रांची : राजधानी की रांची प्रमुख सड़कों पर इन दिनों फ्लाइओवर निर्माण के साथ पानी का पाइप बिछाने का कार्य जारी है. सड़क को खोदकर पाइप डाला जा रहा है. वहीं, इसे ढंकने के लिए डस्ट का उपयोग हो रहा है. यह डस्ट धूप होते ही हवा में फैल जा रहा है, जिससे आम लोगों को सांस की बीमारी हो रही है. शहर के छाती रोग विशेषज्ञों की मानें, तो बढ़ते प्रदूषण के कारण सांस के 10 नये मरीज प्रतिदिन इलाज के लिए अस्पताल पहुंच रहे हैं. वहीं, पुराने अस्थमा और सांस के मरीजों की परेशानी भी बढ़ गयी है.
वरिष्ठ छाती रोग विशेषज्ञ डॉ श्यामल सरकार ने बताया कि उनके यहां रोज 10 नये मरीज एलर्जी और सांस की समस्या लेकर आ रहे हैं. जांच होने पर कुछ मरीजों को अस्थमा होने का पता चल रहा है. मरीजों का कहना है कि वह रोज धूलवाली जगहों से होकर आना-जाना करते हैं. मॉर्निंग वॉक करनेवाले और स्कूल जानेवाले बच्चे भी इसकी चपेट में आ रहे हैं. रिम्स के छाती रोग विशेषज्ञ डॉ ब्रजेश मिश्रा ने बताया कि उनके यहां रोज 15 से 20 सांस के नये मरीज परामर्श लेने आ रहे हैं.
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धूल वाली जगह पर मास्क का उपयोग करें
अस्थमा के पुराने मरीज धूलवाली सड़कों का उपयोग करने से बचें
धूल से प्रभावित सड़कों पर मॉर्निंग वॉक नहीं करें
बिना डॉक्टर की सलाह के दवाइयां बंद नहीं करें
सांस की समस्या वाले पांच फीसदी मरीज अचानक बढ़ गये हैं. इनको समस्या पहली बार हुई है. यह शहर में बढ़ते प्रदूषण के कारण हो सकता है.
डॉ अत्रि गंगोपाध्याय, छाती रोग विशेषज्ञ
लंबी खांसी और एलर्जी के 10 से 15 नये मरीज ओपीडी में परामर्श लेने आ रहे हैं. जांच में इनको अस्थमा भी निकल रहा है. प्रदूषण भी इसकी वजह हो सकती है.
डॉ निशीथ कुमार, छाती रोग विशेषज्ञ