गोड्डा नगर परिषद की ओर से सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के तहत लगाया गया कचरा प्लांट अब तक चालू नहीं हो सका है. कचरा रिसाइक्लिंग प्लांट में केवल न के बराबर कचरा रिसाइक्लिंग हो रहा है. प्लांट में शहर के कचरे को डंप करने का काम किया जा रहा है. हर दिन कचरा डंप करने से वहां कचरे का पहाड़ बन गया है. शहर के विभिन्न गली-मोहल्लों से उठाया गया कचरा पहले शहर के सरकारी बस स्टैंड परिसर से सटे भूभाग में डोर डिलेवरी वाहन से उठाकर लाया जाता है. बाद में उसी कचरे का वजन कर धर्मोडीह भेजा जाता है. एक अनुमान के मुताबिक हर दिन तकरीबन 24-25 टन शहर का कचरा डंप यार्ड में जमा किया जाता है. यह नगर विकास विभाग की ओर से शहर के लिए अति महत्वाकांक्षी योजना थी, जिस पर निर्माण के साथ ही ग्रहण लगना शुरू हो गया था.
नगर विकास विभाग द्वारा आकांक्षा कंपनी को इस योजना का ठेका दिया गया था. योजना तकरीबन 82 लाख रुपये की थी. इस योजना को वर्ष 2016 में गोड्डा नगर परिषद के लिए लाया गया था. दो-तीन सालों में योजना को मूर्त रूप देना था. इसके तहत वर्ष 2016 से ही कचरा उठाव सिस्टम काम करने लगा था. लेकिन कचरा रिसाइक्लिंग का काम शुरू नहीं किया जा सका. इसको लेकर कई बार आकांक्षा कंपनी को विभाग द्वारा एक्सटेंशन भी देने का काम किया गया, लेकिन अब तक कचरा रिसाइक्लिंग प्लांट चालू करने की दिशा में ठोस पहल नहीं की गयी. प्लांट चालू है, इसके दिखावे के लिए केवल कचरा को नगर परिषद के द्वारा प्लांट में डंप कराये जाने का काम शुरू कर दिया गया, जो अब तक चालू है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार अब तक पर्यावरणीय स्वीकृति प्लांट चालू करने के लिए नहीं मिल पायी है. शुरूआत में ही इसके लिए संबंधित एजेंसी को जोर लगाना था. पड़ोसी जिला पाकुड़ को इस दिशा में पर्यावरणीय स्वीकृति मिल चुकी है. अब तो और भी परेशानी होने की संभावना है. क्योंकि केवल कचरा डंप होने से वहां रहने वाले लोगों का जीना हराम हो गया है. बारिश में तो और भी नारकीय हालत होती है, जिसको झेल पाना मुश्किल है. इससे आम जनों को भारी फजीहत झेलनी पड़ती है. जैसे-तैसे नगर परिषद शहर की समस्या को गांव में शिफ्ट करने पर आमदा है.
इस प्लांट के चालू नहीं होने से हर दिन दुर्गंध निकल रही है. इस मामले मे कई बार नगर परिषद को विरोध झेलना पड़ा है. आश्वासन देकर मामला शांत करा दिया जाता है, लेकिन अभी तक मामला टांय-टांय फिस्स है. कई बार तो ग्रामीणों ने प्लांट में ही ताला जड़ दिया. इसके बाद कचरा को यहां-वहां गिराया जाने लगा. बीच में कझिया नदी के मुहाने पर ही कचरा को डंप किया जाने लगा. इसके बाद वहां भी विरोध होना शुरू हो गया. कुल मिलाकर स्थिति ढाक के पात समान है. इस मामले में शुरूआती दिनों से ही परेशानी होना आरंभ हो गया था. मालूम हो कि कुछ दिनों तक शहर के सरकारी बस डीपो में ही कचरा डंप किया जाने लगा था. इससे आसपास जीना मुहाल हो गया था. इसको लेकर जब विभाग की फजीहत हुई, तो किसी प्रकार से धर्मोडीह प्लांट में कचरा शिफ्ट किया गया. लेकिन वहां भी समस्या का निराकरण नहीं होने से परेशानी ज्यों की त्यों हैं.
गोड्डा के नगर परिषद सिटी मैनेजर रोहित कुमार गुप्ता ने कहा कि अगले दो तीन महीने में कचरा रिसाइक्लिंग प्लांट ठीक तरीके से काम करने लगेगा. अभी भी काम कर रहा हैं, लेकिन आंशिक तरीके से. कुछ तकनीकी व विभागीय कारणों से पेंच फंसा हुआ है. जल्द ही इस प्लांट को चालू कर दिया जाएगा.
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