि अवैध हथियारों की अब होम डिलीवरी भी होने लगी है. पूरा हथियार एक बार में घर नहीं आता है. इनकी आपूर्ति करने वाले हथियार के पुर्जे अलग अलग कर कूरियर के जरिये भेजते हैं और फिर एक शख्स घर आकर पूरी असेंबली कर जाता है. ऐसे हथियार मुंबई के युवा शौकिया रखते भी देखे जा सकते हैं. अगर आपने ‘एनिमल’ देखी है, तो आपको यह जानकर हैरानी होगी कि जैसी मशीन गन फिल्म में रणबीर कपूर चलाते हैं, वैसी तो नहीं, पर वैसी खतरनाक मशीन गनें डार्क वेब के जरिये अपराधी संगठनों तक पहुंच रही हैं. टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइसेंस के एक वरिष्ठ अधिकारी निजी बातचीत में बताते हैं कि डार्क वेब का सबसे सीधा असर यूजर की दिनचर्या पर पड़ता है. चूंकि इसके अधिकतर यूजर्स पश्चिमी देशों में दिन होने के समय ही सक्रिय होते हैं, लिहाजा एशियाई देशों में इनकी सक्रियता रात के समय अधिक देखी जाती है. अगर कोई किशोर या कोई युवा देर रात तक कंप्यूटर पर अनावश्यक रूप से सक्रिय दिखे, तो उसके डार्क वेब में सक्रिय होने का अंदेशा होता है. डार्क वेब पर जो दूसरी सबसे घातक बीमारी पनप रही है, वह है हिंसक बातचीत और वीडियो. दिक्कत की बात पुलिस के लिए यह है कि वह अगर छद्म नामों से खुद डार्क वेब में प्रवेश करती भी है, तो भी इन वेबसाइटों का पता लगाना करीब करीब नामुमकिन है क्योंकि डार्क वेब की हर वेबसाइट का नाम, आइपी पता और पहचान बदलती रहती है.

अगर आपके बैंक खाते में पांच लाख रुपये या उससे अधिक की रकम है, तो लगभग यह तय है कि आपका खाता नंबर और फोन नंबर डार्क वेब पर बिक्री के लिए उपलब्ध है. क्रेडिट कार्ड बेचने वालों, रीयल इस्टेट का कारोबार करने वालों और दान मांगने वाली संस्थाओं के पास ये नंबर डार्क वेब के जरिये ही पहुंचते हैं. चूंकि डार्क वेब पर फिलहाल कोई कानूनी रोक नहीं है, लिहाजा इन वीपीएन तरीकों का इस्तेमाल कर मार्केटिंग एजेंसियां भी आइपी पता के खुलासे के बिना नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए फोन करती रहती हैं. एजेंसियां इस बात की भी तस्दीक करती हैं कि डार्क वेब का जो इस्तेमाल अभी तक आतंकी गतिविधियों के लिए कर रहे थे, उन्होंने इसका पूरा कारोबार छोटे शहरों में फैलाने की योजना बना रखी है. हिंदी फिल्मों और पोर्न फिल्मों का जो भी डाउनलोड किसी भी मोबाइल पर होता है, उसका डाटा और उस फोन से जुड़े बैंक खाते की जानकारी डार्क वेब पर मौजूद है.

(ये लेखक के निजी विचार हैं.)

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें