नागरिक संशोधन अधिनियम (CAA) को लेकर बड़ी खबर आ रही है. बताया जा रहा है कि यह कानून लोकसभा चुनाव 2024 से पहले लागू कर दिया जाएगा. चुनाव से पहले केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार इसे नोटिफाइड कर सकती है. खबर ये भी है कि सरकार ने सीएए से जुड़े नियमों को तैयार कर लिया है और इसे दो से तीन महीने में अधिसूचित कर लिया जाएगा.
सीएए के नियम लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले अधिसूचित किए जाएंगे
पीटीआई की खबर के अनुसार संशोधित नागरिकता कानून (सीएए), 2019 के नियमों को लोकसभा चुनाव की घोषणा से काफी पहले अधिसूचित कर दिया जाएगा. अधिकारी ने कहा, हम जल्द ही सीएए के नियम जारी करने जा रहे हैं. नियम जारी होने के बाद, कानून लागू किया जा सकता है और पात्र लोगों को भारतीय नागरिकता दी जा सकती है.
सीएए को लेकर नियम तैयार
नियम तैयार हैं और ऑनलाइन पोर्टल भी तैयार है तथा पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी. आवेदकों को उस वर्ष की घोषणा करनी होगी, जब उन्होंने यात्रा दस्तावेजों के बिना भारत में प्रवेश किया था. आवेदकों से कोई दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा.
सीएए देश का कानून, इसे लागू होने से कोई रोक नहीं सकता: शाह
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले साल 27 दिसंबर को कहा था कि सीएए के कार्यान्वयन को कोई नहीं रोक सकता, क्योंकि यह देश का कानून है. शाह ने कहा था कि सीएए लागू करना भाजपा की प्रतिबद्धता है.
सीएए का जमकर हो रहा विरोध
एक ओर सीएए को लागू करने के लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार प्रतिबद्ध है, तो दूसरी ओर विपक्षी पार्टियों ने इसका जमकर विरोध किया है. AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, CAA संविधान विरोधी है. यह एक कानून है जो धर्म के आधार पर बनाया गया है. CAA को NPR-NRC के साथ पढ़ा और समझा जाना चाहिए जो इस देश में आपकी नागरिकता साबित करने के लिए शर्तें तय करेगा. यदि ऐसा होता है तो यह घोर अन्याय होगा, विशेषकर मुसलमानों, दलितों और भारत के गरीबों के साथ, चाहे वे किसी भी जाति या धर्म के हों.
नागरिकता का आधार नहीं हो सकता धर्म: मनीष तिवारी
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने सीएए पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए पिछले दिनों कहा था कि जिस देश के संविधान की प्रस्तावना में धर्मनिरपेक्षता निहित है, वहां धर्म नागरिकता का आधार नहीं हो सकता.
क्या है सीएए?
गौरतलब है कि नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा लाए गए सीएए के तहत बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए प्रताड़ित गैर-मुस्लिम प्रवासियों-हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई-को भारत की नागरिकता प्रदान की जाएगी. दिसंबर 2019 में संसद द्वारा सीएए पारित होने के बाद राष्ट्रपति से भी इसको मंजूरी मिल गई. हालांकि इसके बाद देश के कुछ हिस्सों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे.