प्रभात खबर के प्रधान संपादक को रांची होटवार जेल से मिली धमकी के बाद चहुंओर इसकी कड़ी निंदा की जा रही है. संताल परगना के पत्रकारों में उबाल है. जिले के पत्रकारों ने प्रतिक्रिया देकर दोषी को कड़ी सजा दिलाने की मांग की है. इसके विरोध में मधुपुर अनुमंडल के पत्रकारों ने धरना देकर विरोध जताया और सरकार से कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है. वहीं विभिन्न पत्रकार संघों ने इस घटना के विरोध में प्रतिक्रिया दी है. पत्रकारों ने कई सवाल उठाते हुए घटना को पूरी गंभीरता से लेते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की है. आइए जानते हैं किसने क्या कहा?
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राष्ट्रीय स्तर के लोकप्रिय दैनिक अखबार प्रभात खबर के प्रधान संपादक को धमकी देने की घटना की जितनी निंदा की जाय, वह बहुत कम है. जनता से लेकर सरकार मीडिया को चौथा स्तंभ कहते नहीं अघाती है और आज वहीं जेल में बंद एक अभियुक्त द्वारा जानलेवा धमकी देने की घटना को पूरी गंभीरता से लेते हुए इसकी निष्पक्षता से जांच करनी चाहिए, ताकि कोई भी भविष्य में पत्रकारों को धमकाने की हिमाकत न करे. – सुमंगल ओझा, पत्रकार
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पत्रकारिता को मजाक समझ लिया गया है. यह दुर्भाग्य है झारखंड राज्य का, कि जेल में बंद लोग अखबार के संपादक को धमकी देते हैं. कोई भी पत्रकार इस घटना को हल्के में नहीं लेना चाहेंगे. संपादक को सुरक्षा दी जाए और सरकार गंभीरता से इस मामले को देखे. – डॉ ब्रजेश वर्मा, पत्रकार
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खबरें छपने-छापने को लेकर पत्रकारों की इज्जत-आबरू, उनकी सुरक्षा, उनके सम्मान और उनके स्वाभिमान पर लगातार हमले तथा केस-मुकदमा व अन्य तरह की धमकियों पर शासन, प्रशासन और सरकार को गंभीरता से लेने की जरूरत है. एक प्रतिष्ठित अखबार के प्रधान संपादक को जेल के अंदर से दी गयी धमकियों से यह प्रतीत होता है कि जेल पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं रह गया है. जेल के अंदर रहकर किसी व्यक्ति द्वारा एक प्रतिष्ठित अखबार के प्रधान संपादक को दी गयी धमकी से यह सहर्ष समझा जा सकता है कि उस व्यक्ति का खौफ किस प्रकार जेल के अंदर सिर चढ़कर बोल रहा है. मर्यादाओं को ध्यान में रखकर अपना कर्तव्य निभा रहे पत्रकारों को मिलने वाली धमकियों पर सरकार को त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए. – अमरेंद्र सुमन, पत्रकार
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प्रभात खबर के प्रधान संपादक को बिरसा मुंडा केंद्रीय जेल से धमकी मिलने की खबर बहुत ही दुखद और आहत करने वाली है. यह लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहे जाने वाले मीडिया पर हमला है. डर पैदा करने का दुस्साहस है. उसमें भी झारखंड के प्रमुख अखबार के संपादक को जेल से ऐसी धमकी मिलना पूरे तंत्र पर एक सवाल खड़ा करती है. हम पत्रकारों को डराने-धमकाने की बात आये दिन देखने सुनने को मिलती है लेकिन संपादक उसमें भी झारखंड के प्रमुख अखबार के प्रधान संपादक को ऐसी धमकी मिलना बहुत ही दुस्साहस की बात है, जिसकी हम निंदा करते हैं और ऐसे दुस्साहसी को कठोर कानून कार्रवाई करने की मांग करते हैं. – अशोक सिंह, पत्रकार
