धनबाद : कोयला व्यापारी इजहार अंसारी के 86.56 मीट्रिक टन (एमटी) कोयले की कालाबाजारी कर 41.81 करोड़ रुपये की अवैध कमाई की. बुधवार को इजहार की पेशी के दौरान इडी ने पीएमएलए की विशेष अदालत को यह जानकारी दी है. ईडी ने अदालत को बताया कि इजहार ने 13 कंपनियां बना रखी थीं, जिसमें उसके रिश्तेदार निदेशक हैं. इन कंपनियों का इस्तेमाल कोयले की कालाबाजारी के लिए किया गया है. मांडू थाने में इससे संबंधित प्राथमिकी (10/19) दर्ज है. पुलिस ने जांच में पाया था कि ‘ओम कोक’ के लिए मिला कोयला बनारस की मंडी में बेचने के लिए ले जाया जा रहा था, जिसे पुलिस ने पकड़ा था. इडी ने इसी प्राथमिकी को इसीआइआर के रूप में दर्ज किया और मनी लाउंड्रिंग के मामले की जांच शुरू की. जांच में यह पाया गया कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2007 में कोयला उपलब्ध कराने के लिए नीति बनायी थी. इस नीति के तहत उपभोक्ताओं को कई श्रेणियों में बांटा गया था. इसमें रेलवे, उद्योग, लघु उद्योग श्रेणियां शामिल हैं. केंद्र सरकार इस नीति के तहत राज्यों द्वारा अनुशंसित उद्योगों को नोटिफाइड प्राइस पर कोयला देती थी. सरकार द्वारा कोयले के लिए निर्धारित मूल्य (नोटिफाइड प्राइड) बाजार मूल्य से काफी कम होता है. कम कीमत पर कोयला देने की अनुशंसा करने के लिए राज्य में एक नोडल एजेंसी बनाने का प्रावधान है. झारखंड में राज्य खनिज विकास निगम(जेएसएमडीसी) को नोडल एजेंसी मनोनीत किया गया है. इसकी अनुशंसा के आलोक में इजहार की कंपनियों के कम कीमत पर कोयला देने के लिए सीसीएल, बीसीसीएल द्वारा एकरारनामा किया गया था.
जांच में पाया गया है कि इजहार ने वर्ष 2018 से मार्च 2023 तक 86.56 हजार एमटी कोयला सस्ती दर पर उठाया. इसके लिए उसने कोयला कंपनियों को 29.50 करोड़ रुपये का भुगतान किया. कोयला कंपनियों से कम कीमत पर कोयला लेने के बाद उसने उसे खुले बाजार में 71.32 करोड़ रुपये में बेचा. इस तरह उसने कोयले की कालाबाजारी कर उसने 41.81 करोड़ रुपये की अवैध कमाई की. इजहार की कंपनी ‘मेसर्स फसल फ्यूएल्स’ के दस्तावेज की जांच में दोपहिया वाहनों पर कोयले की ढुलाई का मामला पकड़ में आया है.
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