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2016 हॉर्स ट्रेडिंग केस में रघुवर दास, अनुराग गुप्ता और अजय कुमार को क्लीन चिट

चुनाव आयोग के निर्देश पर जगन्नाथपुर थाना में वर्ष 2018 में हॉर्स ट्रेडिंग का केस दर्ज किया गया था. केस में तब आरोपी सिर्फ अनुराग गुप्ता और अजय कुमार को प्राथमिकी अभियुक्त बनाया गया था.

रांची : राज्यसभा चुनाव, 2016 हॉर्स ट्रेनिंग केस में पुलिस ने तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास (वर्तमान में ओडिशा के राज्यपाल), स्पेशल ब्रांच के तत्कालीन एडीजी और वर्तमान में सीआइडी सह एसीबी के डीजी अनुराग गुप्ता और तत्कालीन मुख्यमंत्री के प्रेस सलाहकार अजय कुमार को क्लीन चिट दे दी है. हटिया के डीएसपी सह अनुसंधानकर्ता राजा मित्रा ने केस का अनुसंधान पूरा कर लिया है. अनुसंधान में साक्ष्य नहीं मिले हैं. डीएसपी ने अदालत में फाइनल रिपोर्ट समर्पित कर दी है. केस के अनुसंधानक (आइओ) ने यह कार्रवाई अनुसंधान में आये तथ्यों, गवाहों के बयान, एफएसएल की रिपोर्ट और विधि-विशेषज्ञों से परामर्श के आधार पर की है. विधि-विशेषज्ञों की राय थी कि केस के अनुसंधान में साक्ष्य नहीं मिले हैं. इसलिए मामले को अधिक दिनों तक लंबित रखना उचित नहीं है. आइओ ने केस से जुड़े एक ऑडियो रिकॉर्डिंग को भी हैदराबाद एफएसएल के पास भेजा था. रिपोर्ट आने के बाद पुलिस को यह जानकारी मिली कि केस में साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत ऑडियो रिकॉर्डिंग सही नहीं है. इसमें आवाज को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किया गया है.

वर्ष 2018 में दर्ज हुआ था केस

उल्लेखनीय है कि चुनाव आयोग के निर्देश पर जगन्नाथपुर थाना में वर्ष 2018 में हॉर्स ट्रेडिंग का केस दर्ज किया गया था. केस में तब आरोपी सिर्फ अनुराग गुप्ता और अजय कुमार को प्राथमिकी अभियुक्त बनाया गया था. इस केस का अनुसंधान खुद जगन्नाथपुर थाना प्रभारी कर रहे थे, लेकिन बाद में इस केस में तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास को भी अप्राथमिकी अभियुक्त बनाया गया था. इसके साथ ही पुलिस के स्तर से केस में पीसी एक्ट की धारा जोड़ी गयी थी. इसके बाद से केस का अनुसंधान हटिया डीएसपी कर रहे थे. डीएसपी को केस के अनुसंधान के आरोप से संबंधित कोई तथ्य नहीं मिले थे.

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इस केस में तत्कालीन उप निर्वाचन पदाधिकारी राजेश रंजन, पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी, तत्कालीन विधायक निर्मला देवी, विधानसभा के तत्कालीन संयुक्त सचिव राम निवास यादव सहित कई अन्य लोगों का बयान पुलिस ले चुकी है. बयान सहित पूर्व में आये अनुसंधान के तथ्यों के आधार पर पूर्व में भी हटिया डीएसपी ने केस में एक फाइनल रिपोर्ट तैयार की थी. इसमें भी किसी प्रकार के कोई साक्ष्य नहीं मिले थे, लेकिन डीएसपी की रिपोर्ट के आधार पर तत्कालीन सिटी एसपी ने कुछ बिंदुओं पर जांच कर आगे की कार्रवाई का निर्देश दिया था. इसके आधार पर केस में नये सिरे से जांच शुरू की गयी थी.

क्या था मामला

वर्ष 2016 के राज्यसभा चुनाव में महेश पोद्दार एनडीए के प्रत्याशी थे. वहीं, यूपीए की ओर से वर्तमान में दुमका से विधायक बसंत सोरेन उम्मीदवार थे. इस चुनाव में आरोप लग रहा था कि एनडीए की ओर से अपने वोट के लिए योगेंद्र साव, जिनकी पत्नी निर्मला देवी तब बड़कागांव से विधायक थीं, को मैनेज किया जा रहा था. योगेंद्र साव के मार्फत बातचीत हो रही थी. बातचीत का एक ऑडियो योगेंद्र साव ने जारी था, जिसके बाद तत्कालीन विधायक निर्मला देवी ने मामले को लेकर शिकायत की थी. इस चुनाव में बहुत ही करीबी अंतर से महेश पोद्दार जीत गये थे. उधर, निर्मला देवी ने भी मतदान किया था. लेकिन, जेएमएम विधायक चमरा लिंडा ऑर्किड अस्पताल में भर्ती रहे और वोट देने नहीं पहुंचे थे. मामले में यह भी आरोप था कि निर्मला देवी को अनुराग गुप्ता सहित अन्य लोगों ने कई बार वोट नहीं देने के लिए फोन किया था. लेकिन, जब मामले में मोबाइल नंबर का सीडीआर निकाला गया, तब बातचीत होने से संबंधित तथ्य की पुष्टि नहीं हुई.

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