गुस्से में हैं तो सावधानी से करें शब्दों का चयन : तुमने ऐसा क्यों कहा ? ऐसे नहीं वैसे करते… ये कई बातें हैं जो जब रिश्तों में बहस छिड़ जाती है तब लोगों के मुंह से निकलती है. इस दौरान कई बार हम जो शब्द चुनते हैं, वे चीज़ों को कभी बहुत बेहतर या बहुत ख़राब बना सकते हैं. रिलेशनशिप में ऐसे सिचुएशन से बचने के लिए अपने शब्दों के चयन पर ध्यान देना चाहिए. ताकी ऐसी परिस्थिति से बचने में मदद मिल सकती है, जिससे अधिक शांतिपूर्ण और सम्मानजनक बातचीत हो सकेगी.
आपकी तो हमेशा यही आदत है : कई बार जब भी बहस होती है जो हम अक्सर कहते हैं कि आपकी तो हमेशा यही आदत है. ये बातें रिश्तों को सुलझाने की जगह और उलझा देती हैं. इसके बजाय, बिना विशिष्ट उदाहरणों या व्यवहारों पर ध्यान केंद्रित करें.किसी बात पर बहुत आरोप लगाने से पहले शांत मन से बात करें.
ये आपकी गलती है : बहस के दौरान दोषारोपण करने से आपसी कटुता बढ़ती है और आपसी समझ के किसी भी अवसर में बाधा आती है किसी को दोष देने से न केवल रचनात्मक संचार की संभावना बंद हो जाती है बल्कि जवाबदेही भी खत्म हो जाती है इससे बचने के लिए मुद्दों को साझा समस्याओं के रूप में तैयार कर समाधान निकालें.
आपसे पहले ही कहा था : यह वाक्यांश अक्सर दूसरे को नीचा दिखाने के लिए बहस के दौरान बोला जाता है. ऐसे वाक्यों से बचना चाहिए. क्योंकि इससे आक्रोश पैदा होता है. इसलिए इन शब्दों से बचना अधिक सम्मानजनक संवाद की अनुमति देता है जो पिछली गलतियों को उजागर करने के बजाय समाधान खोजने का नजरिया देता है.
चुप रहो और शांत हो जाओ: ऐसे वाक्य जब भी आप बहस के दौरान बेालते हैं तो सामने वाले को लगता है कि आप उसकी बातों को और उसकी भावनाओं को अमान्य कर रहे हैं. भले ही आप बहस को शांत करने के इरादे से चुप करा रहे हों लेकिन ये तनाव को बढ़ाते हैं. इसके बजाय, समर्थन की पेशकश और उनकी भावनाओं को मान्य करने से खुले संवाद के लिए एक सुरक्षित स्थान बनाने में मदद मिलती है.
बहुत ओवर रिएक्ट करते हैं आप : किसी की भावनाओं को अगर आप ओवर रिएक्शन कहते हैं तो ऐसे शब्द सामने वाले के इमोशन्स को खारिज करना उनकी भावनाओं और अनुभवों को कमतर करता है जिससे विवाद और बढ़ सकता है. उनकी भावनाओं को कम करने के बजाय, सहानुभूति और समझ दिखाकर उनकी भावनाओं समझने से आपसी सम्मान और समाधान के रास्ते खुलते हैं
पिछले बार भी आप ऐसे ही किए थे : प्यार में बहस होती है लेकिन अगर आप बार बार यही कहते हैं कि पिछले बार भी आप ऐसे ही किए थे तो ऐसे वाक्य रिश्तों को सुलझाने की जगह और भड़का सकते हैं. बहस के दौरान पिछली शिकायतों को सामने लाने से ध्यान वर्तमान मुद्दे को सुलझाने से हटकर पुराने विवादों को दोहराने पर केंद्रित हो जाता है. जिससे बहस का मुद्दा बढ़ाकर तर्क को लम्बा खींचता है. इसलिए पुरानी शिकायतों का पिटारा ना खोलें
हम मुझे कुछ नहीं कहना, जो करना है करो : किसी बहस के दौरान अचानक बात को सुलझाने की जगह आप अगर कहते हैं कि मुझे कुछ नहीं कहना, जो करना है करो, तो इससे बचना चाहिए. ये आपके साथी के साथ बहस को खत्म करने की जगह और बढ़ा सकता है. बैठकर बात करना शांत दृष्टिकोण के साथ मुद्दे पर फिर से विचार करने की संभावना को बढ़ाता है.
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