लखनऊ: अयोध्या श्री राम मंदिर में 24 पुजारी होंगे. खासबात यह है कि इन पुजारियों में दो अनुसूचित जाति व एक अन्य पिछड़े वर्ग का है. इन पुजारियों को तीन महीने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. इसके बाद इन्हें मंदिर में तैनात किया जाएगा. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इन पुजारियों को रामानंदी परंपरा के अनुसार प्रशिक्षण दिया जा रहा है. गुरुकुल में न तो इनके पास मोबाइल फोन है और न ही किसी बाहर के व्यक्ति से संपर्क की अनुमति है.
इन सभी 24 पुजारियों का चयन तीन चरणों के साक्षात्कार के बाद हुआ है. 3200 से अधिक पुजारियों ने इस साक्षात्कार में प्रतिभाग किया था. इनसे 14 प्रश्न पूछे गए थे. इसके बाद 25 पुजारियों का चयन किया गया. एक पुजारी ने बाद में अपना नाम वापस ले लिया था. बताया जा रहा है कि इन पुजारियों से संध्या वंदन, नाम, गोत्र, शाखा, प्रवर, दूसरे चरण में आचार्य की डिग्री से संबंधित प्रश्न और तीसरे चरण में हनुमान जी का वैदिक ध्यान मंत्र, सीता ध्यान मंत्री और भरतजी का ध्यान मंत्र पूछा गया था. इसके साथ ही श्री राम का जन्म किस लग्न में हुआ, श्री राम की पूजा विधि, ध्यान मंत्र से संबंधित प्रश्न भी पूछे गए थे. राम मंदिर के महंत मिथिलेश नंदिनी शरण व महंत सत्यनारायण दास पौरोहित्य व कर्मकांड का प्रशिक्षण दे रहे हैं.
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बताया जा रहा है कि राममंदिर में इसके पूर्व में मुख्य पुजारी ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) के थे. इसके अलावा देश में दक्षिण भारत के मंदिरों में भी गैर ब्राह्मण पुजारी तैनात किए जाते हैं. शैव परंपरा के अखाड़ों में भी अन्य जाति के पुजारी हैं. गौरतलब है कि राम मंदिर जन्मभूमि ट्रस्ट में किसी ओबीसी-एससी को स्थान न देने के आरोप लगते रहे हैं. पुजारी की तैनाती में ओबीसी-एसी को स्थान मिलने से आलोचनाओं पर विराम लग सकेगा.