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कौन है शाहजहां शेख, जिसके ठिकानों पर छापा मारना ईडी अधिकारियों को पड़ गया महंगा

राज्य मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक के 'करीबी' के रूप में जाना जाता है. राशन भ्रष्टाचार मामले में ज्योतिप्रिय को ईडी ने गिरफ्तार किया. वह फिलहाल जेल में हैं. खबर है कि ईडी के अधिकारी राशन 'भ्रष्टाचार' की जांच के लिए शाहजहां के घर भी गए थे.

पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ दल के कई नेताओं, मंत्रियों व विधायकों को शिक्षक भर्ती मामले (Teacher Recruitment Cases) और राशन भ्रष्टाचार मामले में ईडी ने गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार मंत्रियों में पार्थ चट्टोपाध्याय (भर्ती मामला) और ज्योतिप्रिय मल्लिक भी (राशन मामला) शामिल हैं. शिक्षक भर्ती मामले में तृणमूल विधायक माणिक भट्टाचार्य और जीवनकृष्ण साहा को भी गिरफ्तार किया गया था लेकिन केंद्रीय जांच एजेंसी को कहीं भी संदेशखाली जैसी स्थिति का सामना नहीं करना पड़ा. वहीं एक स्थानीय तृणमूल नेता के घर पर तलाशी अभियान में ऐसी बाधाओं का सामना करना पड़ा कि ईडी अधिकारियों और केंद्रीय बलों की एक टीम को पीछे हटने के लिए मजबूर होना पड़ा. इतना ही नहीं, खबर है कि विरोध के बीच ईडी के एक अधिकारी का सिर भी फट गया.


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ज्योतिप्रिय मल्लिक के ‘करीबी’ के रूप में जाने जाते है शाहजहां शेख

ईडी के तलाशी अभियान ने इस घटना को लेकर जोरदार विवाद खड़ा कर दिया है. कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय ने टिप्पणी की है कि राज्य में ‘संवैधानिक बुनियादी ढांचा’ ध्वस्त हो गया है. इस पर सत्ता पक्ष ने प्रतिक्रिया दी. लेकिन शाहजहां कौन हैं जिनके घर पर ईडी के हमले से इतना विवाद हो रहा है ? स्थानीय सूत्रों के अनुसार वह संदेशखाली विधानसभा में तृणमूल के संयोजक हैं. इसके अलावा शाहजहां के पास जिला परिषद के मछली और पशु मामलों के निदेशक का पद भी है. इलाके में उन्हें राज्य मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक के ‘करीबी’ के रूप में जाना जाता है. राशन भ्रष्टाचार मामले में ज्योतिप्रिय को ईडी ने गिरफ्तार किया. वह फिलहाल जेल में हैं. खबर है कि ईडी के अधिकारी राशन ‘भ्रष्टाचार’ की जांच के लिए शाहजहां के घर भी गए थे.

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2011 में  शाहजहां शेख ने तृणमूल का दामन थामा था 

2011 में लेफ्ट को सत्ता से बेदखल कर तृणमूल कांग्रेस सत्ता में आई थी. एक चौथाई का दावा है कि वामपंथियों के सत्ता के गलियारों से चले जाने के बाद शाहजहां ने लाल सेना छोड़ दी और तृणमूल में शामिल हो गये. प्रारंभ में किसी पद पर नहीं रहे. लेकिन शाहजहां के संगठनात्मक कौशल को एक शीर्ष तृणमूल नेता ने ‘देख लिया’. शाहजहां को उनके हाथ से तृणमूल का पद मिल गया. फिर शाहजहां के पद में बढ़ोत्तरी होती चली गई.

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