पटना. बिहार के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज के सामने अपनी एमबीबीएस सीटों को बचाने की चुनौती खड़ी हो गयी है. बिहार के सबसे पुराने पटना मेडिकल कॉलेज एंव अस्पताल यानी पीएमसीएच में शिक्षकों के आधे से अधिक पद खाली हैं. इसी माह राष्ट्रीय चिकित्सा परिषद (एनएमसी) की टीम आनेवाली है. पीएमसीएच प्रशासन के समक्ष आधारभूत संरचना के साथ-साथ शिक्षकों की कमी को लेकर यहां एमबीबीएस सीटों को बचाने की चुनौती होगी.
शिक्षकों के आधे से अधिक पद खाली
जानकारी के अनुसार पीएमसीएच में असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर एवं प्रोफेसर के स्वीकृत 579 पदों में लगभग आधे खाली पड़े हैं. सबसे अधिक परेशानी यह है कि कई विषयों में एक भी प्रोफेसर नहीं हैं. एनएमसी के संभावित निरीक्षण के दौरान ये मामले टीम के सामने आयेंगे. एनएमसी की ओर से संस्थान में फैकेल्टी नियुक्ति को लेकर लगातार कहा जाता रहा है. कॉलेज स्तर पर फैकल्टी की कमी लगातार बढ़ रही है. सेवानिवृत्त होने के बाद कई लोगों को एक्सटेंशन देकर दो वर्षों तक बतौर प्रोफेसर रखा जा रहा है, लेकिन, पदोन्नति नहीं होने के कारण एसोसिएट प्रोफेसर की कमी है.
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इन विभागों में एक भी एसोसिएट प्रोफेसर नहीं
संस्थान के एनाटामी, फिजियोलोजी, फार्माकोलोजी, एफएमटी, पैथोलोजी, माइक्रोबायोलोजी, इंडोक्रायोनोलोजी, न्यूरोलोजी, कार्डियोलोजी, जिरियाट्रिक सर्जरी, आंख, ईएनटी, शिशु सर्जरी, आर्थोपेडिक्स, न्यूरो सर्जरी, पीएमआर में कोई भी एसोसिएट प्रोफेसर नहीं हैं. बायोकेमेस्ट्री में एक, कम्युनिटी मेडिसिन में दो, मेडिसिन में एक, टीबी एंड चेस्ट में एक, सर्जरी में महज दो एसोसिएट प्रोफेसर हैं.
कोरोना के बाद पहली बार होगा निरीक्षण
कोरोना के कारण वर्ष 2020 से ही पीएमसीएच सहित अन्य मेडिकल कालेजों का भौतिक निरीक्षण नहीं हो पा रहा है. एनएमसी की ओर से आनलाइन निरीक्षण ही हो रहा है. पीएमसीएच के प्राचार्य प्रो विद्यापति चौधरी ने कहा कि एनएमसी की ओर संभावित निरीक्षण को लेकर तैयारी चल रही है. पूर्व में चिह्नित की गयी कमियों को दूर करने की कोशिश हो रही है. नई नियुक्तियों को लेकर सरकार के स्तर से प्रयास चल रहा है. उन्होंने कहा कि जल्द ही इस समस्या का समाधान कर लिया जायेगा.