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न्यायिक अभिरक्षा में जेल में बंद बंदियों के नाम पर मीडिया संस्थान के संपादक और वरिष्ठ पत्रकार को खबर छापने को लेकर धमकी दिये जाने की सूचना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. वहीं विधि व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है. मीडियाकर्मी सत्ता पक्ष, विपक्ष और जनता के बीच सेतु के रूप में निष्पक्ष रूप से अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करते रहे हैं. सरकार, प्रशासन और जनता के बीच संवाद स्थापित करने में भी सहयोगी रहे हैं. राज्य सरकार सरकारी तंत्र का दुरुपयोग कर न्यायिक हिरासत में बंद किसी विचाराधीन बंदी द्वारा लोकप्रिय प्रतिष्ठित मीडिया संस्थान को खबर छापने को लेकर धमकी दिये जाने के मामले की उच्चस्तरीय जांच कराये और इसमें संलिप्त अधिकारियों के साथ सरकारी तंत्र का दुरुपयोग कर धमकी देने वाले बंदी को चिह्नित कर अविलंब सख्त करे, जिससे मीडिया संस्थान और कर्मी निर्भीक होकर अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन कर सकें. – शिवशंकर चौधरी, पत्रकार
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प्रभात खबर जैसे झारखंड के प्रतिष्ठित अखबार के प्रधान संपादक और स्थानीय संपादक (रांची) को होटवार जेल से कुख्यात आर्थिक अपराधी द्वारा फोन पर धमकी दिये जाने का समाचार पढ़कर मन आक्रोश से भर गया. यह न सिर्फ लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर बड़ा हमला है, बल्कि सरकार की कानून व्यवस्था के लिए भी एक बड़ी चुनौती है. आमतौर पर पत्रकार तो अपराधी और पुलिस के निशाने पर रहते ही हैं. अब सीधे प्रधान संपादक को धमकी की घटना काफी चिंता का विषय है. सरकार को अविलंब इस पर कड़ी कार्रवाई कर पत्रकारों को सुरक्षा देने की जरूरत है.
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-प्रो रामनंदन सिंह, पूर्व अध्यक्ष देवघर प्रेस क्लब देवघर
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प्रभात खबर जैसे झारखंड के प्रतिष्ठित अखबार के प्रधान संपादक और स्थानीय संपादक (रांची) को होटवार जेल से कुख्यात आर्थिक अपराधी द्वारा फोन पर धमकी दिये जाने का समाचार पढ़कर मन आक्रोश से भर गया. यह न सिर्फ लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर बड़ा हमला है, बल्कि सरकार की कानून व्यवस्था के लिए भी एक बड़ी चुनौती है. आमतौर पर पत्रकार तो अपराधी और पुलिस के निशाने पर रहते ही हैं. अब सीधे प्रधान संपादक को धमकी की घटना काफी चिंता का विषय है. सरकार को अविलंब इस पर कड़ी कार्रवाई कर पत्रकारों को सुरक्षा देने की जरूरत है. – प्रो रामनंदन सिंह, पूर्व अध्यक्ष देवघर प्रेस क्लब देवघर
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जेल से फोन कर वरिष्ठ पत्रकार को धमकी देने के उद्देश्य से कॉल करने की घटना अत्यंत निंदनीय है. लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को इस प्रकार की धमकी देकर डिगाने की कोशिश कभी न सफल हुई है और ना ही होगी. देवघर प्रेस क्लब इस कुत्सित मानसिकता वाले प्रयास की घोर निंदा करता है. साथ ही मांग करता है कि जिसने भी यह हरकत की है, कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए. – राकेश कर्म्हे, महासचिव, देवघर प्रेस क्लब, देवघर
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प्रधान संपादक को जेल से धमकी मिलना, शासन-प्रशासन के लिए चुनौती है. इसकी जितनी भी निंदा की जाये कम है. जिस योगेंद्र तिवारी के नाम से धमकी मिली है, उस पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए. इस तरह से धमकी देकर सच लिखने से पत्रकारों को रोका नहीं जा सकता है. इडी ने स्वत: संज्ञान लेकर साबित कर दिया है कि जेल से अपराधी किस्म के व्यक्ति कैसे बाहर के लोगों को धमकी दे रहे हैं. -डॉ अमरनाथ पाठक, ब्यूरो चीफ, न्यूज-11 संथाल परगना
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झारखंड के प्रतिष्ठित दैनिक समाचार पत्र के संपादकों को जेल से एक माफिया द्वारा फोन पर धमकी दी जा रही है. चौथे स्तंभ पर प्रहार कर माफिया द्वारा धमकी देना इस कहावत को चरितार्थ कर रहा है कि एक तो चोरी ऊपर से सीनाजोरी.चौथे स्तंभ के कलम में वो ताकत होती है, जिसका परिणाम लगातार सामने देखने को मिल रहा है. जेल के अंदर से धमकी सरकारी तंत्र को चुनौती है. पत्रकार होने के कारण मैं इसका जोरदार विरोध और कड़ी कार्रवाई की मांग करता हूं. -ऋतुराज सिन्हा, सीनियर रिपोर्टर, देवघर
