कोल्ड वेव यानी शीतलहर लोगों के लिए परेशानी का सबब बनती है. खास तौर पर बच्चों और बुजुर्गों के लिए ऐसा वेदर बहुत मुश्किल होता है. कुछ एहतियात बरतें तो कोल्ड वेव से खुद को सुरक्षित रख सकते हैं. जब ठंडी हवाएं तेज चलने लगती हैं और तापमान में तेज गिरावट के दिखने लगता है और इसके असर से बहुत तेजी से ठंड बढ़ने लगती है तो इसे शीत लहर कहा जाता है.
दमा के मरीजों की समस्या ठंड के सीजन में बढ़ जाती है. उन्हें इस दौरान ज्यादा प्रिकॉशन की आवश्यकता होती है. दवाइयां नियमित तौर पर लेने के साथ ही जितना हो सके बाहर निकलना एवॉयड करें.
आमतौर पर हाई ब्लड प्रेशर की समस्या विंटर सीजन में ज्यादा देखने में आती है. हाई ब्लड प्रेशर वाले मरीजों का रिस्क फैक्टर भी इस दौरान बढ़ जाता है. अतः उन्हें बेहतर देखभाल की जरूरत होती है. समय-समय पर ब्लड प्रेशर चेक करते रहें.
कमजोर इम्यूनिटी की वजह से सर्दी जुकाम की समस्या ज्यादा होती है. खास तौर पर बच्चों में ऐसा ज्यादा होता है. अगर ठंड में सावधानी ना बरतें तो सीवियर कोल्ड अटैक भी हो सकता है.
इस सीजन में त्वचा रूखी हो सकती है. होठों और एड़ियों का फटना इस सीजन में ज्यादातर लोगों में देखा जाता है. इससे बचने के लिए मॉइश्चराइजर का प्रयोग करें और अपने आहार पर भी ध्यान दें.
जॉइंट पेन की समस्या वाले लोगों के लिए यह सीजन अच्छा नहीं होता. जॉइंट पेट तो बढ़ता ही है साथ ही इस दौरान सूजन भी हो सकती है. ठंड के मौसम में लगातार सिर दर्द को इग्नोर ना करें. इस मौसम में ब्रेन हेमरेज के चांसेज बहुत बढ़ जाती है. लगातार सिर दर्द रहने पर अपने डॉक्टर की सलाह लें.
इस मौसम में इम्यूनिटी का स्ट्रांग रहना बहुत जरूरी है. इसके लिए खट्टे फलों का सेवन करें, जिससे विटामिन सी पर्याप्त मात्रा में मिले. संतरा, नींबू, मौसमी, आंवला को अपने डाइट में नियमित रूप से शामिल करें.
इस मौसम में प्यास नहीं लगती है. अगर प्यास ना भी लगी है हो तो भी भरपूर मात्रा में पानी पीते रहें. शरीर को हाइड्रेट रखना बेहद जरूरी है. हो सके तो गुनगुना पानी ही पीएं.प्यास न होने पर भी नियमित अंतराल पर पानी पीते रहें. शरीर अगर हाइड्रेट नहीं रहेगा तो कोल्ड वेव आपको बीमार कर सकता है।
शरीर को अंदर से गर्म रखने के लिए गर्म तासीर वाली खाद्य सामग्रियों का सेवन करें। लेमन टी, ब्लैक टी और सूप नियमित ले सकते हैं. इसके अलावा ड्राई फ्रूट्स भी नियमित रूप से खाएं.