बिहार सरकार ने मंगलवार को बड़ा फैसला लेते हुए आइपीएस अधिकारी शोभा अहोतकर को केंद्रीय चयन परिषद अध्यक्ष पद का प्रभार सौंप दिया है. यानी सिपाही भर्ती की कमान अब शोभा ओहटकर के हाथों में रहेगा. राज्य सरकार ने केंद्रीय चयन पर्षद (सिपाही भर्ती) के अध्यक्ष एसके सिंघल को उनके पद से मुक्त कर दिया है. इस पद पर सिंघल की नियुक्ति इसी वर्ष 14 जनवरी को की गई थी. सिंघल को इस पद से हटाकर 1990 बैच की आइपीएस अधिकारी शोभा अहोतकर को केंद्रीय चयन पर्षद(सिपाही भर्ती) केअध्यक्ष पद का अतिरिक्त प्रभार दिया है.अभी वे निदेशक सह महासमादेष्टा, गृह रक्षा वाहिनी एवं अग्निशमन सेवाएं हैं. गृह विभाग ने इस संबंध में मंगलवार को आदेश जारी कर दिया है. उल्लेखनीय है कि रिटायरमेंट के महज महीने भर बाद ही राज्य सरकार ने पूर्व डीजीपी एसके सिंघल को केंद्रीय चयन पर्षद (सिपाही भर्ती) का अध्यक्ष बनाया था.
बिहार पुलिस भर्ती की कमान अब शोभा अहोतकर के हाथों में रहेगा. पूर्व डीजीपी एसके सिंघल अभी तक केंद्रीय चयन पर्षद (सिपाही भर्ती) के अध्यक्ष थे जिन्हें अब पदमुक्त कर दिया गया है. शोभा अहोटकर पर नीतीश सरकार ने भरोसा जताया है. बता दें कि शोभा अहोतकर की पहचान एक दबंग आइपीएस अफसर के रूप में है. कई विवादों के कारण इस साल वो सुर्खियों में भी बनी रहीं. विभाग में ही कई अन्य आइपीएस अफसरों ने उनके ऊपर गंभीर आरोप लगाए. मामला विभाग से बाहर निकल आया और इसपर घमासान मचा रहा. शोभा अहोटकर का विवाद जिन आइपीएस अफसरों से हाल में हुआ है उनमें एक आइपीएस विकास वैभव भी हैं. विकास वैभव बेहद चर्चित आइपीएस अधिकारी हैं. विकास वैभव होमगार्ड एंड फायर सर्विसेज
विकास वैभव को आइजी होमगार्ड एंड फायर सर्विसेज बनाया गया था. इस विभाग की डीजी शोभा अहोतकरही थीं. दोनों के बीच अचानक विवाद छिड़ गया जो खुलकर बाहर आया था. विकास वैभव ने तत्कालीन डीजी शोभा अहोतकर के ऊपर गंभीर आरोप लगाए थे. उपर अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने, गाली देने व मानसिक प्रताड़ना का आरोप लगाया था. अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखकर विकास वैभव ने शिकायत की थी कि शोभा अहोटकर डीआइजी विनोद कुमार के साथ भी गलत तरीके से पेश आयीं और इससे सदमे में आकर डीआइजी बेहोश तक हो गए थे. बता दें कि विकास वैभव को इस विवाद के बाद पुलिस मुख्यालय बुला लिया गया था और विभाग बदल दिया गया.
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शोभा अहोतकर का विवाद एक और आइपीएस के साथ सामने आया. बिहार होमगार्ड एवं अग्निशमन सेवा की डीजी पद पर जब शोभा अहोटकर थीं तो उनके ही विभाग की एक आइपीएस डीआइजी अनुसूया रणसिंह साहू ने विभाग में अनियमितता, सुनियोजित तरीके से फंसाने और मानसिक रूप से प्रताड़ित किये जाने का आरोप शोभा अहोतकर पर लगाया था. बता दें कि दोनों ही मामलों में शोभा अहोटकर की ओर से बेहद सख्त प्रतिक्रिया आयी थीं. शोभा अहोतकर ने तब विवाद को लेकर कहा कि जो काम नहीं करना चाहते, उनको ही हमसे परेशानी होती है. उनके डर से हम अपना काम करना नहीं छोड़ सकते.
बता दें कि शोभा अहोतकर बेहद सख्त मिजाज की आइपीएस अधिकारी हैं. सिपाही भर्ती परीक्षा में धांधली एक बड़ी समस्या बनकर सामने आयी है. पूर्व डीजीपी एसके सिंघल के पास जब केंद्रीय चयन पर्षद (सिपाही भर्ती) की कमान रही तब परीक्षा में धांधली और पेपर लीक का बड़ा दाग उनके कार्यकाल में लगा. सिपाही भर्ती परीक्षा को पेपर लीक होने के बाद रद्द तक करना पड़ा. वहीं अब शोभा अहोटकर को कमान सौंपी गयी है. उनसे उम्मीद होगी कि सिपाही भर्ती परीक्षा को साफ-सुथरे तरीके से आयोजित करवाया जाए.
इधर, बिहार पुलिस एसोसिएशन के अध्यक्ष मृत्युंजय सिंह ने सरकार से मांग की है कि पूर्व डीजीपी एस के सिंघल के द्वारा कई निर्णय की न्यायिक जांच होनी चाहिए. उन्होंने आरोप लगाया कि सिंघल ने अपने पद पर रहते कई तरह की अनियमितताएं की है.उन्होंने शोभा अहोतकर को सिपाही भर्ती चयन परिषद का अध्यक्ष बनाये जाने पर सरकार को बधाई दी.