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गिरिडीह : वाटर फॉल में पुलिस के सहयोग से ग्रामीण करेंगे पर्यटकों की सुरक्षा

उसरी वाटर फॉल में स्थानीय गांव के ग्रामीणों ने पुलिस के सहयोग से पर्यटकों को बेहतर सुरक्षा व सुविधा उपलब्ध कराने का बीड़ा उठाया है. हालांकि, ग्रामीणों का यह अभियान दस वर्ष पहले से चल रहा है.

उसरी वाटर फॉल में स्थानीय गांव के ग्रामीणों ने पुलिस के सहयोग से पर्यटकों को बेहतर सुरक्षा व सुविधा उपलब्ध कराने का बीड़ा उठाया है. हालांकि, ग्रामीणों का यह अभियान दस वर्ष पहले से चल रहा है. लेकिन अब पुलिस के साथ तालमेल कर वह पर्यटकों को और बेहतर सुविधा उपलब्ध करायेंगे. गिरिडीह के एसपी दीपक कुमार शर्मा ने भी 31 दिसंबर को दौरा कर कई पर्यटकों से बातचीत की और वाटर फॉल की खूबसूरती का नजारा देखा. इस दौरान उन्होंने वाटर फॉल में सुरक्षा संभाल रहे उसरी जल प्रपात संचालन समिति के सदस्यों से भी मिलकर उनकी समस्या सुनीं. इस दौरान समिति के सदस्यों ने लाइफ जैकेट, कुर्सी, टेबल के साथ-साथ पहचान पत्र की मांग रखी. उनकी मांग को देखते हुए बुधवार को एसपी ने समिति के 47 सदस्यों को पहचान पत्र दिलाया है. साथ ही कुर्सी-टेबल खरीदने के लिए उन्हें 10 हजार रुपये व पांच लाइफ जैकेट उन्हें दिया गया. इस दौरान एसपी ने उन्हें कई सुझाव भी दिये. समिति के लोगों को कहा कि वह दूरदराज से आने वाले पर्यटकों की हर सुविधा के साथ-साथ पर्यटक स्थल के साफ-सफाई पर भी ध्यान रखें. ग्रामीणों के श्रमदान की बात सुनकर श्री शर्मा ने उनकी सराहना भी की और भरोसा दिलाया कि बेहतर तरीके से सेवा के इस कार्य में पुलिस भी साथ देगी.

ग्रामीणों की सुरक्षा देने पर बढ़ी पर्यटकों की संख्या

वैसे तो वर्ष 2007-08 में एक बस पर सवार लोगों के साथ हुई लूटपाट व छेड़छाड़ की घटना के कारण पर्यटक स्थल काफी प्रभावित हुआ था. उस समय पर्यटकों की संख्या में अचानक कमी आ गयी थी. इलाका को बदनाम होते देख गंगापुर और भितिया गांव के लोगों ने पर्यटकों को ना सिर्फ सुरक्षा मुहैया कराने का बीड़ा उठाया, बल्कि उनकी कई समस्याओं को दूर करने में भी अपना हाथ बंटाया. उसरी जल प्रपात संचालन समिति के अध्यक्ष कौलेश्वर सोरेन ने बताया कि वर्ष 2013 में युवा विकास समिति के नाम से कमेटी गठित की और लोगों को सुरक्षा देने का बीड़ा उठाया. बताया कि असामाजिक तत्वों की वजह से इलाका बदनाम हुआ था. लेकिन, ग्रामीणों के सहयोग से भयमुक्त माहौल बनाने में कामयाबी मिली. अब लोग बेफिक्र होकर सपरिवार इस क्षेत्र में आकर वाटर फॉल का लुत्फ उठा रहे हैं.

बंगाल समेत कई राज्यों से पहुंचते हैं सैलानी

उसरी वाटर फॉल के प्राकृतिक सौंदर्य का नजारा देखने प्रत्येक वर्ष पश्चिम बंगाल समेत बिहार, महाराष्ट्र, ओडिशा और राजस्थान से काफी संख्या में लोग आते हैं. नवंबर, दिसंबर, जनवरी और फरवरी में काफी संख्या में पर्यटक जाड़े के मौसम में धूप और ठंडापन का मजा लेते हैं. स्थानीय लोगों के साथ-साथ बाहर से आने वाले लोग पिकनिक कभी मनाते हैं. समिति के अध्यक्ष श्री सोरेन कहते हैं कि उसरी जलप्रपात संचालन समिति को चार पहिया और द ोपहिया वाहन की पार्किंग से ही कमाई होती है. आय का दूसरा स्रोत नहीं है. लेकिन, कई ग्रामीण श्रमदान करते हैं. बताया कि पिकनिक मनाकर लोग आसपास के इलाके में गंदगी फैलाकर चले जाते हैं. समिति के लोग ही दो दिनों में एक बार सफाई करते हैं. इस स्थल पर लोगों के ठहरने के लिए ना ही सामुदायिक भवन है और ना ही अन्य सुविधाएं. इनर व्हील क्लब ने पिछले दिनों एक शौचालय का निर्माण कराया है जिससे कुछ राहत मिलती है. बताया कि यदि कैफेटेरिया के रूप में इलाके को विकसित किया तथा सोलर लाइट व मैदान में पेवर्स लगाया जाये तो पर्यटकों की संख्या और बढ़ेगी.

रवींद्रनाथ टैगोर समेत कई लोग आते थे इस इलाके में

वाटर फॉल के प्राकृतिक सौंदर्य और झरने का अद्भुत नजारा देख कभी रवींद्रनाथ टैगोर, वैज्ञानिक जेसी बोस, सांख्यिकीय के जनक पीसी महालनोविस समेत कई लोग उसरी यहां पहुंचते थे. जानकार लोगों का कहना है कि इस इलाके के पेड़ पौधे पर भी वैज्ञानिक जेसी बोस अध्ययन किया करते थे. वहीं, कवि रवींद्रनाथ टैगोर ने कई कविताएं लिखी है. साहित्यिक बिरादरी नामक संस्था से जुड़े प्रभाकर कहते हैं कि रवींद्रनाथ टैगोर उसरी नदी और उसरी वाटर फॉल की सुंदरता से इतने प्रभावित थे कि वह प्राय: वहां पहुंचकर चट्टानों पर बैठ कर कविता लिखा करते थे. उनकी कई कविताओं में उसरी नदी और वाटर फॉल का जिक्र भी है. इसके अलावे प्रत्येक वर्ष बंगाल से भी काफी संख्या में सैलानी यहां पहुंचते हैं और यहां के अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य का लुत्फ उठाते हैं.

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