16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

पाकुड़ : सोहराय पर्व के जरिये आदिवासी समुदाय के लोग एकता व सौहार्द का संदेश

सोहराय पर्व मनाने का मुख्य उद्देश्य गाय और बैलों को खुश करना है. पर्व के पहला दिन गढ़ पूजा पर चावल गुंडी के कई खंड का निर्माण कर पहला खंड में एक अंडा रखा जाता है.

पाकुड़ : सोहराय पर्व के माध्यम से आदिवासी समुदाय के लोग एकता एवं सौहार्द का संदेश देते हैं. यह एक ऐसा त्योहार है, जिसमें भाईचारा, एकता, सामूहिक खान-पान करने का मौका मिलता है. यह पर्व परिवार व प्रकृति से जुड़ा है. इस पर्व में जीवनयापन से जुड़ी एवं जरूरत से जुड़ी सभी चीजों की पूजा की जाती है. सोहराय पर्व हमारी सभ्यता व संस्कृति का प्रतीक है. यह पर्व पालतू पशु और मानव के बीच गहरा प्रेम स्थापित करता है. किसान अपने खेतों में पशुधन के सहयोग से अच्छी धान की फसल होने की खुशी में यह पर्व मनाते हैं.

सात दिनों तक किया जाता है तरह-तरह के आयोजन

सोहराय पर्व मनाने का मुख्य उद्देश्य गाय और बैलों को खुश करना है. पर्व के पहला दिन गढ़ पूजा पर चावल गुंडी के कई खंड का निर्माण कर पहला खंड में एक अंडा रखा जाता है. बैल गायों के सींग पर तेल लगाये जाने की परंपरा रही है. दूसरे दिन गोहाल पूजा पर मांझी थान में युवकों द्वारा लठ खेल का प्रदर्शन किये जाने की परंपरा रही है. तीसरे दिन खुंटैव पूजा पर प्रत्येक घर के द्वार पर बैलों को बांधकर पीठा पकवान का माला पहनाया जाता है. चौथे दिन जाली पूजा पर घर-घर में चंदा उठाकर प्रधान को दिया जाता है और सोहराय गीतों पर नृत्य गीत चलता है. पांचवें दिन हांकु काटकम कहलाता है. इस दिन आदिवासी लोग मछली ककड़ी पकड़ते हैं. छठे दिन आदिवासी झुंड में शिकार के लिए निकलते हैं. शिकार में प्राप्त खरगोश, तीतर आदि जंतुओं को मांझीथान में इकट्ठा कर घर-घर प्रसादी के रूप में बांटा जाता है. संक्रांति के दिन को बेझा तुय कहा जाता है. इस दिन गांव के बाहर नायकी सहित अन्य लोग ऐराडम पेड़ को गाड़कर तीर चलाते हैं.

Also Read: पाकुड़ डीसी ने कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय का किया औचक निरीक्षण

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें