16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

उत्तरायण संक्रांति कब है, पौराणिक मान्यताएं और इस पर्व का महत्व

Uttarayana 2024: उत्तरायण के बाद ऋतु और मौसम में परिवर्तन होने लगता है. उत्तरायण की वजह से रातें छोटी और दिन बड़े होने लगते हैं. जब सूर्य उत्तरायण होता है तो यह तीर्थ और उत्सवों का समय होता है.

Uttarayana 2024: उत्तरायण का पर्व 15 जनवरी को है, इस दिन को उत्तरायण संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है. उत्तरायण सूर्य की एक दशा है. उत्तरायण काल की शुरुआत 14 जनवरी से होती है, इस दौरान सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है. इस दिन मकर संक्रांति का पर्व भी मनाया जाता है. यह त्योहार गुजरात और महाराष्ट्र में उत्तरायण के नाम से मनाया जाता है. उत्तरायण काल शुभ फल देने वाला होता है. उत्तरायण को देवताओं का दिन कहा जाता है, इसलिए इस काल में नए कार्य, यज्ञ व्रत, अनुष्ठान, विवाह, मुंडन जैसे कार्य करना शुभ माना जाता है.

उत्तरायण काल का महत्व

हिंदू धर्म में सूर्य का दक्षिण से उत्तर दिशा की ओर गमन करना बेहद शुभ माना गया है. मान्यता है कि जब सूर्य पूर्व से दक्षिण की ओर चलते हैं, इस दौरान सूर्य की किरणों को खराब माना गया है, लेकिन जब सूर्य पूर्व से उत्तर की ओर गमन करने लगते हैं, तब उसकी किरणें सेहत और शांति को बढ़ाती हैं. इस दौरान सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है इसलिए इसे मकर संक्रांति भी कहा जाता है, जो कि हिंदू धर्म में एक बड़ा पर्व है. उत्तरायण के बाद ऋतु और मौसम में परिवर्तन होने लगता है. उत्तरायण की वजह से रातें छोटी और दिन बड़े होने लगते हैं. जब सूर्य उत्तरायण होता है तो यह तीर्थ और उत्सवों का समय होता है.

उत्तरायण काल पर होने वाले वैदिक कर्म कांड

  • शास्त्रों में उत्तरायण काल को सकारात्मकता का प्रतीक माना गया है जबकि दक्षिणायन को नकारात्मकता का प्रतीक माना गया है.

  • उत्तरायण काल को ऋषि मुनियों ने जप, तप और सिद्धि प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण माना है.

  • उत्तरायण को देवताओं का दिन माना जाता है. क्योंकि इस समय सूर्य देवताओं का अधिपति होते हैं.

  • मकर संक्रांति उत्तरायण काल का पहला दिन होता है, इस दिन स्नान, दान और पुण्य करना शुभ फलदायी होता है.

  • 6 महीने का समय उत्तरायण काल कहलाता है. यह माघ से आषाढ़ महीने तक माना जाता है.

  • उत्तरायण काल में गृह प्रवेश, दीक्षा ग्रहण, विवाह और यज्ञोपवित संस्कार आदि शुभ माना जाता है.

Also Read: Makar Sankranti 2024: मकर संक्रांति पर बन रहा वरियान योग का अद्भुत संयोग, जानें स्नान-दान का मुहूर्त और महत्व
सूर्य के उत्तरायण काल से जुड़ीं पौराणिक मान्यताएं

शास्त्रों में उत्तरायण काल के महत्व का वर्णन भी मिलता है. हिंदू धर्म के पवित्र ग्रंथ श्रीमद भागवत गीता में स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि, उत्तरायण के 6 माह के शुभ काल में पृथ्वी प्रकाशमय होती है, इसलिए इस प्रकाश में शरीर का त्याग करने से मनुष्य का पुनर्जन्म नहीं होता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. महाभारत काल के दौरान भीष्म पितामह जिन्हें इच्छामृत्यु का वरदान प्राप्त था. उन्होंने भी मकर संक्रांति के दिन शरीर का त्याग किया था.

वैदिक ज्योतिष में उत्तरायण काल का महत्व

हिंदू पंचांग के अनुसार एक वर्ष में सूर्य दो बार राशि परिवर्तन करता है और यही परिवर्तन उत्तरायण और दक्षिणायन के नाम से जाना जाता है. जब सूर्य मकर राशि से मिथुन राशि तक भ्रमण करते हैं, इस समय को उत्तरायण काल कहा जाता है. वहीं जब सूर्य कर्क राशि से धनु राशि तक संचरण करते हैं, इसे दक्षिणायन काल कहा जाता है. इस तरह सूर्य के दोनों अयन 6-6 महीने के होते हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें