13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

शिबू सोरेन 80वें जन्मदिन पर काटेंगे 80 पौंड का केक, परिवार के साथ समारोह में शामिल होंगे हेमंत सोरेन

Happy Birthday Shibu Soren|शिबू सोरेन ने युवा अवस्था में ही मुखिया का चुनाव लड़ा, पर धोखे से उन्हें हराया गया. संताल युवाओं को एक कर पहले संथाल नवयुवक संघ बनाया. संताल के उत्थान के लिए सोनोत संथाल समाज का गठन किया. संताल की जमीन पर महाजनों द्वारा कब्जा करने के खिलाफ धानकटनी आंदोलन आरंभ किया.

Happy Birthday Shibu Soren|झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के केंद्रीय अध्यक्ष व राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन का 80वां जन्मदिन 11 जनवरी को है. इसे वृहत स्तर पर आयोजित करने का निर्णय झामुमो पार्टी ने लिया है. 11 जनवरी को शिबू सोरेन के आवास में जिला समिति द्वारा 80 पौंड का केक काटा जायेगा. इस मौके पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन समेत पार्टी के तमाम वरिष्ठ पदाधिकारी, मंत्री व विधायक भी मौजूद रहेंगे. पार्टी के महासचिव विनोद पांडेय ने बताया कि 80वां जन्मदिन को पूरे राज्य में हर्षोल्लास के साथ मनाया जायेगा. अलग-अलग जिलों में भी पार्टी के पदाधिकारी तैयारी कर रहे हैं. गरीबों के बीच फल व कंबल का वितरण किया जायेगा. जो लोग मुख्यालय में हैं, वे गुरुजी के आवास में जाकर उनका जन्मदिन मनायेंगे. रांची में भी गरीबों के बीच फल व कंबल वितरित किये जायेंगे. विभिन्न मोर्चों की अलग-अलग तैयारी है. जन्मदिन समारोह में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सपरिवार शामिल होंगे. उनके अलावा विधायक बसंत सोरेन, सीता सोरेन समेत परिवार के अन्य सदस्य भी शामिल होंगे.

शिबू साेरेन के 80 साल का सफर

  • वर्तमान रामगढ़ जिले के नेमरा में 11 जनवरी,1944 को शिबू सोरेन का जन्म हुआ था.

  • बचपन में नाम शिवलाल. बाद में शिबू सोरेन नाम हुआ.

  • गोला हाइ स्कूल से पढ़ाई की. प्रारंभिक पढ़ाई उन्होंने नेमरा के ही सरकारी स्कूल से की थी.

  • 27 नवंबर, 1957 को उनके पिता सोबरन सोरेन की महाजनों ने हत्या कर दी थी. उनके पिता शिक्षक थे और गांधीवादी थे. अन्याय के खिलाफ आवाज उठाते थे. महाजनों द्वारा जमीन पर कब्जा करने का वे विरोध करते थे.

  • पिता की हत्या के बाद पढ़ाई छोड़ कर महाजनों के खिलाफ संघर्ष का फैसला किया था.

  • गोला के आसपास महाजनों के खिलाफ युवाओं को एकजुट कर संघर्ष आरंभ किया.

  • युवा अवस्था में ही मुखिया का चुनाव लड़ा, पर धोखे से उन्हें हराया गया.

  • संताल युवाओं को एक कर पहले संथाल नवयुवक संघ बनाया.

  • संताल के उत्थान के लिए सोनोत संथाल समाज का गठन किया.

  • संताल की जमीन पर महाजनों द्वारा कब्जा करने के खिलाफ धानकटनी आंदोलन आरंभ किया.

  • गोला, पेटरवार, जैनामोड़, बोकारो में आंदोलन मजबूत करने के बाद विनोद बिहारी महतो से मुलाकात हुई. फिर धनबाद गये. वहां कुछ दिनों तक विनोद बाबू के घर पर ही रहते थे.

  • पुलिस से बचने के लिए शिबू सोरेन ने पारसनाथ की पहाड़ियों के बीच पलमा गांव को अपना केंद्र बनाया. फिर टुंडी के पास पोखरिया में आश्रम बनाया.

  • टुंडी के आसपास महाजनों के कब्जे से संथालों की जमीन को मुक्त कराया.

  • आदिवासियों के उत्थान के लिए सामूहिक खेती, पशुपालन, रात्रि पाठशाला आदि कार्यक्रम चलाया.

  • टुंडी और उसके आसपास शिबू सोरेन की समानांतर सरकार चलती थी. उनकी अपनी न्याय व्यवस्था थी. कोर्ट लगाते थे व फैसला सुनाते थे.

