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झारखंड में कोर्ट फी स्टांप की भारी कमी, ब्लैक में अधिक कीमत पर मिल रहा

कोर्ट फी स्टांप की कमी के कारण नकल निकलवाने, जमानत याचिका दाखिल करने, हाजिरी देने, जमानत के बाद जेल से निकलने के लिए बेल बांड भरने में वकीलों के साथ आमलोगों को भी परेशानी हो रही है

अजय दयाल, रांची :

झारखंड में कोर्ट फी स्टांप की भारी कमी हो गयी है. इस कारण झारखंड हाइकोर्ट व सिविल कोर्ट सहित एग्जीक्यूटिव कोर्ट के वकील, मुवक्किल व आमलोगों को काफी परेशानी हो रही है. वहीं, समय पर लोगों को आदेश की सर्टिफाइड कॉपी नहीं मिल पा रही है. स्टांप वेंडरों के पास कोर्ट फी स्टांप उपलब्ध नहीं है. हालांकि, ब्लैक में में दो से तीन गुना अधिक कीमत पर मिल रहा है. ज्ञात हो कि झारखंड हाइकोर्ट की खंडपीठ ने डीसी मंडल की जनहित याचिका में आदेश पारित किया था कि राज्य में कभी कोर्ट फी स्टांप की कमी नहीं हो. कोर्ट फी स्टांप कम होने के पहले ही उसकी उपलब्धता सुनिश्चित की जाये, ताकि लोग परेशान नही हों.

कोर्ट फी स्टांप की कमी के कारण नकल निकलवाने, जमानत याचिका दाखिल करने, हाजिरी देने, जमानत के बाद जेल से निकलने के लिए बेल बांड भरने में वकीलों के साथ आमलोगों को भी परेशानी हो रही है. कोर्ट फी स्टांप के लिए लोगों को भटकना पड़ रहा है. वहीं, ई-कोर्ट फी के लिए कई साइबर कैफे को लाइसेंस दिया गया है, लेकिन फर्जी लोग भी ई-कोर्ट फी निकाल ले रहे हैं. कई जगह तो ई-कोर्ट फी की फोटो काॅपी का प्रयोग किया जा रहा है. इससे सरकार को भी राजस्व की हानि हो रही है. कुछ वेंडर 100 रुपये की कोर्ट फी के लिए 130 से 150 रुपये ले रहे हैं.

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हर दिन 4000 आवेदन पर लगाया जाता है स्टांप

सिविल कोर्ट में प्रतिदिन लगभग 4000 आवेदनों पर स्टांप लगाया जाता है. इसके लिए हर दिन मुवक्किलों के लिए उनके वकीलों को जूझना पड़ता है. कोर्ट फी स्टांप एक, दो, पांच, 10 व 20 व 100 रुपये का होता है. एक, दो व पांच रुपये के स्टांप के लिए वकीलों व मुवक्किलों को 40 से 50 रुपये देने पड़ रहे हैं.

सरकार को करोड़ों का राजस्व आता है

नकल निकलवाने, हाजिरी देने, अग्रिम या नियमित जमानत अर्जी, शपथ पत्र, वकालतनामा, सिविल कोर्ट, डीसी कोर्ट, एसडीओ कोर्ट, उपभोक्ता फोरम, श्रम न्यायालय, राजस्व न्यायालय, वाणिज्यकर न्यायालय आदि कार्यों के लिए कोर्ट फी स्टांप की जरूरत होती है. इससे सरकार को करोड़ों का राजस्व आता है.

ट्रेजरी में पड़ा है कोर्ट फी स्टांप : संजय विद्रोही

रांची जिला बार एसोसिएशन के पूर्व महासचिव संजय विद्रोही का कहना है कि ट्रेजरी में करोड़ों का कोर्ट फी स्टांप पड़ा हुआ है. यदि उसे रिलीज किया जाये, तो साल भर कोर्ट फी स्टांप की किल्लत नहीं होगी. कई कोर्ट में ई-कोर्ट फी मान्य नहीं है. वेंडर से खरीदा हुआ कोर्ट फी स्टांप ही मान्य है. कई मुकदमा में टाइम बांड होता है. लेकिन, कोर्ट फी स्टांप नहीं रहने के कारण कोर्ट द्वारा दिये गये समय के अंदर याचिका दाखिल नहीं हो रही है. नकल नहीं निकल पाने के कारण कई मुकदमों में वकीलों को परेशानी हाे रही है. कोर्ट फी स्टांप कोलकाता और अन्य जगहाें खरीद कर रांची में उसकी कालाबाजारी की जा रही है.

मेरी ओर से दायर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कहा गया था कि कोर्ट फी स्टांप की कमी नहीं होगी. इसके बाद हाइकोर्ट ने यह कहते हुए याचिका को निष्पादित कर दिया था कि राज्य में कभी कोर्ट फी स्टांप की कमी नहीं होनी चाहिए. इसकी आपूर्ति लगातार बनी रहे. लेकिन, आज स्थिति यह है कि कोर्ट फी स्टांप मिलना मुश्किल हो गया है. सरकार शीघ्र स्टांप की कमी दूर करे, अन्यथा फिर कोर्ट की शरण में जायेंगे.

-डीसी मंडल, पूर्व अध्यक्ष, अधिवक्ता लिपिक संघ, झारखंड हाईकोर्ट

राज्य में कोर्ट फी स्टांप की कोई कमी नहीं है. वहीं, रांची में ई-कोर्ट फी स्टांप के लिए सभी विभागों सहित लाइसेंसधारी साइबर कैफे के संचालकों को वेबसाइट की जानकारी दी गयी है. कोर्ट फी स्टांप का सेंटर रांची है. आइजी रजिस्ट्रार के आदेश पर ट्रेजरी अफसर के माध्यम से कोर्ट फी स्टांप सभी जिले को दिया जाता है. यदि कोई वेंडर इसकी कालाबाजारी कर रहा है, तो एसडीओ को छापेमारी कर कार्रवाई करनी चाहिए.

-सुनील कुमार सिन्हा, जिला कोषागार पदाधिकारी, रांची

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