Deepfake For Democracy: केंद्रीय इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने डीपफेक और भ्रामक सूचना के खतरे को भारतीय लोकतंत्र के लिए समस्या पैदा करने वाला बड़ा मुद्दा बताते हुए कहा है कि इस संबंध में जारी परामर्शों पर ऑनलाइन प्लैटफॉर्म्स की ओर से उठाए जाने वाले कदमों पर नजर रखी जाएगी. चंद्रशेखर ने आश्वस्त किया कि प्लैटफॉर्म्स के स्तर पर निष्क्रियता पाए जाने पर सूचना टेक्नोलॉजी (आईटी) नियमों में संशोधन भी किया जा सकता है जो अधिक निर्देशात्मक होंगे. चंद्रशेखर ने बातचीत में डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (डीपीडीपी) कानून, शिकायत अपीलीय पैनल की स्थापना और यूजर्स सुरक्षा के लिए डिजिटल प्लैटफॉर्म पर सख्त जवाबदेही को 2023 की बड़ी उपलब्धियों में गिनाया.
भारत में अगले साल की शुरुआत में आम चुनाव होने वाले हैं और उम्मीद है कि 2024 के चुनाव और नई सरकार के गठन के बाद ही डिजिटल भारत अधिनियम (डीआईए) पर कानून बनाया जाएगा. डीपफेक के मुद्दे पर मंत्री ने कहा कि भारत जैसे बड़े लोकतांत्रिक देश के लिए डीपफेक निश्चित रूप से सुरक्षित और स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनावों के संचालन के लिए एक बहुत ही समस्या पैदा करने वाला मुद्दा है. उन्होंने कहा कि, डीपफेक व्यक्तिगत स्वतंत्रता और व्यक्तियों के जीवन के अधिकार को चुनौती देता है. डीपफेक से किसी व्यक्ति को उसके बयानों या व्यवहार को गलत तरीके से चित्रित किया जा सकता है.
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राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि, सरकार गलत सूचना और डीपफेक के बारे में सोशल मीडिया और अन्य डिजिटल प्लैटफॉर्म्स पर अपनी चिंता जता रही है. प्लैटफॉर्म्स को भारत जैसे लोकतंत्र में पैदा होने वाली समस्याओं के बारे में सचेत किया है. इस संबंध में ऑनलाइन प्लैटफॉर्म्स को सरकार की तरफ से परामर्श भी जारी किया गया है. केंद्रीय मंत्री ने कहा, उन्हें इन कानूनों का उल्लंघन करने वाले लोगों पर मुकदमा चलाने और उन्हें प्रतिबंधित करने के संदर्भ में कई काम करने चाहिए थे. उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया. यह अधिक से अधिक स्पष्ट होता जा रहा है कि डीपफेक चुनाव परिणामों को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं.
प्रधानमंत्री ने इसे निपटने के लिए एक वास्तविक समस्या के रूप में बताया है, और आईटी मंत्रालय ने मध्यस्थों के साथ परामर्श के दो दौर आयोजित किए हैं, इसके बाद तत्काल कार्रवाई का विवरण देने वाले प्लैटफॉर्म्स को सलाह दी गई है. मंत्री ने कहा, हम मध्यस्थों के छुट्टियों से वापस आने के बाद 7-15 दिनों तक उन पर नजर रखेंगे और अगर उन्होंने अभी भी कोई कदम नहीं उठाया है, तो हम मूल रूप से आईटी नियमों में संशोधन करेंगे और संशोधित आईटी नियमों को निर्देशात्मक बनाने के लिए अधिसूचित करेंगे.
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