  • तोपचांची के पास जंगल में एक दारोगा की हत्या के बाद शिबू सोेरेन को किसी भी हाल में पकड़ने का सरकार ने आदेश दिया था.

  • धनबाद के तत्कालीन उपायुक्त केबी सक्सेना ने शिबू सोरेन से जंगल में स्थित उनके अड्डे पर मुलाकात कर उन्हें मुख्य धारा में शामिल करने के लिए राजी किया था.

  • 1973 में शिबू सोरेन, विनोद बिहारी महतो और एके राय ने मिल कर झारखंड मुक्ति मोरचा की स्थापना की थी. विनोद बाबू अध्यक्ष और शिबू सोरेन महासचिव बने.

  • 1975 में आपातकाल के दौरान शिबू सोरेन को समर्पण के लिए तैयार कराया गया था. बाद में उन्हें धनबाद जेल में रखा गया था. झगड़ू पंडित उनके साथ थे.

  • तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के निर्देश पर बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ जगन्नाथ मिश्र ने शिबू सोेरेन की रिहाई का रास्ता साफ किया था. जेल में बंद शिबू सोरेन से गोपनीय तरीके से बोकारो बुलाकर डॉ मिश्र ने मुलाकात की थी.

  • 1977 में शिबू सोरेन ने टुंडी से विधानसभा का चुनाव लड़ा, लेकिन चुनाव हार गये.

  • टुंडी से चुनाव में हार के बाद शिबू सोरेन ने संथालपरगना को अपना नया ठिकाना बनाया.

  • 1980 में शिबू सोरेन ने दुमका संसदीय सीट से चुनाव लड़ा और पहली बार सांसद बने. उसके बाद कई बार दुमका से सांसद बनते बने. राज्यसभा से सांसद रहे.

  • झारखंड मुक्ति मोरचा ने अलग झारखंड राज्य के लिए उनकी अगुवाई में लंबा आंदोलन चलाया. आर्थिक नाकेबंदी की, झारखंड बंद रखा.

  • विनोद बाबू के अलग होने के बाद शिबू सोरेन ने निर्मल महतो को नया अध्यक्ष बनाया.

  • 1987 में निर्मल महतो की हत्या के बाद शिबू सोरेन खुद अध्यक्ष बने और शैलेंद्र महतो को महासचिव बनाया.

  • 1993 में नरसिंह राव सरकार को बचाने के लिए शिबू सोरेन और उनके सहयोगी सांसदों पर गंभीर आरोप लगे और उन्हें जेल भी जाना पड़ा.

  • झारखंड राज्य बनने के पहले झारखंड स्वायत्त परिषद (जैक) बना. 9 अगस्त, 1995 को शिबू सोरेन जैक के अध्यक्ष बने.

  • 1999 का लोकसभा चुनाव हार जाने के कारण जब 2000 में लोकसभा में झारखंड विधेयक पारित हुआ, उस समय वे सांसद नहीं थे. इसलिए बहस में भाग नहीं ले सके.

  • 15 नवंबर, 2000 को जब झारखंड का गठन हुआ, तो उनका सपना साकार हुआ पर संख्या बल में कमी होने के कारण वे झारखंड के पहले मुख्यमंत्री नहीं बन सके. बाबूलाल पहले सीएम बने थे.

  • 2005 के विधानसभा चुनाव के बाद 2 मार्च, 2005 को शिबू सोरेन पहली बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने, लेकिन संख्या बल में कमी के कारण बहुमत सिद्ध होने के पहले ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया. इससे पूर्व वे केंद्र में कोयला मंत्री भी बने.

  • 27 अगस्त, 2008 को दूसरी बार शिबू सोरेन झारखंड के मुख्यमंत्री बने.

  • शिबू सोरेन मुख्यमंत्री थे और उन्हें छह माह के भीतर किसी भी सीट से विधायक बनना था, उन्होंने तमाड़ विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा. 9 जनवरी, 2009 को मुख्यमंत्री रहते हुए वे चुनाव हार गये और उन्हें इस्तीफा देना पड़ा.

  • तमाड़ चुनाव में हार के बावजूद हालात ऐसे बने कि उसी साल (30 दिसंबर, 2009) को शिबू सोरेन को फिर से मुख्यमंत्री बनाया गया. मई 2010 में उनकी सरकार गिर गयी.

  • 2014 में जब पूरे देश में मोदी लहर थी, उस लहर में भी शिबू सोरेन झामुमो से जीत कर सांसद बने.

  • 2019 के लोकसभा चुनाव में दुमका से हार गये. बाद में राज्य सभा से सांसद बन गये. अभी वे राज्यसभा के सदस्य हैं.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें