रांची: झारखंड राज्य गठन के 23 साल हो गये हैं, लेकिन राजधानी रांची में आज भी ढंग की सड़कें नहीं हैं. शहर की प्रमुख सड़कों की बात करें या गली-मोहल्ले की, हर जगह लोग हिचकोले खाते हुए चलने को विवश हैं. जबकि, शहर की प्रमुख शहरों से हर रोज अधिकारी से लेकर वीवीआइपी तक गुजते हैं, लेकिन किसी का ध्यान इस ओर नहीं जाता है. यही वजह है कि सड़कें बदहाल हैं. शहर में वर्तमान में कांटाटोली, सिरमटोली-राजेंद्र चौक व रातू रोड में फ्लाइओवर का निर्माण कार्य चल रहा है. लेकिन, इन जगहों पर बाइलेन सड़क का हाल बेहाल है. फ्लाइओवर का निर्माण करने वाली कंपनियां बाइलेन पर ध्यान नहीं दे रही हैं.
इस कारण बाइलेन सड़क जर्जर हो गयी है. इस सड़क से गुजरने में लोगों को काफी परेशानी होती है. सड़कों पर गड्ढों के साथ-साथ धूल उड़ने से लोग परेशान हैं. वहीं, दिन भर रुक-रुक कर जाम भी लगता रहता है. वहीं, बरियातू रोड, बूटी मोड़, डंगराटोली से कांटाटोली मार्ग, टेलीफोन एक्सचेंज रोड, रिम्स से कोकर मार्ग, चेशायर होम रोड व अपर बाजार की सड़कों का भी हाल बेहाल है. सड़कें जर्जर होने के कारण आये दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं.
आर्किटेक्ट सुजीत भगत ने कहा कि विकास कार्य निरंतर व सतत चलने की प्रक्रिया है. जब विकास कार्य होता है, तो जनता को थोड़ी परेशानी झेलनी पड़ती है. लेकिन, झारखंड में ऐसा नहीं होता है. यहां ठेकेदारों को काम सौंपने के बाद उसकी सही से मॉनिटरिंग नहीं की जाती है. इस कारण ठेकेदारों का मनोबल बढ़ जाता है. यही ठेकेदार जब देश के अन्य राज्यों में काम करते हैं, तो कोशिश करते हैं कि जनता को कम से कम परेशानी हो. लेकिन, झारखंड में ये सारे नियमों को ताक पर रखकर काम करते हैं. इसलिए शहर की यह हालत है. वहीं, यहां विभागों के बीच कोई तालमेल नहीं है. इसलिए पहले सड़क बनती है, फिर सड़क को तोड़ कर पाइपलाइन बिछायी जाती है. फिर सड़क की मरम्मत की जाती है. फिर कुछ दिन बाद केबल बिछाने के लिए सड़कों की खुदाई की जाती है. इसके बाद कभी सीवर, तो कभी नाली निर्माण के नाम पर सड़कों को खोदा जाता है. यह स्थिति भविष्य में न आये, इसके लिए सभी विभागों के अधिकारियों को बैठक करनी होगी.
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रांची: राजधानी में इस साल भी सुचारू विद्युत आपूर्ति संचालन के लक्ष्य को नहीं पाया जा सका है. अभी भी बिछाये गये भूमिगत केबल के खराब होने पर उसकी मरम्मत कराने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. फॉल्ट ढूढ़ने में ही घंटों लग जाते हैं. इसका कारण है कि झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (जेबीवीएनएल) के पास भूमिगत केबल को दुरुस्त करने के लिए तकनीशियन की उपयुक्त व्यवस्था नहीं है. पूरा सिस्टम उधार के भरोसे चल रहा है.
11 केवी व एलटी लाइन अब भी ज्यादा हो रही बाधित प्रतिकूल मौसम की स्थिति जैसे तूफान और मूसलाधार बारिश से 33 केवीए भूमिगत लाइनें कम प्रभावित हो रही हैं. इस लाइन के अंडरग्राउंड हो जाने के बाद बिजली कर्मियों को 11 केवी और एलटी केबल में फॉल्ट ढूंढ़ने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है. लाइन और इंसुलेटर में फॉल्ट इतना सूक्ष्म होता है कि कई बार इसे ढूंढ़ने में ही घंटों समय लग जाता है. 33 केवी लाइन भूमिगत होने से इसमें शिकायत में भारी कमी आयी है, जबकि 11 केवी व एलटी लाइन में आपूर्ति अभी भी ज्यादा बाधित हो रही है.
राजधानी में 470 किमी बिजली के अंडरग्राउंड एरियल बंच केबल (कवर्ड तारों) का जाल बिछा है. इतना ही नहीं, नयी योजना के तहत तकरीबन 1000 किमी 11 हजार और एलटी तारों को भी भूमिगत (अंडरग्राउंड) करने की योजना पर भी तेजी से काम चल रहा है. हालांकि, इस काम में माहिर ट्रेंड तकनीशियन और हाइटेक मशीनों के अभाव में तकनीकी गड़बड़ी के बाद लोगों को कई घंटे बिना बिजली के रहना पड़ रहा है. खराब होने, केबल कटने, जलने या पंक्चर होने के बाद बिजली आपूर्ति शुरू करने में एमआरटी यानी मीटर रिले टेस्टिंग व अन्य टेक्निकल टीम की मदद से अभियंताओं को आउटसोर्स कर्मचारियों के भरोसे रहना पड़ रहा है.
दूसरी ओर जेबीवीएनएल अब 11 केवी हाई वोल्टेज तारों और एलएवी तारों को भूमिगत करने की योजना पर काम कर रहा है. राजधानी में लॉस रिडक्शन ऑफ रिवैंप्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (आरडीएसएस) के तहत योजनाएं मंजूर की गयी हैं. राजधानी में पावर रिफॉर्म्स के तहत 548.86 करोड़ की योजना को मंजूरी दी गयी है. इसी कड़ी में 22 दिसंबर को जेबीवीएनएल ने रामगढ़ में लाइन लॉस कम करने के लिए 171.82 करोड़ रुपये की योजना के लिए टेंडर जारी किया है. इससे उन इलाकों में डिस्ट्रीब्यूशन इंफ्रास्ट्रक्चर यानी एलटी कंडक्टर व एबीइरेंक्शन से जुड़े 11 केवी लाइन और डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर को बदलने का प्रयास किया जायेगा.