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झारखंड हाईकोर्ट ने मैनहर्ट कंपनी की हस्तक्षेप याचिका किया स्वीकार, बनाया प्रतिवादी

मैनहट कंपनी को रांची के सीवरेज-ड्रेनेज का डीपीआर तैयार करने का कार्य दिया गया था. इसके लिए 21 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया. डीपीआर घोटाले का मामला झारखंड विधानसभा में भी उठा था.

रांची : झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस अनिल कुमार चौधरी की अदालत ने मैनहर्ट मामले की एसीबी में दर्ज प्रारंभिक जांच (पीइ) की रिपोर्ट नहीं आने व प्राथमिकी दर्ज नहीं होने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान अदालत ने मैनहर्ट कंपनी की ओर से दायर हस्तक्षेप याचिका को स्वीकार करते हुए मामले में प्रतिवादी बनाया तथा जवाब दायर करने का निर्देश दिया. मामले की अगली सुनवाई तीन सप्ताह के बाद होगी. इससे पूर्व हस्तक्षेपकर्ता की ओर से वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार ने पैरवी की. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी विधायक सरयू राय ने क्रिमिनल रिट याचिका दायर की है.

इसमें कहा गया है कि मैनहट कंपनी को रांची के सीवरेज-ड्रेनेज का डीपीआर तैयार करने का कार्य दिया गया था. इसके लिए 21 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया. डीपीआर घोटाले का मामला झारखंड विधानसभा में भी उठा था. बाद में राज्य सरकार के निर्देश के बाद दिसंबर 2020 में एसीबी में पीई दर्ज की गयी थी, लेकिन जांच रिपोर्ट अब तक प्राप्त नहीं होने के बाद प्रार्थी ने याचिका दायर की है. प्रार्थी ने कहा है कि विधि परामर्श मांगने का मामला राज्य सरकार के पास एक वर्ष से अधिक समय से लंबित है. एसीबी ने अगस्त 2022 में ही विधि परामर्श मांगा था.

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बहुमंजिले भवनों के निर्माण मामले में यथास्थिति बरकरार

दीपाटोली के पास सेना की जमीन के समीप बन रहे बहुमंजिले भवनों के मामले में यथास्थिति (स्टेटस-को) बरकरार है. बुधवार को हाइकोर्ट ने यूनियन ऑफ इंडिया की ओर से दायर कैप्टन सुष्मिता बनर्जी की अपील याचिका पर आंशिक सुनवाई की. एक्टिंग चीफ जस्टिस एस चंद्रशेखर व जस्टिस अनुभा रावत चौधरी की खंडपीठ ने सुनने से इनकार करते हुए मामले को दूसरी सक्षम बेंच में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया. इससे पूर्व प्रतिवादी की ओर से निर्माण पर लगी रोक (स्टेटस-को) को हटाने का आग्रह किया गया, जिस पर खंडपीठ ने सुनवाई से इनकार कर दिया. आग्रह नहीं माना. प्रतिवादी चैलिश रियल स्टेट की ओर से अधिवक्ता सुमित गाड़ोदिया ने पक्ष रखा, जबकि अन्य प्रतिवादी की अोर से अधिवक्ता शैलेश कुमार सिंह ने पैरवी की. ज्ञात हो कि प्रार्थी यूनियन ऑफ इंडिया की ओर से कैप्टन सुष्मिता बनर्जी ने अपील याचिका दायर की है. उन्होंने एकल पीठ के आदेश को चुनौती दी है. एकल पीठ ने सेना के अधिकारियों की याचिका खारिज कर दी थी. पूर्व में 22 नवंबर 2023 को हाइकोर्ट ने प्रतिवादी को मामले में यथास्थिति बहाल रखने का निर्देश दिया था.

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