KK Pathak News: बिहार के स्कूलों की टाइमिंग को लेकर शिक्षकों की नाराजगी कई बार सामने आयी है. वहीं एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जहां प्रशिक्षण ले रहे शिक्षकों के बीच जब शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक पहुंचे तो एक शिक्षक ने उनके सामने अनुरोध किया कि वो स्कूल के समय को लेकर जारी आदेश पर एकबार विचार करें और उन्हें राहत प्रदान करें. शिक्षक ने बताया कि अब 9 बजे से 5 बजे तक स्कूल में अनिवार्य रूप से कक्षा लेने के इस नए फरमान से उन्हें यानी शिक्षकों को क्या परेशानी हो रही है. के के पाठक की जमकर तारीफ भी उक्त शिक्षक ने की. वहीं के के पाठक ने लगे हाथ उन्हें यह बताया कि वो इसपर क्या सोचते हैं और क्या उन्होंने तय किया है. इधर, शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक की तरफ से राज्य के सभी जिलों के जिलाधिकारियों एवं उप विकास आयुक्तों को एक पत्र लिखा है जिसमें 8.30 घंटे तक स्कूलों के संचालन का जिक्र है.
के के पाठक का एक वीडियो वायरल हो रहा है जहां प्रशिक्षण ले रहे नियोजित शिक्षकाें के बीच के के पाठक पहुंचे थे. एक शिक्षक ने हाथ में माइक थामकर अपर मुख्य सचिव से कहा कि सर आपसे विनम्र आग्रह है कि शाम में हमलोग सब्जी नहीं खरीद पा रहे हैं जिसकी वजह से घर में कलह हो रहा है. विद्यालय से जाने में 5.30 से 6 बज जाता है और तब काफी अंधेरा हो जाता है. शिक्षक ने अनुरोध किया कि स्कूल का समय 4 बजे तक ही रहा जाए. शिक्षक ने कहा कि सर फिर कोई दूसरा के के पाठक ऐसा नहीं आएगा. तो अपर मुख्य सचिव भी मुस्कुराते दिखे.
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शिक्षकों को उम्मीद थी कि शायद कोई बात बने. लेकिन यहां मामला फिट नहीं बैठा. के के पाठक ने जवाब में कहा कि आप आज भी और 10 साल बाद भी शिक्षक रहेंगे. कहीं ऐसा नहीं होता कि विद्यालय 4 और 6 घंटे चलता है. उन्होंने कहा कि जब आप सरकारी सेवक रहते हैं तो 8 घंटा तो आपको बैठना होगा. वहां आपकी सब्जी, भाजी सब… देखिए ऐसा है कि आप आए हैं बच्चों को पढ़ाने. आपके कारण पीढ़ियां या तो बर्बाद हो जाती हैं या संवर जाती हैं. आप अगर घड़ी देखकर स्कूल आइएगा, जाइएगा तो नहीं चलेगा. ये पुनीत काम हैं. आपको जब गांव में सम्मान मिलता है तो आपको ही मिलता है. डॉक्टर व शिक्षक को लोग भगवान मानते हैं. देखिए हम अनुसाशन में समझौता नहीं कर सकते. आपको 8 घंटे तो रहना ही है. अब जब आप 8 घंटे रहते ही हैं तो पढ़ा ही लिजिए मन से… के के पाठक ने अपने जवाब से सबकुछ साफ कर दिया.
इधर, बिहार के प्रारंभिक विद्यालयों में प्रतिदिन 7.15 घंटे एवं माध्यमिक विद्यालयों में प्रतिदिन 8 घंटे 35 मिनट की पढ़ाई का प्रावधान नेशनल कुरिकुलम फ्रेमवर्क फॉर स्कूल एजुकेशन में किया गया है. आने वाले समय में राज्य के स्कूलों में यह समयावधि प्रभावी की जा सकती है.राज्य सरकार के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक की तरफ से राज्य के सभी जिलों के जिलाधिकारियों एवं उप विकास आयुक्तों को दिये गये निर्देश में कहा है कि अपने-अपने जिले में अवस्थित सरकारी टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेजों में (डायट, पीटीईसी, सीटीई, बायट) में चल रहे शिक्षकों-प्रधानाध्यापकों के प्रशिक्षण में नेशनल कुरिकुलम फ्रेमवर्क फॉर स्कूल एडुकेशन के बारे में भी बतायें. निर्देश में कहा गया है कि स्कूली शिक्षा के लिए नेशनल कुरिकुलम फ्रेमवर्क फॉर स्कूल एडुकेशन, 2023 प्रख्यापित है. लेकिन, इसकी थोड़ी सी भी जानकारी शिक्षकों एवं विद्यालय अध्यापकों को नहीं है.
नेशनल कुरिकुलम फ्रेमवर्क फॉर स्कूल एडुकेशन, 2023 के प्रावधानों में स्कूलों में एक वर्ष में 220 दिनों के कार्यदिवस का प्रावधान है. उसमें प्रारंभिक विद्यालयों में प्रतिदिन 7.15 घंटे एवं माध्यमिक विद्यालयों में प्रतिदिन 8.35 घंटे की पढ़ाई का उल्लेख है. इसके लिए नेशनल कुरिकुलम फ्रेमवर्क फॉर स्कूल एडुकेशन में समय-सारणी भी दी गयी है. इसके मद्देनजर शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक ने अपने निर्देश में अध्यापकों, शिक्षकों एवं अभिभावकों को नेशनल कुरिकुलम फ्रेमवर्क फॉर स्कूल एडुकेशन, 2023 से भी अवगत कराने के लिए कहा है. इसके लिए शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने राज्य के सभी जिलों के पदाधिकारियों को नेशनल कुरिकुलम फ्रेमवर्क फॉर स्कूल एडुकेशन, 2023 की प्रति भी दी गयी है.
जिलाधिकारियों एवं उप विकास आयुक्तों को दिये गये पत्र की प्रति बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के अध्यक्ष, सभी क्षेत्रीय शिक्षा उप निदेशकों, जिला शिक्षा पदाधिकारियों, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों एवं सभी स्कूलों के प्रधानाचार्यो को भी दी गयी है. नेशनल कुरिकुलम फ्रेमवर्क फॉर स्कूल एडुकेशन, 2023 एनसीईआरटी (राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद) द्वारा अधिसूचित है.