उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) हर साल दुनिया के पर्यटन मानचित्र (Tourist Map) पर नया व ऐतिहासिक रेकॉर्ड के साथ अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करा रहा है. यूपी आने वाले पर्यटकों (Tourists) की साल 2022 में संख्या जहां 31.85 करोड़ थी तो वहीं 2023 के शुरुआती 9 महीने में ही 32 करोड़ से अधिक पर्यटकों ने विजिट किया है. इसमें बड़ी संख्या विदेशी पर्यटकों (Foreign Tourists) की भी है. प्रदेश में सबसे अधिक पर्यटकों ने काशी (Kashi) का रुख किया. प्रयागराज (Prayagraj) और अयोध्या (Ayodhya) आने वाले सैलानियों की संख्या भी करोड़ों में रही. उत्तर प्रदेश में बीते वर्षों में पर्यटन का विकास कैसे हुआ है आइये यहां जानते हैं. अयोध्या में पर्यटकों की संख्या में कितना इजाफा हुआ है. साथ रही अन्य बड़े स्थलों जैसे काशी, आगरा (Agra), मथुरा (Mathura) में कैसे प्रगति हुई है. अयोध्या में नवनिर्मित भव्य राम मंदिर में (Ram Mandir) राम लला Ram Lalla) की प्राण प्रतिष्ठा समारोह 22 जनवरी को होनी है. लेकिन इससे पहले राम नगरी सज संवर रही है. पीएम मोदी (PM Modi) ने हाल ही में यहां पुनर्निर्मित रेलवे स्टेशन और नए एयरपोर्ट का उद्घाटन किया है, जो पूरे क्षेत्र के संपर्क को बढ़ाने में मदद कर रहा है. इसके साथ ही अयोध्या में अधोसंरचना विकास के लिए ग्रीनफील्ड टाउनशिप की भी आधारशिला रखी गई. इन तमाम कदमों से अयोध्या में पर्यटन को भरपूर बढ़ावा मिल रहा है, जिसका फायदा पूरे उत्तर प्रदेश के पर्यटन क्षेत्र को हो रहा है.
Also Read: Ayodhya: ‘सूर्य की आभा’ से रोशन होगी ‘सूर्यवंश की राजधानी’ अयोध्या को सौर ऊर्जा से मेकओवर कर रही योगी सरकार
उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग (Uttar Pradesh Tourism Department) के तरफ से जारी किए आधिकारिक आंकड़ों को देखें तो राज्य में हर साल पर्यटक बढ़ रहे हैं, जिसमें घरेलू और विदेशी पर्यटक दोनों शामिल हैं. साल 2017 में राज्य में कुल 23,75,33,823 पर्यटक आए, जिसमें घरेलू पर्यटक 23,39,77,619 जबकि विदेशी पर्यटक 35,56,204 थे. अगले साल यानी 2018 में इस आंकड़ों में 21.60% का उछाल आया. इस साल कुल 28,88,60,600 सैलानियों ने प्रदेश का दौरा किया, जिसमें भारतीय 28,50,79,848 जबकि विदेशी 37,80,752 थे. 2019 में आंकड़े में एक बार फिर जबरदस्त इजाफा हुआ और 2018 के मुकाबले इस बार 87.14% ज्यादा सैलानी यूपी आए. 2019 में कुल 54,06,00,343 सैलानी प्रदेश आए जिसमें घरेलू 53,58,55,162 और विदेशी 47,45,181 थे। 2019 में प्रयागराज में हुआ अर्ध कुंभ इस इजाफे की बड़ी वजह रहा है. बता दें कि 2020 कोरोना महामारी काल ऐसा साल रहा जिसमें यूपी का पर्यटन क्षेत्र को काफी नुकसान उठाना पड़ा था. 2019 की तुलना में इस साल 83.92% कम यानी 8,70,13,225 सैलानी ही प्रदेश आए जिसमें भारतीय 8,61,22,293 और विदेशी 8,90,932 थे. 2021 में कोरोना पाबंदियों में ढील के साथ पर्यटन क्षेत्र में एक बार फिर वृद्धि हुई और 2020 के मुकाबले इस बार 26.14% ज्यादा सैलानी उत्तर प्रदेश पहुंचे. 2021 में कुल 10,97,53,172 पर्यटकों ने प्रदेश का दौरा किया जिसमें भारतीय 10,97,08,435 जबकि विदेशी 44,737 थे. साल 2022 में यूपी का पर्यटन और तेजी से बढ़ा और इस बार 65% अधिक सैलानी प्रदेश पहुंचे. 2022 में कुल 31,85,62,573 पर्यटक उत्तर प्रदेश आए जिसमें घरेलू 31,79,13,587 जबकि विदेशी 6,48,986 थे।.
राम मंदिर का निर्माण शुरू होने के साथ रामनगरी के पर्यटन उद्योग को भी पंख लग गए हैं. देशी-विदेशी पर्यटकों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है. रामायण सर्किट और घाटों के सौंदर्यीकरण से जहां आकर्षण बढ़ा तो वहीं दिवाली पर दीपोत्सव ने भी आंगतुकों को अपनी ओर खींचा है. अयोध्या में पर्यटकों के लिए आंकड़े देखें तो 2017 में कुल 2,84,299 पर्यटक शहर आए. अगले वर्ष यानी 2018 में यह आंकड़ा बढ़ा और 3,18,545 सैलानी पवित्र नगरी पहुंचे. 2019 में 3,42,332 आगंतुक अयोध्या आए. 2020 वह साल वह था जब शहर में सबसे कम पर्यटक आए. कोरोना की पाबंदियों की वजह से 1,73,530 सैलानी ही यहां आए सके. 2021 में कोविड नियमों में कुछ ढील का असर दिखा और इस साल 2,83,208 लोगों ने शहर का दौरा किया. 2022 वह साल था जब राम नगरी आने वाले पर्यटकों की संख्या एकदम से बढ़ी. इस साल कुल 2,39,10,479 सैलानियों ने शहर का दौरा किया जिसमें घरेलू पर्यटक 2,39,09,014 और विदेशी पर्यटक 1465 शामिल हैं.
