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धनबाद: 299 बंद पड़ी खदानों को वैज्ञानिक ढंग से बंद करने की कवायद शुरू

2009 से पहले बंद की गयी खदानों में अक्सर बंद करने की संरचनात्मक रूपरेखा का अभाव होता था. इस कारण गैर-वैज्ञानिक तरीके से खदानें बंद की जाती थीं.

धनबाद : धनबाद में 299 बंद पड़ी खदानों को वैज्ञानिक ढंग से बंद करने की कवायद शुरू हो गयी है. कोयला खदानों को जिम्मेदार और पर्यावरण के प्रति जागरूक होकर बंद करने के उद्देश्य से कोयला मंत्रालय ने यह पहल शुरू की है. ऐतिहासिक रूप से खदानों को बंद करने की प्रक्रिया अनियंत्रित रही है. इसके तहत उपकरण और सामग्री को छोड़ दिया जाता है और खदान स्थल उपेक्षित पड़े रहते हैं. एक व्यवस्थित दृष्टिकोण की आवश्यकता की जरूरत को समझते हुए मंत्रालय ने 2009 में खदान बंद करने के दिशा-निर्देश पेश किया, इन्हें बाद में 2013 और 2020 में संशोधित किया गया. इनमें पर्यावरणीय प्रभाव को कम करते हुए सुरक्षित और स्थायी आधार पर खदान बंद करने पर जोर दिया गया है. इसके अलावा मंत्रालय ने खदान बंद करने की रूपरेखा को मजबूत करने और सर्वोत्तम अंतरराष्ट्रीय तौर-तरीकों को अपनाने के लिए मौजूदा खदान योजना दिशा-निर्देशों की समीक्षा करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति नियुक्त की है.

गैर-वैज्ञानिक तरीके से बंद किये जाते थे खदान :

2009 से पहले बंद की गयी खदानों में अक्सर बंद करने की संरचनात्मक रूपरेखा का अभाव होता था. इस कारण गैर-वैज्ञानिक तरीके से खदानें बंद की जाती थीं. इन परित्यक्त खदानों से जुड़े भौतिक खतरों और पर्यावरणीय परिणामों को देखते हुए, मंत्रालय ने 2009 से पहले बंद हुई खदानों के प्रबंधन के लिए अक्टूबर 2022 में दिशानिर्देश जारी किया और उन्हें वर्तमान में बंद, परित्यक्त या अंतिम रूप से बंद के रूप में वर्गीकृत किया है. कोल इंडिया ने मंत्रालय के दृष्टिकोण के अनुरूप खदानों की पहचान की है और उन्हें बंद करने की दिशा में सक्रिय कदम उठाये हैं. 2009 से पहले की 169 और 2009 के बाद की 130 खदानों की पहचान की गयी है. इन्हें वर्तमान में बंद, परित्यक्त या अंतिम रूप से बंद माना जाता है. इनमें से 2009 से पहले की 68 खदानें अंतिम रूप से बंद करने के लिए चिह्नित की गयीं हैं.

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इनमें से 63 खदानों के लिए अंतिम रूप से खदान बंद करने की योजनाएं (एफएमसीपी) परिश्रमपूर्वक तैयार की गयी है. इसके अतिरिक्त 2009 से पहले की 14 खदानों को अस्थायी तौर पर बंद करने के लिए चिह्नित किया गया है. इनमें से प्रत्येक के लिए खदान बंद करने की व्यापक अस्थायी योजना (टीएमसीपी) विकसित की गयी है. 2009 के बाद की खदानों के संबंध में कोल इंडिया प्रबंधन सक्रिय रूप से 35 एफएमसीपी तैयार कर रहा है. जबकि एससीसीएल ने 2009 से पहले की छह खदानों को अस्थायी रूप से बंद करने के लिए और 2009 के बाद की पांच खदानों को अंतिम रूप से बंद करने के लिए चिह्नित किया है. उल्लेखनीय है कि इन चिह्नित खदानों के लिए खदान बंद करने की गतिविधियां पहले से ही चल रही हैं, जो सतत पर्यावरण के लिए कोल इंडिया और एससीसीएल दोनों की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है.

सीएमपीडीआइ ने विकसित किया पोर्टल : 

खदान बंद करने की गतिविधियों को सुव्यवस्थित करने और निगरानी को लेकर सीएमपीडीआइ ने एक पोर्टल विकसित किया है. यह केंद्रीकृत स्रोत बंद करने की गतिविधियों की निगरानी की सुविधा देता है. इनमें पुनर्प्राप्ति, बंद होने के बाद वायु और जल की गुणवत्ता, भूमि पुनर्उपयोग और सामाजिक समर्थन उपाय शामिल है.

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