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संविधान के चौथे स्तंभ को दबाने के लिए सीधा हमला किया है. इसकी जितनी निंदा की जाये कम है. जेल में बंद कैदी द्वारा सरकारी फोन से प्रधान संपादक को धमकी देना जांच का विषय है. इसके लिए सरकार को सख्त कार्रवाई करने की आवश्यकता है, ताकि भविष्य में ऐसा कोई भी जेल में रहकर फोन करने की हिम्मत नहीं जुटा सके. ऐसी धमकियाें से पत्रकार न डरा है और न ही भविष्य में डरेगा. इस प्रकरण में कहीं न कहीं जेल प्रबंधन पर सवाल खड़ा हो रहा है. – मनीष वर्णवाल, पत्रकार, जामताड़ा
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प्रधान संपादक आशुतोष चतुर्वेदी को जेल में बंद कैदी के नाम से फाेन कर धमकी देना गंभीर विषय है. इसे सरकार को गंभीरता से लेकर जांच कराने की आवश्यकता है. यह मामला सरकार व प्रशासन के लिए चुनौती खड़ा कर रहा है. पूरे मामले का सही तरीके से जांच हो और दोषी पर कड़ी कार्रवाई हो, ताकि आने वाले दिनों में कोई ऐसा करने की हिम्मत न जुटा सके. – रघुवंश सहाय, वरीय पत्रकार, जामताड़ा
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पाकुड़ प्रेस क्लब ने प्रभात खबर के प्रधान संपादक को मिली धमकी की कड़ी निंदा की है. कहा है कि अखबार सच के साथ खड़ा होता है और लोकहित में खबरों का प्रकाशन करता है. ऐसे में यदि खबर प्रकाशित करने के कारण धमकी दी जाने लगे, तो यह काफी गंभीर मामला है. इस पर प्रशासन को त्वरित कदम उठाना चाहिए. – मुकेश जायसवाल, अध्यक्ष, प्रेस क्लब, पाकुड़
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प्रभात खबर के प्रधान संपादक को होटवार जेल से धमकी दिया जाना गंभीर अपराध है. यह ना सिर्फ आपराधिक मामला है, बल्कि यह लोकतांत्रिक मूल्यों के भी खिलाफ है. ऐसे में जरूरी है कि इस दिशा में ठोस कार्रवाई की जाये. – रोहित कुमार, सचिव, प्रेस क्लब पाकुड़
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प्रभात खबर ना सिर्फ झारखंड, बल्कि देश के कई राज्यों में काफी विश्वनीय अखबार है. ऐसे में इनके प्रधान संपादक को धमकी दिया जाना काफी संगीन मामला है. यह ना सिर्फ लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है, बल्कि यह आपराधिक मामला भी है. जेल से धमकी दिया जाना काफी संगीन मामला है. इससे जेल प्रशासन की भी भूमिका संदिग्ध हो जाती है. – कृपा सिंधु तिवारी बच्चन, वरिष्ठ पत्रकार, पाकुड़
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प्रभात खबर के प्रधान संपादक आशुतोष चतुर्वेदी को जेल से अपराधियों ने धमकी दी है. यह लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर सीधा हमला है. शांति और लोकतंत्र में विश्वास करने वाले पुरखा बाबा बिरसा मुंडा, सिदो-कान्हू के इस राज्य में आपराधिक कृति की निंदा करता हूं. जेल से धमकी देना एक गंभीर मामला है. कानून व्यवस्था से जुड़ा मामला. सरकार को इस पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए. – डॉ रामजन्म मिश्र, कुलपति, विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ सह वरिष्ठ पत्रकार, साहिबगंज
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प्रभात खबर के प्रधान संपादक को धमकी देना दुर्भाग्यपूर्ण है. प्रजातंत्र के स्वस्थ संकल्प को चौथे स्तंभ के रूप में दायित्व का निर्वहन कर रहे संपादक को जेल से धमकी देना प्रशासन को चुनौती देना है. इस घटना की जितनी भी निंदा की जाये वह कम है. प्रशासन को गंभीर होकर संलिप्त व्यक्तियों पर कार्रवाई करनी चाहिए. -सच्चिदानंद, वरिष्ठ पत्रकार, साहिबगंज
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