अगर हम आपको बताएं कि अब हर पांच साल में फोन बदलना पड़ेगा, तो आप दंग रह जाएंगे. लोकिन सह सच है. क्योंकि, सरकार की एक नई पॉलिसी आई है, जिसे Scrap Policy कहा जा रहा है. इसके तहत सरकार ने Mobile Phones, Laptop, Fridge, TV, AC और भी बहुत कुछ जिसकी एक्सपाईरी डेट तय कर दी है. ऐसे प्रडक्टस को Scrap करवाना पड़ेगा. सोशल मीडिया पर कई सारे पोस्ट में कहा जा रहा है कि सरकार स्मार्टफोन के लिए नई स्क्रैप पॉलिसी लाई है. इसके मुताबिक हर पांच साल में फोन को कबाड़ में डालना होगा. यह एकदम बकवास है. ऐसा कुछ भी नहीं हैं. आइए इस पॉलिसी से जुड़े जरूरी फैक्ट जानते है. दरअसल हमें हर पांच साल में अपना स्मार्टफोन बदलना पड़ेगा. क्योंकि सरकार नई स्क्रैप पॉलिसी (Government of India new scrap policy) लेकर आई है.
ऐसे माना जाता है कि स्मार्टफोन की SAR वैल्यू पांच साल के बाद बढ़ने लगती है. SAR वैल्यू जिसका मतलब स्पेशिफिक एब्जॉर्शन रेट (SAR) होता है. इससे यह पता चलता है कि कोई भी डिवाइस कितना रेडिएशन फैला रही है. इसको ऐसे भी समझ सकते है कि कोइ भी डिवाइस कितना रेडिएशन फैला रही है इसका मानक मीटर होता है.
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किसी भी डिवाइस का SAR लेवल 1.6 W/Kg से ज्यादा नहीं होना चाहिए. इसी स्टेंडर्ड को दुनिया मानती है. भारत सरकार ने भी इसी को मानक माना हुआ है और अपनी वेबसाइट पर इसके बारे में डिटेल में जानकारी दी हुई. ये मानक 1 सितंबर 2013 से लागू हैं और स्मार्टफोन से लेकर दूसरे तमाम प्रोडक्ट पर कड़ाई से लागू होता है. स्मार्टफोन के बॉक्स पर इसको मेंशन किया जाता है. हालांकि हर डिवाइस के हिसाब से अलग-अलग होती है.
आपको बता दें कि सार वैल्यू समय के साथ बढ़ने के भी अभी तक कोई सबूत नहीं मिली हैं. कमाल बात यह है कि इसको चेक करना भी चंद सेकंड का काम है. बस आरको अपने स्मार्टफोन के डायल पैड में जाकर *#07# टाइप करना है और सार वैल्यू स्क्रीन पर नजर पड़ जाएगी. बाकी आप हमे बताइए की आपका फोन कितना साल पुराना है और आर कितने साल में आप अपने फोन को टेंज करते हैं. इसके साथ हमें यह भी बताए की आप अपने पुराने फोन का क्या करते है…
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