चाईबासा : जल-जंगल-जमीन की रक्षा के लिए अंग्रेजों से युद्ध करनेवाले अमर शहीद पोटो हो के वंशज आज अपनी ही जमीन से बेदखल कर दिये गये हैं. हैरत की बात यह है कि कोर्ट से केस जीतने के बाद बीडीओ से लेकर मुख्यमंत्री तक गुहार लगायी, लेकिन जमीन पर कब्जा नहीं मिला. पोटो के वंशज जापान पुरती, रमेश पुरती, जगन्नाथ पुरती व मंगल पुरती व अन्य का आरोप है कि करीब 62 एकड़ पुश्तैनी जमीन पर 30 साल से कुछ लोगों का अवैध कब्जा है.
कोल्हान भूमि बचाओ समिति के अध्यक्ष विनोद कुमार सावैयां सोमवार को राजाबासा पहुंचे. उन्होंने मामले की जानकारी लेकर मदद का आश्वासन दिया. पोटो हो के वंशजों ने बताया कि यह कब्जा 30 वर्ष पुराना है. गरीबी की वजह से कोर्ट में लड़ने की ताकत भी अब नहीं रही. कब्जेदार जमीन पर खेती कर रहे हैं. हमलोग दूसरों के खेतों में मजदूरी करने को विवश हैं. सरकार हमें हमारी जमीन वापस दिलाये.
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कोल विद्रोह के दौरान सेरेंगसिया घाटी युद्ध का नेतृत्व करनेवाले पोटो हो को शहीद का दर्जा प्राप्त है. जगन्नाथपुर प्रखंड अंतर्गत राजाबासा में उनका गांव है. इस गांव को शहीद ग्राम का सरकारी दर्जा प्राप्त है. वहीं, पोटो हो के नाम से राज्य में एक योजना भी चलती है. राजाबासा में गांव में पोटो हो के एक दर्जन से अधिक वंशज हैं. वे अत्यंत गरीब हैं. अधिकतर वंशज निरक्षर हैं.
वंशजों ने बताया कि एक साल पहले जगन्नाथपुर अंचल कार्यालय की टीम ने गांव आकर जांच की थी. इसका क्या हुआ पता नहीं चला. कुछ वर्ष पूर्व सेरेंगसिया में आयोजित सरकार आपके द्वार कार्यक्रम में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने उनको किचन शेड व मोबाइल देकर सम्मानित किया था.