दुमका सदर अस्पताल को अपग्रेड कर फूलो झानो मेडिकल कॉलेज अस्पताल का दर्जा दे दिया गया. जिसे 300 बेड का अस्पताल बना दिया गया. लेकिन कर्मियों की कमी अब तक दूर नहीं की गयी. पीजेएमसीएच में चतुर्थवर्गीय कर्मी की कमी मरीजों के लिए परेशानी का सबब बन गयी है. पीजेएमसीएच में चतुर्थवर्गीय कर्मी का स्वीकृत पद 49 है. चार साल बीत जाने के बाद भी पीजेएमसीएच में चतुर्थवर्गीय कर्मी की बहाली नहीं हुई. सदर अस्पताल में चतुर्थवर्गीय कर्मी का 28 पद स्वीकृत है. इसमें स्थायी पद पर 17 और आउटसोर्सिंग के तहत 6 लोग सेवा दे रहे हैं. केवल 23 चतुर्थवर्गीय कर्मी के भरोसे 300 बेड का अस्पताल चल रहा है. ओपीडी, इमरजेंसी से वार्ड तक चतुर्थवर्गीय कर्मी की कमी देखी जा सकती है. ओपीडी के समय आठ कर्मियों को ड्यूटी पर देखा जाता है. लेकिन इमरजेंसी और नाइट में दो कर्मी ड्यूटी पर तैनात रहते हैं. जो मरीजों की संख्या के अनुरूप काफी कम है. इसके अलावा अन्य कर्मी स्वास्थ्य विभाग के अलग-अलग विभागों में सेवा दे रहे हैं.
300 शैय्या वाले फूलो झानो मेडिकल कॉलेज अस्पताल के इमरजेंसी और नाइट में प्रतिदिन हादसे में घायल या गंभीर मरीजों को लाया जाता है. स्टाफ की कमी के कारण एम्बुलेंस या निजी वाहन से उतारकर मरीजों को ले जाने में काफी परेशानी होती है. एक समय में एक से अधिक मरीज आ जाने से परिजनों को ही स्ट्रेचर में लाद कर मरीज को डॉक्टर के पास ले जाना पड़ता है. अगर मरीज के साथ कोई परिजन न रहे तो समस्या का घर बन जाता है. स्टाफ की कमी के कारण आये दिन झंझट होते देखा जाता है. वार्ड में तीनों शिफ्ट में पर्याप्त वार्ड एटेंडेंट नहीं रहने के कारण परिजनों को ही स्ट्रेचर पर मरीजों को लाना ले जाना पड़ता है. पीजेएमसीएच में मरीजों को बेहतर सुविधा मुहैया कराने के लिए मेडिसिन, सर्जरी, ऑर्थो, चाइल्ड, कैजुअल्टी, प्रसव और बर्न वार्ड का अलग-अलग संचालन होता है. ओडीपी के समय किसी किसी वार्ड में चतुर्थवर्गीय कर्मी ड्यूटी करते नजर आते हैं. आपातकालीन ड्यूटी में केवल इमरजेंसी डॉक्टर और प्रसव कक्ष में रहते हैं. जबकि तीनों शिफ्ट में प्रत्येक वार्ड में दो-दो वार्ड एटेंडेंट की आवश्यकता है.
क्या कहा सुपरिटेंडेंट ने
पीजेएमसीएच, दुमका के सुपरिटेंडेंट डॉ अनुकरण पूर्ति ने कहा कि चतुर्थवर्गीय कर्मी की आवश्यकता है. इस संबंध में विभाग से पत्राचार किया गया है. निर्देश मिलने के बाद बहाली प्रक्रिया शुरू की जायेगी.
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