अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में चारों पीठ के शंकराचार्य शामिल नहीं होंगे ऐसी खबर मीडिया में चल रही थी. लेकिन उनमें से दो शंकराचार्यों ने सोशल मीडिया पर लेटर जारी करके इस आयोजन को अपना समर्थन दिया है. विश्व हिंदी परिषद (विहिप) के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने गुरुवार को कहा कि प्राण प्रतिष्ठा समारोह में द्वारका और श्रृंगेरी पीठ के शंकराचार्यों के बयान पहले से ही सबको मालूम है. लेकिन अब पुरी पीठ के शंकराचार्य भी इस समारोह के पक्ष में हैं. उन्होंने कहा है कि वे उचित समय पर रामलला के दर्शन के लिए आएंगे. आलोक ने मीडिया से बातचीत में कहा कि केवल ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य ने समारोह के खिलाफ टिप्पणी की है, लेकिन बाकी तीनों शंकराचार्यों ने स्पष्ट कर दिया है कि उनके हवाले से दिए गए बयान भ्रामक हैं क्योंकि वे समारोह के पूर्ण समर्थन में हैं.
Also Read: Ayodhya: राजा दशरथ की समाधि स्थल का कायाकल्प, शनि देव से जुड़ी है यहां की मान्यता
उन्होंने कहा कि अयोध्या राम मंदिर ट्रस्ट प्राण प्रतिष्ठा से पहले पुजारियों के लिए आवास की व्यवस्था कर रहा है. क्योंकि ग्रंथों का ठीक से पालन सुनिश्चित करना संतों का कर्तव्य है. श्रृंगेरी पीठ के शंकराचार्य स्वामी भारती तीर्थ और द्वारका पीठ के शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती ने कहा कि यह सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए यह प्राण प्रतिष्ठा समारोह खुशी की बात है. द्वारका पीठ द्वारा जारी एक लिखित बयान में कहा गया है कि मीडिया के एक वर्ग में प्रकाशित बयान शंकराचार्य के बिना अनुमति का था. इसी तरह श्रृंगेरी पीठ के एक बयान में कहा गया है कि कुछ सोशल मीडिया आउटलेट्स ने ऐसे पोस्ट साझा किए हैं, जिससे यह आभास होता है कि शंकराचार्य ‘प्राण प्रतिष्ठा’ समारोह के खिलाफ हैं. उनके बयान में कहा गया है कि श्रृंगेरी शंकराचार्य ने ऐसा कोई संदेश नहीं दिया है. यह धर्म के दुश्मनों का दुष्प्रचार है. इसमें कहा गया है कि श्रृंगेरी शंकराचार्य सभी विश्वासियों को इस पवित्र अवसर में भाग लेने का आशीर्वाद देते हैं.
Also Read: अयोध्या में इस जगह नहीं है प्रभु श्रीराम-लक्ष्मण की मूर्ति, होती है भरत और शत्रुघ्न की पूजा, जानें लोकेशन
बता दें कि इससे पहले एक वीडियो संदेश में उत्तराखंड में स्थित ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा था कि चारों शंकराचार्यों में से कोई भी अयोध्या में होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल नहीं होगा. हमारे मन में किसी के प्रति कोई दुर्भावना नहीं है, लेकिन यह शंकराचार्यों की जिम्मेदारी है कि वे हिंदू धर्म के नियमों का पालन करें और दूसरों को भी ऐसा करने का सुझाव दें. वे (मंदिर निर्माण और समारोह के आयोजन में शामिल लोग) हिंदू धर्म में स्थापित मानदंडों की अनदेखी कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि मंदिर निर्माण पूरा किए बिना प्रभु श्रीराम का प्राण प्रातिष्ठा आयोजित करना हिंदू धर्म के सिद्धांतों का उल्लंघन है. इतनी जल्दबाजी की कोई जरूरत नहीं थी.