Also Read: Ayodhya Ram Mandir: राम लला के ससुराल से गहना, कपड़ा समेत 1100 भार अयोध्या रवाना
भारत के सबसे पुराने शहरों में से एक प्रयागराज का प्राचीन ग्रंथों में भी जिक्र है. यह शहर ‘प्रयाग’ या ‘तीर्थराज’ के नाम से जाना जाता है. प्रयागराज तीन नदियों- गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम पर स्थित है. समागम-बिंदु को त्रिवेणी के रूप में जाना जाता है और यह हिंदुओं के लिए बहुत ही पवित्र है. प्रयागराज में प्रत्येक छह वर्षों में अर्ध कुंभ और प्रत्येक बारह वर्षों में महाकुंभ, इस धरती पर तीर्थयात्रियों का सबसे बड़ा आयोजन होता है. यहां आने वाले सैलानियों की संख्या देखें तो 2017 में 4,18,74,662 थी. इसके बाद 2018 में यह आंकड़ा 4,48,15,467, 2019 में 28,52,28,710 रहा है. साथ ही 2019 में वर्ष अर्ध कुंभ मेले के कारण प्रयागराज में पर्यटकों की संख्या में जबरदस्त इजाफा देखा गया था. वहीं 2020 में 3,19,33,758 पर्यटक, 2021 में 1,12,13,496 पर्यटक और 2022 में 2,55,17,007 पर्यटक प्रयागराज आए.
वाराणसी या काशी दुनिया के सबसे पुराने जीवित शहरों में से एक है. अंग्रेजी लेखक और साहित्यकार मार्क ट्वेन ने एक बार लिखा था कि बनारस इतिहास से भी पुराना है, परंपरा से पुराना है, किंवदंती से भी पुराना है. काशी की भूमि सदियों से हिंदुओं के लिए परम तीर्थ स्थान रही है. शहर 3000 वर्षों से शिक्षा और सभ्यता का केंद्र बना हुआ है. जिस स्थान पर बुद्ध ने आत्मज्ञान के बाद अपने पहले उपदेश का प्रचार किया था, वह वाराणसी से मात्र 10 किमी दूर है. जैनों के लिए भी एक तीर्थ स्थान, वाराणसी को 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ का जन्मस्थान माना जाता है. बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी यूपी के पर्यटक का अहम हिस्सा है और यहां भी पर्यटन का दायरा बढ़ा है. 2017 में 59,47,355 घरेलू और 3,34,708 विदेशी पर्यटकों के साथ वाराणसी आने वालों की कुल संख्या 62,82,063 रही है. इसके बाद 2018 में कुल 64,44,860, 2019 में 67,97,775 और 2020 में 9,82,492 सैलानी बाबा की नगरी पहुंचे. 2021 में यहां कुल 30,78,479 आगंतुक पहुंचे और इसी साल 13 दिसंबर को काशी विश्वनाथ गलियारे का उद्घाटन हुआ था. गलियारा बनने के साथ वाराणसी आने वालों की संख्या में जबरदस्त उछाल देखने को मिला. 2022 में 7,12,31,051 लोग वाराणसी आए जिमसें घरेलू पर्यटक 7,11,47,310 और विदेशी पर्यटक 83,741 थे.
Also Read: Ayodhya Ram Mandir: प्रभु श्रीराम के आदर्शों को जन-जन तक पहुंचाएगी योगी सरकार, यह है तैयारी
मथुरा राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के 145 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में स्थित है. प्राचीन काल के दौरान मथुरा एक महत्वपूर्ण केंद्र था. हिंदू शास्त्रों के मुताबिक मथुरा ब्रज या बृज-भूमि के केंद्र में भगवान कृष्ण का जन्मस्थान है. महाभारत और भागवत पुराण महाकाव्यों के मुताबिक, मथुरा सुरसना साम्राज्य की राजधानी थी, जिसका शासन श्री कृष्ण के मामा कंस ने किया था. भगवान कृष्ण की नगरी में पिछले कुछ वर्षों में सैलानियों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है. यहां 2017 में 72,53,305 सैलानी पहुंचे थे. इसके बाद 2018 में 76,88,210 सैलानी, 2019 में 82,69,835, 2020 में 13,70,972, 2021 में 54,38,762 और 2022 में 89,16,036 पर्यटकों ने यहां का दौरा किया.
आगरा मुगल-युग की इमारतों, विशेष रूप से ताजमहल, आगरा किला और फतेहपुर सीकरी के कारण एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, जिनमें से तीन यूनेस्को की विश्व विरासत साइटें हैं. शहर दिल्ली और जयपुर के साथ आगरा गोल्डन त्रिकोण पर्यटन सर्किट में शामिल है. ताज नगरी में आने वाले सैलानियों के आंकड़े देखें तो इसमें भी उछाल आया है. साल 2017 में 1,02,69,006 पर्यटकों ने शहर का दीदार किया. इसके बाद 2018 में 1,06,28,435 तो 2019 में 1,08,66,284 सैलानी शर पहुंचे. कोरोना काल के दौरान 2020 में 26,97,145 और 2021 में 42,61,336 पर्यटक आए. वहीं 2022 में ताज नगरी का पर्यटन ठोस सुधरा और इस साल कुल 94,70,667 लोगों ने शहर की यात्रा की.