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75 किमी प्रति घंटे से तेज नहीं चलेगी ट्रेन, जानें कोहरे को लेकर रेलवे बोर्ड की है क्या खास तैयारी

कोहरे और खराब मौसम के दौरान पूर्वी रेलवे ने सुरक्षा प्रोटोकॉल को बढ़ाने के उद्देश्य से व्यापक उपाय लागू किये हैं. इन उपायों में बुनियादी ढांचे, ट्रेन संचालन और चालक दल की तैयारी के विभिन्न पहलू शामिल हैं. इसका नतीजा परिचालन में दिख रहा है.

झाझा. रेल परिचालन को ले पूर्वी रेलवे विशेष रूप से कोहरे और खराब मौसम के दौरान रेलवे परिचालन की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लगातार कार्य कर रही है. इस प्रतिबद्धता के आलोक में पूर्वी रेलवे ने सुरक्षा प्रोटोकॉल को बढ़ाने के उद्देश्य से व्यापक उपाय लागू किये हैं. इन उपायों में बुनियादी ढांचे, ट्रेन संचालन और चालक दल की तैयारी के विभिन्न पहलू शामिल हैं. इसका नतीजा परिचालन में दिख रहा है.

कई कारगर उपाय किये गये

आसनसोल मंडल सूचना पदाधिकारी दीप्तिमय दत्त ने बताया कि ठंडी हवा चलने और सर्दियों में धुंध फैलने के साथ, पूर्वी रेलवे के सुरक्षा विभाग ने कोहरे के मौसम के दौरान ट्रेनों के सुरक्षित संचालन के लिए सभी संभव उपाय करने के लिए सभी विधाओं में काम कर रही है. इस कारण सुरक्षित रेल परिचालन हो रहा है. इसके लिए कई कारगर उपाय किये गये हैं.

बुनियादी ढांचे में सुधार

पीआरओ ने बताया कि कोहरे से प्रभावित क्षेत्रों में चलने वाले सभी लोकोमोटिव में विश्वसनीय फॉग सेफ उपकरणों की तैनाती, बेहतर दक्षता के लिए निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुसार स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली में संशोधन, पर्याप्त चूना मार्किंग और बढ़ी हुई दृश्यता सुविधाओं के प्रावधान के माध्यम से रेल बुनियादी ढांचे को मजबूत किया गया है.

कोहरे के मौसम के लिए तैयारी

उन्होंने बताया कि खराब दृश्यता की स्थिति में रंगीन प्रकाश सिग्नल को पूरक करने के लिए डेटोनेटर की पर्याप्त आपूर्ति, दृश्यता में सुधार के लिए कोहरे के मौसम की शुरुआत से पहले सभी सिग्नल बोर्ड, सीटी बोर्ड, फॉग सिग्नल पोस्ट, व्यस्त लेवल क्रॉसिंग के गेट बैरियर की मरम्मत का काम, गार्ड के ब्रेक वैन या अंतिम वाहन के पिछले सिरे पर लगे लाल टेल लैंप के अलावा एलईडी आधारित फ्लैशर टेल लाइट का प्रावधान किया गया है.

परिचालन उपाय

पीआरओ ने बताया कि कोहरे के दौरान भीड़ को कम करने के लिए लोको परिवर्तन और शंटिंग में कमी सहित आंदोलनों को तर्कसंगत बनाना, कोहरे का मौसम शुरू होने से पहले लोको पायलटों, सहायक लोको पायलटों और गार्डों के लिए पीएमई (आवधिक चिकित्सा परीक्षा)/पुनश्चर्या प्रशिक्षण को प्राथमिकता से पूरा करना, कोहरे के दौरान बढ़े हुए ड्यूटी घंटों को समायोजित करने के लिए चालक दल के स्थान बदलने और बुनियादी ढांचे के समायोजन की नियमित समीक्षा की जाती रही है.

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दृश्यता में वृद्धि व डेटोनेटर प्लेसमेंट

पीआरओ श्री दत्ता ने बताया कि आने वाली ट्रेनों के लिए डेटोनेटर कब लगाना है, यह तय करने में स्टेशन मास्टरों का मार्गदर्शन करने के लिए दृश्यता परीक्षण ऑब्जेक्ट (वीटीओ) की शुरूआत की गई है ताकि सही ढंग से परिचालन हो सके. उन्होंने बताया कि विश्वसनीय फॉग सेफ डिवाइस, पूर्व-चेतावनी और गति सीमा जैसे कारकों पर विचार करते हुए डेटोनेटर कब आवश्यक हैं, इस पर स्पष्ट दिशानिर्देश दी गयी है.

लोको पायलट के लिए सावधानियां

उन्होंने बताया कि कोहरे के दौरान लोको पायलटों के लिए निर्धारित व नियंत्रित गति सीमा 75 किमी प्रति घंटे से अधिक न होने पर जोर दिया गया है. समपारों पर द्वारपालों और सड़क उपयोगकर्ताओं को चेतावनी देने के लिए बार-बार सीटी बजाने की हिदायत दी गयी है. उन्होंने बताया कि कोहरे के दौरान कार्यरत ट्रेनों के सिस्टम पर चालक दल को प्रशिक्षित किया गया है. उन्होंने कहा कि पूर्वी रेलवे सुरक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर कायम है. ताकि सुरक्षित रेल परिचालन हो सके.

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