ATC India: कनाडा स्थित ब्रुकफील्ड 2.5 अरब अमेरिकी डॉलर के एक बड़े सौदे में अमेरिकन टावर कॉर्पोरेशन (ATC) के भारतीय कारोबार का अधिग्रहण करने के लिए पूरी तरह तैयार है. इसमें एटीसी इंडिया पर दो अरब अमेरिकी डॉलर का उद्यम मूल्य और एक अक्टूबर 2023 से लगने वाला ‘क्षतिपूर्ति शुल्क’ भी शामिल है. इस लेन-देन के लिए विनियामक की अनुमति आवश्यक है. इसके 2024 की दूसरी छमाही में पूरा होने की उम्मीद है. डीआईटी की ओर से दी गयी जानकारी के अनुसार, डेटा इंफ्रास्ट्रक्चर ट्रस्ट (DIT), ब्रुकफील्ड एसेट मैनेजमेंट के एक सहयोगी द्वारा प्रायोजित एक इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट ने आज भारत में अमेरिकन टॉवर के संचालन में 100 प्रतिशत इक्विटी हितों का अधिग्रहण करने के लिए एटीसी के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर करने की घोषणा की. इसका उद्यम मूल्य 16,500 करोड़ रुपये (दो अरब अमेरिकी डॉलर) है, जो प्रतिभूति खरीद समझौते के तहत पूर्व-समापन शर्तों के अधीन है. टावर कंपनी एटीसी इंडिया के पास देशभर में करीब 78,000 स्थान हैं. एटीसी की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि समापन के समय कुछ पूर्व-समापन शर्तों के तहत मौजूदा विनिमय दरों पर संभावित रूप से कुल कीमत करीब 21,000 करोड़ रुपये या 2.5 अरब अमेरिकी डॉलर तक बैठेगी.
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कंपनी की तरफ से दी गयी जानकारी के अनुसार, कुल लेन-देन में एटीसी इंडिया परिचालन पर करीब दो अरब अमेरिकी डॉलर का उद्यम मूल्य, साथ ही एक अक्टूबर 2023 से समापन की तारीख तक लगने वाला क्षतिपूर्ति शुल्क भी शामिल है. डीआईटी, समिट डिजीटेल और क्रेस्ट डिजीटेल के जरिए भारत में ब्रुकफील्ड के टेलीकॉम टावर कारोबार का संचालन करता है. यह भारतीय दूरसंचार क्षेत्र में ब्रुकफील्ड का तीसरा अधिग्रहण होगा. ब्रुकफील्ड के पास करीब 1,75,000 टावर हैं जिन्हें 2020 में रिलायंस इंडस्ट्रियल इन्वेस्टमेंट्स एंड होल्डिंग्स लिमिटेड से अधिग्रहित किया गया था. एटीसी इंडिया को डीआईटी में शामिल किया जाएगा, जिसमें मौजूदा दूरसंचार संपत्तियां शामिल हैं.
ब्रुकफील्ड में प्रबंध निदेशक (इंफ्रास्ट्रक्चर प्रमुख भारत तथा पश्चिम एशिया) अर्पित अग्रवाल ने कहा कि हम भारत में अपने मौजूदा दूरसंचार टावर खंड का विस्तार करने के लिए तत्पर हैं जो हमारे ग्राहकों तथा भागीदारों के लिए समाधानों की एक विस्तृत श्रृंखला को सक्षम बनाता है. उन्होंने कहा कि एटीसी इंडिया जैसे रणनीतिक अधिग्रहणों के जरिए हम डिजिटल संपर्क को सशक्त बनाने और पूरे क्षेत्र में दूरसंचार बुनियादी ढांचे के परिदृश्य को बदलने को प्रतिबद्ध हैं. भारत में ब्रुकफील्ड के पास इंफ्रास्ट्रक्चर, रियल एस्टेट, रिन्यूएबल पावर एंड ट्रांजिशन और प्राइवेट इक्विटी में प्रबंधन के तहत करीब 25 अरब अमेरिकी डॉलर की संपत्ति है.
कैसे एक कंपनी दूसरे कंपनी का अधिग्रहण करती है
कंपनी एक दूसरी कंपनी का अधिग्रहण (मर्जर और अक्कर्ता) करने के लिए दोनों कंपनियों में पहले वार्ता होती है. अधिग्रहण की योजना बनाने के लिए दोनों कंपनियों के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स एक समझौते पर सहमत होते हैं. इसमें अधिग्रहण के विवरण, समयसीमा, सम्पत्ति का मूल्यांकन, स्टॉक मुद्रा आदि का समायोजन होता है. एक बार योजना बनने और समझौते के बाद, नौबत (फॉर्म 23C और फॉर्म 1 नौबत) जारी किया जाता है. इसमें अधिग्रहण की प्रक्रिया और विवरण शामिल होते हैं. नौबत जारी करने के बाद, उसे सर्वोच्च न्यायालय या नौबत स्वीकृति अधिकारी को प्रस्तुत किया जाता है. स्वीकृति प्राप्त करने के बाद, योजना के मुताबिक अधिग्रहण का कार्यान्वयन शुरू किया जाता है. इसमें एक कंपनी दूसरी कंपनी के सम्पत्ति, स्टॉक, और सम्पत्ति का नियंत्रण प्राप्त करती है. अधिग्रहण के बाद, दोनों कंपनियों के विभिन्न प्रक्रिया, उत्पादन, वित्त, और प्रबंधन की प्रणालियों को एकीकृत किया जाता है. विभिन्न विभाजित संरचना को एक समेकित और संगठित संरचना में बदला जाता है.
(भाषा इनपुट के साथ)
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