बिहार में शिक्षकों की छुट्टियों को लेकर अब बड़े बदलाव किए गए हैं. अपर मुख्य सचिव के के पाठक (KK Pathak) प्रदेश के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों और विद्यार्थियों की उपस्थिति को लेकर गंभीर हैं. अब शिक्षा विभाग ने ऐसे विद्यालय अध्यापकों पर लगाम लगाने का भी निश्चय किया है, जो मेटरनिटी लीव, पैटरनिटी लीव, चाइल्ड केयर लीव इत्यादि पर चले गये हैं, या जाना चाह रहे हैं. यानी अब महिला टीचरों को भी छुट्टियों में कई तरह की पाबंदी होगी.
शिक्षा विभाग ने मेटरनिटी लीव, पैटरनिटी लीव, चाइल्ड केयर लीव इत्यादि पर गये शिक्षकों पर लगाम लगाने की तैयारी की है. अगर इन अवकाशाें पर जाने की तैयारी में भी अगर कोई शिक्षक हैं तो उन्हें अब नए निर्देशों का पालन करना होगा. इस संदर्भ में माध्यमिक शिक्षा निदेशक कन्हैया प्रसाद ने यह गाइड लाइन जारी की है. पितृत्व अवकाश की स्वीकृति मैटरनिटी की संभावित तिथि के 15 दिन पहले से छह माह बाद की अवधि के बीच लगातार 15 दिनों के लिए स्वीकृत की जाये. इस अवकाश के आवेदन पर गुण दोष के आधार पर निर्णय लिया जाये.
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महिला शिक्षक को अब मात्र दो संतान के लिए मातृत्व अवकाश की स्वीकृति दी जायेगी. जो अवकाश आरंभ होने की तिथि से लगातार 180 दिनों तक की होगी. शिशु देखभाल अवकाश साधारणतया परिविक्षा अवधि के दौरान मंजूर नहीं की जायेगी.
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विद्यालय अध्यापकों को प्रत्येक कैलेंडर वर्ष में 16 दिन का आकस्मिक अवकाश मान्य होगा. हालांकि नियुक्ति के साल में जितने महीने, उन्होंने काम किया है, उतने महीनों के समानुपातिक आकस्मिक अवकाश ही स्वीकार किया जायेगा.
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मातृत्व , पितृत्व अवकाश, शिशु देखभाल अवकाश एवं उपार्जित अवकाश वैतनिक अवकाश हैं,लेकिन भत्तों का भुगतान सरकार के निर्गत प्रावधानों के अनुसार किया जायेगा.
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बिहार सेवा संहिता के नियम के अनुसार छु़ट्टी का अधिकार पूर्वक दावा नहीं किया जा सकता है. यदि लोक सेवा के लिए नितांत आवश्यक हो तो छुट्टी स्वीकृत करने के लिए सक्षम प्राधिकार अपने विवेक से किसी प्रकार की छुट्टी को अस्वीकृत या रद्द कर सकता है.
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इधर, शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक के आदेशों के खिलाफ शिक्षक संघों का गुस्सा उबल रहा है. बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ ने आंदोलन की घोषणा कर दी है. इसे लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एक पत्र लिखा गया है कि शिक्षकों की समस्या का निदान अबतक नहीं हुआ है. मांगे पूरी नहीं होने के बाद अब 20 जनवरी को गर्दनीबाग में मुंह पर काली पट्टी बांध कर भूख हड़ताल पर शिक्षक बैठेंगे, ऐसा पत्र में लिखा गया है. विभाग की तरफ से जारी आदेश को वापस लेने की मांग की है.ऐच्छिक स्थानांतरण की प्रक्रिया को आसान बनाने की मांग के साथ ही शिक्षकों के रिटायर होने की तय सीमा 62 साल करने की मांग की गयी है.
वहीं स्कूलों की टाइमिंग को लेकर भी अपर मुख्य सचिव के के पाठक अपने आदेश पर डटे हुए हैं. उन्होंने साफ कर दिया है कि विद्यालयों में शिक्षकों को हर हाल में 8 घंटे की ड्यूटी करनी ही पड़ेगी. कमजोर छात्रों को कक्षा के बाद में पढ़ाने की बात पर उन्होंने जोर दिया. बता दें कि कई जगहाें पर शिक्षकों ने ये मांग की है कि उन्हें 5 बजे तक कक्षा लेने में परेशानी हो रही है. स्कूल दूर-दराज होने की वजह से घरेलू समस्या तो कहीं अन्य तरह की परेशानी का हवाला दिया गया. लेकिन के के पाठक ने स्पष्ट कर दिया है कि शिक्षकों को स्कूल आकर हर हाल में 8 घंटे की ड्यूटी देनी ही होगी. बता दें कि छुट्टियों को लेकर शिक्षा विभाग अब पूरी तरह सख्ती बरत रहा है. वहीं कई बीपीएससी टीचरों ने नौकरी ज्वाइन करने के बाद ही अपना इस्तीफा भी भेज दिया है. इनमें कई शिक्षक ऐसे भी हैं जिन्होंने कम छुट्टी का हवाला देकर अपना इस्तीफा दिया है.