22.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

EXPLAINER: झारखंड में नक्सलियों के खिलाफ आखिरी जंग, सारंडा के जंगल में घुसे 3000 जवान

Prabhat Khabar EXPLAINER|सारंडा के तिरिलपोसी, बिटकिलसोय, बालिबा समेत सारंडा की अन्य जगहों पर पुलिस और सुरक्षा बलों द्वारा कई दिनों से सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है. इस अभियान के लंबा चलने की संभावना है. अभियान में सीआरपीएफ, झारखंड जगुआर, कोबरा तथा जिला पुलिस की 20 से अधिक कंपनियों को लगाया गया है.

झारखंड से नक्सलियों के सफाए के लिए सुरक्षा बलों ने कमर कस ली है. बोकारो जिले के झुमरा पहाड़ और झारखंड-छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित घोर नक्सल प्रभावित बूढ़ा पहाड़ को नक्सलियों से मुक्त कराने के बाद अब सारंडा की बारी है. कोल्हान प्रमंडल के सारंडा के जंगलों में इस वक्त कई बड़े नक्सली नेता छिपे हुए हैं. इन्होंने अपनी सुरक्षा के लिए जगह-जगह लैंडमाइंस बिछा रखे हैं, जिसकी चपेट में आने से कई ग्रामीणों की मौत हो चुकी है. कई बार सुरक्षा बलों के जवान भी इसकी चपेट में आ जाते हैं. सुरक्षा बलों को सिर्फ सारंडा में ही नक्सलियों से चुनौती मिल रही है. दुर्गम इलाका होने की वजह से भी जवानों को यहां ऑपरेशन चलाने में परेशानी होती है. पुलिस का कहना है कि नक्सलियों ने ग्रामीणों को अपने सुरक्षा चक्र के रूप में इस्तेमाल करते हैं. इसलिए पुलिस और सुरक्षा बलों के जवान उतनी तेजी से नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन नहीं चला पा रहे हैं. लेकिन, जगह-जगह केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के कैंप स्थापित किए जा रहे हैं, जिसके बाद नक्सलियों के सफाए के अभियान में तेजी आएगी. इसी उद्देश्य से मनोहरपुर के तिरिलपोसी गांव में सीआरपीएफ का एक नया कैंप स्थापित किया गया है. यहां सीआरपीएफ बटालियन-134 की दो कंपनियां तथा झारखंड जगुआर की एक कंपनी को तैनात किया गया है.

तिरिलपोसी में सीआरपीएफ कैंप से विकास कार्यों में आएगी तेजी

पुलिस और सुरक्षा बलों का कहना है कि तिरिलपोसी में सीआरपीएफ कैंप स्थापित होने से नक्सल विरोधी अभियान चलाने और क्षेत्र में विकास कार्यों के संचालन में आसानी भी होगी और तेजी भी आएगी. बताया जा रहा है कि सारंडा के तिरिलपोसी, बिटकिलसोय, बालिबा समेत सारंडा की अन्य जगहों पर पुलिस और सुरक्षा बलों द्वारा कई दिनों से सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है. इस अभियान के लंबा चलने की संभावना है. अभियान में सीआरपीएफ, झारखंड जगुआर, कोबरा तथा जिला पुलिस की 20 से अधिक कंपनियों को लगाया गया है. इसमें तीन हजार से अधिक जवानों को लगाया गया है, ऐसा बताया जा रहा है.

Also Read: सारंडा में नक्सली करमचंद संभालता था किशन दा की सुरक्षा की जिम्मेदारी, 5 KM तक बिछा होता था लैंडमाइंस

नक्सलियों के खिलाफ लगातार चल रहा है ऑपरेशन

लगातार चल रहे इस नक्सल विरोधी ऑपरेशन में अब तक सुरक्षा बलों को कितनी सफलता मिली है, इसके बारे में कुछ स्पष्ट नहीं किया गया है. जानकारी के मुताबिक, झारखंड-ओडिशा के सीमावर्ती क्षेत्र मनोहरपुर प्रखंड के गांव नयागांव में भी सीआरपीएफ कैंप स्थापित करने की योजना है. बता दें कि कोल्हान प्रमंडल के पश्चिमी सिंहभूम जिले के जंगलों में मिसिर बेसरा, अनमोल, मोछु, चमन, कांडे, अजय महतो, सागेन अंगरिया, अश्विन सरीखे बड़े नक्सली नेता अपने दस्ते के साथ सक्रिय हैं.

