रांची : योगेंद्र तिवारी ने बालू और जमीन के व्यापार से हुई अवैध कमाई शराब के व्यापार में लगायी. उसने बालू की अवैध बिक्री से 9.15 करोड़ रुपये और राय बंगला की जमीन बेच कर नकद 5.62 करोड़ रुपये जुटाये. राय बंगला की जमीन की बिक्री में वास्तविक मूल्य को छिपाया गया था. सेल डीड में दिखायी गयी कीमत का भुगतान चेक के जरिये किया गया. शेष 50 प्रतिशत रकम का भुगतान नकद किया गया. 12 खरीदारों ने नकद के रूप में योगेंद्र तिवारी ग्रुप के लोगों को 5.62 करोड़ रुपये का नकद भुगतान किया. बालू और जमीन से हुई इस अवैध आमदनी को शराब के व्यापार से जुड़ी 11 कंपनियों के खाते में जमा किया गया. साथ ही इसका इस्तेमाल लाइसेंस फीस चुकाने में किया गया. इडी द्वारा दायर आरोप पत्र में इन तथ्यों का उल्लेख किया गया है.
ईडी के आरोप में पत्र में कहा गया है कि योगेंद्र तिवारी को दो पत्नियां हैं. एक पत्नी का नाम नीतू तिवारी और दूसरी का नाम दुरबा पॉल है. अनिल सिंह, प्रांतोष मिश्रा, अखिलेश सिंह, आनंद सिंह, बासुकीनाथ सहित अन्य लोग योगेंद्र के सहयोगी हैं. रिपोर्ट के अनुसार, योगेंद्र तिवारी ने 23 पार्टनरशिप फर्म बना रखे हैं. इसमें से 13 में योगेंद्र तिवारी और उसके पारिवारिक सदस्य पार्टनर हैं. इन व्यापारिक संस्थाओं में उसके सहयोगी और कर्मचारी पार्टनर हैं. फर्म में तिवारी के पारिवारिक सदस्यों की भागीदारी 55 से 80 प्रतिशत तक है. बाकी भागीदारी उसके सहयोगियों और कर्मचारियों की है. कर्मचारियों को दो प्रतिशत तक की भागीदारी दी गयी है.
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योगेंद्र तिवारी वर्ष 2003 के शराब के कारोबार में है. पहले वह शराब का खुदरा कारोबार करता था. बाद में वह थोक व्यापार में शामिल हुआ. उसने 1989 में हरिकेश तिवारी की कंपनी मिहिजाम वाइन एजेंसी के पार्टनर के रूप में शराब का कारोबार शुरू किया था. वर्ष 2005 में योगेंद्र ने स्वास्तिक ट्रेडर्स के नाम से शराब का अपना कारोबार शुरू किया. वर्ष 2009 से 2012 तक उसने धनबाद वाइंस के नाम पर शराब का थोक कारोबार भी किया. 2012-17 तक उसके अपने और सहयोगियों के नाम पर बने प्रतिष्ठानों के माध्यम से शराब की 70-80 खुदरा दुकानें चलायीं. 2019 में उसने 40-50 शराब की खुदरा दुकानों का लाइसेंस हासिल किया. 2019-22 की अवधि में उसने मईहर डेवलपर्स के नाम पर शराब बनाने लाइसेंस हासिल किया. 2021 में उत्पाद नीति में बदलाव हुआ. इस दौरान उसने शराब के 14 थोक व्यापार का लाइसेंस हासिल किया. मार्च 2022 में सरकार ने उत्पाद नीति में फिर बदलाव किया. इसके बाद योगेंद्र तिवारी ने शराब का व्यापार नहीं किया. इडी ने जांच में पाया कि जिस अवधि में उसने बालू की अवैध बिक्री की और राय बंगला की जमीन बेची, उस अवधि में उसकी कंपनियों में 11.56 करोड़ रुपये नकद राशि जमा हुई.
आरोप पत्र के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2015-16 से वह बालू के व्यापार में शामिल है. 2015-16 में उसकी आठ कंपनियों के पास 23 बालू घाट थे. नीलामी के माध्यम से बालू घाट तीन साल के लिए मिले थे. 2017-18 में उससे जुड़ी 11 कंपनियों को बालू का डीलर्स लाइसेंस मिला. राज्य सरकार ने 2018 में माइन डेवलपर एंड ऑपरेटर (एमओडी) की नीति लागू की. इसमें योगेंद्र की कंपनी मेसर्स सारण अलकोहल को एमओडी का काम मिला. बालू के इस व्यापार के दौरान उसने 30.53 लाख सीएफटी बालू की बिक्री कर अवैध तरीके से 9.15 करोड़ रुपये की नाजायज कमायी की.
