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Gardening tips: ठंड में पौधों को शीतलहर से बचाव जरुरी, इन टिप्स से करें देखभाल

बदलते मौसम में पौधों को देखभाल की ज्यादा जरूरत होती है. खासतौर पर विंटर सीजन में शीतलहर चलती है, तब इन्हें बचाना एक कठिन काम होता है. ऐसी स्थिति में घर की बालकनी या टेरेस पर लगाए गए पौधों की देखभाल कैसे करें, यहां हम जानेंगे.

विंटर सीजन में नमी की वजह से कीड़ों का प्रकोप होता है. इससे बचने के लिए नीम की पत्तियों का प्रयोग कर सकते हैं. कीड़े लगने से पौधों की वृद्धि रुक जाती है और कुछ दिनों बाद यह सूखने लगते हैं. नीम की सूखी पत्तियों का डस्ट बनाकर इनका छिड़काव करना चाहिए. साथ ही यह भी ध्यान रखना चाहिए कि इसका छिड़काव ज्यादा मात्रा में न करें, क्योंकि नीम की पत्तियों में नाइट्रोजन की मात्रा अधिक होती है जिससे पौधे नष्ट हो सकते हैं. सप्ताह में एक या दो बार नीम की डस्ट का छिड़काव किया जा सकता है. पौधों को देखभाल करने के कुछ आइडियाज हैं.

घर के लिक्विड फर्टिलाइजर का करें इस्तेमाल

नीम की पत्तियों से लिक्विड फर्टिलाइजर बनाया जा सकता है इससे पौधों के लिए जरूरी न्यूट्रिएंट्स मिल जाते हैं. साथ ही इसका कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता.

लिक्विड फर्टिलाइजर ऐसे बनाएं

  • ज्यादा संख्या में पौधे हों तो ढाई सौ ग्राम नीम के पत्ते लें.

  • साथ ही नारियल के छिलके लें.

  • दो नारियल के छिलकों को उतारने के बाद उन्हें करीब 24 घंटे तक भिगो कर रखें.

  • इन्हें करीब 6 लीटर पानी में भिगोएं.

  • 24 घंटे के बाद नारियल के छिलकों को निकालकर उसका पानी रख लें.

  • नीम की पत्तियों को भी 24 घंटे भिगोने के बाद उसका पानी अलग कर लें.

  • नीम की पत्तियों को 10 मिनट तक धीमी आंच पर पकाएं.

  • पकाने के बाद पत्तियों को मसल कर उसे पानी के साथ लिक्विड बना लें.

  • इसमें नारियल के छिलकों का पानी मिलाएं.

  • अब आपका लिक्विड फर्टिलाइजर तैयार है.

  • सप्ताह में दो बार पौधों पर छिड़काव किया जा सकता है.

  • इस मिट्टी खोदकर भी डाला जा सकता है.

पौधों में होगी ग्रोथ

विंटर सीजन में पौधों की ग्रोथ कम होती है. ऐसी स्थिति में सरसों की खली का प्रयोग किया जा सकता है. सरसों की खली आपको मिल से प्राप्त हो सकती है. इसका प्रयोग सप्ताह में दो बार किया जा सकता है. इससे पौधे हरे भरे हो जाते हैं और ग्रोथ भी अच्छी होती है.

सरसों की खली का प्रयोग

  • सरसों की खली को कम से कम दो दिनों तक पानी में भिगोकर रखना होगा.

  • इसके बाद पानी से निकाल कर भीगी खली को 30 मिनट तक हवादार जगह पर छोड़ दें. थोड़ी धूप भी लगनी चाहिए.

  • जितनी खली है उतनी ही मात्रा में गार्डन की मिट्टी लें और उसमें सरसों खली को अच्छी तरह से मिक्स कर लें.

  • 2 सप्ताह में एक बार इसे गमले में डालें. पौधों में अच्छी ग्रोथ होगी.

पौधों को घर में रखें

विंटर सीजन में पौधों को अत्यधिक पाला से बचाने के लिए गमलों को घर में रखें और जब भी धूप हो तो इन्हें धूप में लाकर धूप दिखा दें. इस तरह से विंटर सीजन में आपके पौधे नष्ट होने से बच जाएंगे. यदि पौधों को घर में ले जाना संभव नहीं हो तो उसे प्लास्टिक शीट से या तिरपाल से ढक दें.

अत्यधिक पानी न दें

विंटर सीजन में पौधों को वातावरण से नमी मिलती रहती है. इसलिए इस सीजन में अधिक पटवन की आवश्यकता नहीं होती. आवश्यकता पड़े तो दो या तीन दिन पर एक बार पौधों की प्रकृति के अनुसार गमले में पानी दे सकते हैं. ज्यादा पानी का प्रयोग करने पर पौधे मर सकते हैं.

तेज हवा और बारिश से बचाव जरूरी

विंटर सीजन में हवा ड्राई और कम आर्द्र होती है, जो पौधों के लिए अनुकूल नहीं होती. ऐसे में इन्हें बचाना होता है. इसलिए इन्हें ऐसी जगह पर रखें जहां ज्यादा हवा नहीं चलती हो. इन्हें तेज हवा से बचना जरूरी होता है. वैसे स्थान जहां विंटर सीजन में ज्यादा बारिश होती हो वहां गमले या कंटेनर में लगे पौधों को ऐसी जगह पर रखें, जहां पानी का जमाव उसमें न हो सके. गमले में पानी का भराव होने से पौधों की रूटें सडड़ सकती हैं. इसलिए गमले में पानी इकट्ठा न होने दें. पौधे में रूट रॉट जैसी बीमारियों का खतरा रहता है.

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कटाई छटाई करने वाले यंत्र हो स्टेरलाइज

विंटर सीजन में पौधों की कटाई छटाई करते वक्त यह ध्यान रखें इसके लिए प्रयोग किए जा रहे यंत्र स्टेरलाइज हों. क्योंकि ऐसा नहीं होने से कटी हुई जगह पर फंगस का प्रकोप हो सकता है. पौधों के ऐसे अंग इनफेक्टेड हो सकते हैं जिससे यह खराब हो सकते हैं.

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