गया. बॉलीवुड फिल्म स्टार संजय दत्त विशेष चार्टर्ड विमान से आज गया पहुंचे. गया एयरपोर्ट पर संजय दत्त का भव्य स्वागत किया गया. फिल्म अभिनेता संजय दत्त के प्रशंसकों ने इस दौरान जय श्रीराम के नारे लगाए. संजय दत्त अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति और मुक्ति की कामना लेकर बिहार की धार्मिक राजधानी गया जी आए हैं. सनातन धर्मावलंबियों के आस्था का केंद्र मोक्ष भूमि गया जी के पवित्र पावन विष्णुपद मंदिर प्रांगण में पूर्वजों की मुक्ति का मार्ग प्रशस्त के लिए पिंडदान और तर्पण किया. संजय दत्त ने अपने पिता सुनील दत्त और मां नरगिस दत्त की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और तर्पण किया.
माता व पिता का किया श्राद्ध
संजय दत्त के पिता सुनील दत्त का निधन 25 मई 2005 और मां नरगिस दत्त का निधन 3 मई 1981 में हुआ था. माता-पिता की आत्मा की शांति के लिए आज उन्होंने गया आकर पिंडदान और तर्पण किया. संजय दत्त के गया आगमन को लेकर सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किये गये थे. इस दौरान संजय दत्त सफेद कुर्ता और पायजामा में नजर आए उनकी एक झलक पाने के लिए लोग बेचैन दिखे. संजय दत्त के साथ सेल्फी लेने के लिए होड़ मच गयी.
एयरपोर्ट से सीधा विष्णुपद मंदिर पहुँचे संजय दत्त
नामचीन सिनेस्टार संजय दत्त गुरुवार की दोपहर करीब 3 बजे विष्णुपद मंदिर पहुँचे. करीब ढ़ाई बजे संजय दत्त गया एयरपोर्ट पर चार्टर्ड प्लेन से उतरे. अपने पिता स्वर्गीय सुनील दत्त के मोक्ष की कामना को लेकर गया एयरपोर्ट से सीधे विष्णुपद आए जहां पहले से इसकी तैयारी की गई थी. बताया गया है कि पहले से ही इसे लेकर सूचना दी जा चुकी थी. विष्णुपद परिसर स्तिथ हनुमान मंदिर में पिंडदान की व्यवस्था की गई थी. उन्होंने गयापाल पंडा अमरनाथ मेहरवार के सानिध्य में गया श्राद्ध किया गया.
भारतीय परिधान में पूरा किया कर्मकांड
कर्मकांड के दौरान संजय दत्त भारतीय परिधान में दिखे. सफेद कुर्ता- पायजामा पहने बाबा संजय दत्त ने पूरे विधान के साथ एकदिन का कर्मकांड किया संपन्न किया. इस दौरान गया में कड़े सुरक्षा प्रबंध किए गए थे. हिंदू धर्म में पिंडदान का बड़ा महत्व होता है. गया में हर साल आश्विन माह में पितृपक्ष मेला का आयोजन किया जाता है. इस दौरान देश भर से श्रद्धालु गया पहुंचते हैं और अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान करते हैं.
विदेशों से भी तर्पण को आते हैं लोग
पितृपक्ष मेले में विदेशों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं. गत वर्ष रूस-यूक्रेन में मारे गए सैनिकों और आम जनों की आत्मा की शांति के लिए युलिया नामक महिला ने पिंडदान किया था. उनके अलावे जर्मनी, फ्रांस, अमेरिका समेत कई देशों के श्रद्धालु गया आए और पितृपक्ष मेले की काफी सराहना की. सबने पिंडदान के कर्मकांड में भी भाग लिया.