योगेंद्र तिवारी की कंपनियों के बालू घाट
कंपनी का नाम— घाट
धनबाद वाइंस — 04
गुप्ता ट्रेडर्स— 01
मइहर डेवलपर— 02
पाल वाइंस— 02
राजमहल ट्रेडर्स— 01
संजीत हेम्ब्रम— 01
सारण अलकोहल— 04
स्वास्तिक ट्रेडर्स— 08
अवैध बालू बेच कर जुटायी गयी राशि (बालू सीएफटी में, राशि लाख में)
प्राथमिकी का ब्योरा— अवैध बालू— राशि
नाला थाना 71/20— 10,29,245— 308.77
जामताड़ा 101/2— 3,28,694— 98.60
जामताड़ा 103/20— 16,84,065— 505.21
मारगोमुंडा 27/20— 11,250— 3.37
राय बंगला की बिक्री से हुइ अवैध कमाई
योगेंद्र तिवारी ने राय बंगला की जमीन की खरीद-बिक्री के लिए एक वाट्सएप ग्रुप बनाया था. इस ग्रुप में अभिषेक झा, मुन्नम संजय, विवेक, लूटन सिंह, गोपाल सिंह, सहित अन्य लोग शामिल थे. इडी की जांच में लूटन सिंह, अभिषेक आनंद झा और विवेक के मोबाइल से मिले व्हाट्सऐप चैट से राय बंगला की जमीन की बिक्री से हुई अवैध आमदनी का ब्योरा मिला. इन लोगों के चैट में जमीन खरीदनेवालों द्वारा चेक के माध्यम से किये गये भुगतान और नकद भुगतान का ब्योरा दर्ज है. सेल डीड में दिखाये गये जमीन के मूल्य का भुगतान चेक से किया गया है. डीड में छिपाये गये मूल्य का नकद भुगतान किया गया है. राय बंगला की जमीन (26 बीघा, पांच कट्ठा, सात छटांक) सचिंद्र नाथ रॉय की थी. वारिसों के बीच बंटवारे में कमला प्रसाद राय को 10 बीघा तीन कट्ठा जमीन मिली थी.
कमला प्रसाद का एक बेटा (दिलीप राय) और तीन बेटियां ( प्रीति सिंघा राय, भारती राय चौधरी, भासवती कोनार) हैं. कमला प्रसाद की मौत के बाद बेटे ने पिता द्वारा तैयार की गयी वसीयत के आधार पर अपना दावा किया. बेटियों ने वसीयत को गलत बताते हुए अपने हक का दावा किया. विवादों के बीच ही दिलीप ने शशि सिंह की पत्नी किरण सिंह से 41 कट्ठा जमीन बेच दी. दिलीप की मौत के पारिवारिक सदस्यों व बहनों ने मिल कर स्वास्तिक ट्रेडर्स के साथ एमओयू किया. इस कंपनी में योगेंद्र पार्टनर है. इस एमओयू के आधार पर योगेंद्र तिवारी ने अपने सहयोगियों की मदद से 12 लोगों को जमीन बेची. इसमें नकद भुगतान लिया गया.
राय बंगला बेच कर जुटायी गयी नकद राशि(लाख में)
जमीन खरीदार— राशि
सौरभ साहा— 50.00
स्नेहा चांदनी— 45.00
डॉ निवेदिता— 30.00
रजेश रंजन— 131.75
ललन पांडेय— 84.00
राजेश केसरी— 28.00
अविनेश बर्णवाल— 13.00
संजय पांडेय— 13.00
दीपक सिंह— 41.00
राजेंद्र प्रसाद साह— 58.20
शोभा दुबे— 24.02
रेशमी कुमारी— 45.00
जमीन खरीददार— डीड वैल्यू— बैंक में— पैसा लेनेवाला
सौरभ साहा—48.27— 48.27— 50.00— गोपाल सिंह
स्नेहा चांदनी—49.83— 49.83— 45.00— गोपाल सिंह
डॉ निवेदिता—43.25— 43.25— 30.00— लूटन सिंह व विवेक मिश्रा
राजेश रंजन—43.25— 43.25— 131.75— गोपाल सिंह व लूटन सिंह