सुरक्षा बलों को निशाना बनाने के लिए नक्सलियों ने लगा रखे हैं आईईडी

सुरक्षा बलों के जवान उन तक न पहुंच पाएं, इसके लिए प्रतिबंधित भाकपा माओवादी नक्सली संगठन ने कोल्हान सुरक्षित वन में आईईडी लगा रखे हैं. हाल ही में कई आईईडी बरामद हुए हैं. यही वजह है कि सुरक्षा बलों को बेहद सावधानीपूर्वक कदम बढ़ाना पड़ रहा है. लैंडमाइंस को ध्यान में रखते हुए वे ऑपरेशन चला रहे हैं. जहां भी आईईडी मिलता है, उसे वहीं नष्ट करते चलते हैं.

Also Read: केंद्रीय मंत्री Rajnath Singh को सारंडा के विकास के लिए पत्र सौंपने वाले पूर्व नक्सली की सांप काटने से मौत
टोंटो और गोइलकेरा के 95 फीसदी इलाके नक्सलियों से मुक्त

पुलिस का दावा है कि कोल्हान में टोंटो और गोइलकेरा थाने के 95 प्रतिशत इलाके को नक्सलियों के प्रभाव से मुक्त करा लिया गया है. इन इलाकों में लगे आईईडी को नष्ट करना बाकी है. बता दें कि अब तक 120 से ज्यादा आईईडी बरामद हो चुके हैं. इन्हें सुरक्षा बलों ने नष्ट कर दिया है. कई ऐसी घटनाएं भी हुईं हैं, जिसमें जवान आईईडी की चपेट में आकर घायल हुए हैं. कम से कम 11 ग्रामीणों की आईईडी विस्फोट में मौत हो चुकी है. ज्ञात हो कि टोंटो और गोइलकेरा थाना क्षेत्र में सक्रिय सेंट्रल कमेटी के नक्सली सारंडा के जंगल में शिफ्ट हो गए हैं. इसलिए सुरक्षा बलों ने पूरा ध्यान सारंडा के जंगल में केंद्रित कर दिया है.

इन इलाकों में था नक्सलियों का दबदबा

यहां बताना प्रासंगिक होगा कि कोल्हान के तलाईबेड़ा, राजाबासा, पांतीउला जंगल, अंजेदबेड़ा, तुंबाहाका, हुसीपी, सारजेमबुरू, रेंगरा, पाटातारोब, लेम्साडीह, बोइपाई, सिरजंग, हाबीबुरू, माईलपी, रेगड़ा, मेरालगढ़ा और इचाहातू गांव सहित गोइलकेरा थाना क्षेत्र के कुछ इलाके में नक्सलियों का प्रभाव था. अब उनका प्रभाव लगभग खत्म हो गया है. बाकी के पांच इलाकों से भी नक्सलियों को खदेड़ने के लिए जवानों का ऑपरेशन जारी है.

Also Read: सारंडा के शिक्षित बेरोजगार नक्सली गतिविधियों से रहें दूर, कोल्हान प्रशासन की विशेष पहल, रोजगार के लिए मिलेगा प्रशिक्षण
कोल्हान के जंगलों में इतने नक्सली थे सक्रिय

कोल्हान के जंगलों में सेंट्रल कमेटी के शीर्ष नक्सली मिसिर बेसरा, अनल दा के अलावा असीम, चमन, बुद्धराम, मोछू, अमित मुंडा, कांडे होनहागा, सुशांत, संदीप, अपटन, सांगेन अंगरिया, अश्विन, गुलशन, प्रभात मुंडा, चंदन लोहरा, जयकांत, बबीता, रीपा, निर्मला, लालू, मंदीप, माला, रोहित, सोहन, सनत, रीता, पूनम, इसराइल, अमन, पगल सहित अन्य हार्डकोर नक्सलियों के अलावा उनके दस्ते के सदस्य सक्रिय थे.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें