भभुआ. दुर्गावती जलाशय परियोजना पर वन विभाग के निर्माण कार्य से बांध को क्षति पहुंच रही है, जहां वन विभाग द्वारा पैसा लेकर अपनी 5160 एकड़ जमीन दुर्गावती जलाशय परियोजना के लिए सिंचाई विभाग को हस्तांतरित करने के बावजूद उस पर अतिक्रमण करते हुए निर्माण व खुदाई का काम कराया जा रहा है. इससे उस पर बने बांध को नुकसान पहुंच रहा है. दुर्गावती बांध के कार्यपालक अभियंता ने वन विभाग के डीएफओ को पत्र लिखकर बांध के क्षति का हवाला देते हुए निर्माण कार्य पर तत्काल रोक लगाने की बात कही है.
खुदाई किया जाना पूरी तरह से प्रतिबंधित
दरअसल, दुर्गावती बांध के कार्यपालक अभियंता ने वन विभाग के डीएफओ को पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने कहा है कि तकनीकी रूप से बांध पर किसी तरह का निर्माण किया जाना, किसी तरह की खुदाई किया जाना पूरी तरह से प्रतिबंधित है. किसी तरह के निर्माण व खुदाई से बांध को नुकसान पहुंचता है. ऐसे में वन विभाग द्वारा कराया जा रहा निर्माण व खुदाई का काम पूरी तरह से अवैध है.
स्थानांतरित की जा चुकी है जमीन
कार्यपालक अभियंता ने अपने पत्र में यह भी कहा है कि दुर्गावती बांध के निर्माण के लिए 5160 एकड़ जमीन वन विभाग से लिया गया था, जिसका दो किस्तों में 1975 में 59 करोड़ रुपये वन विभाग को भुगतान कर दिया गया था. इसके बाद वन विभाग द्वारा 5100 एकड़ जमीन दुर्गावती जलाशय के लिए स्थानांतरित भी किया जा चुका है. इसके बावजूद वन विभाग द्वारा कराया जा रहा निर्माण व खुदाई का कार्य पूरी तरह से गलत है. दुर्गावती बांध के कार्यपालक अभियंता ने कराये जा रहे निर्माण व खुदाई के कार्य को अवैध व वन विभाग द्वारा किया जा रहा अतिक्रमण बताया है.
Also Read: औरंगाबाद में भीषण सड़क हादसा, ट्रक और पिकअप के बीच टक्कर, दोनों ड्राइवर की मौत
बिना अनुमति हो रहा निर्माण
उन्होंने कहा है कि जगह-जगह पर खुदाई किये जाने के कारण बांध असुरक्षित हो रहा है, बांध में किसी तरह का निर्माण कार्य करने के लिए विभाग के तकनीकी टीम से किसी विशेष परिस्थिति में भी अनुमति लेनी होती है. जिस तरह से अवैध तरीके से वन विभाग द्वारा निर्माण व खुदाई के कार्य कराया जा रहा, उससे बांध को लेकर असुरक्षा की स्थिति उत्पन्न हो रही है, ऐसे में वन विभाग तत्काल इस पर रोक लगाये.
बांध को नुकसान पहुंचाने की बात गलत
दुर्गावती बांध के कार्यपालक अभियंता के भेजे गये पत्र पर जब कैमूर के डीएफओ चंचल प्रकाशम से पूछा गया, तो उन्होंने सिरे से खारिज करते हुए कहा कि कार्यपालक अभियंता द्वारा लगाया गया आरोप पूरी तरह से गलत है. कहीं भी किसी तरह के निर्माण से बांध को कोई क्षति नहीं पहुंच रही है, इसे कोई भी जाकर देख सकता है.