अयोध्या: श्री राम जन्मभूमि स्थित मंदिर के गर्भ गृह में रामलला की मूर्ति की स्थापना के साथ ही प्राण प्रतिष्ठा का तीसरे दिन का अनुष्ठान संपन्न हो गया. गुरुवार को दोपहर 12.30 बजे के बाद राममूर्ति का मंदिर गर्भ गृह में प्रवेश हुआ. दोपहर 1.20 बजे यजमान के प्रधानसंकल्प होने के बाद वेद मंत्र पढ़े गए. मंत्रों की ध्वनि से मंदिर का वातावरण मंगलमय हो गया. गुरुवार को रामलला मूर्ति के जलाधिवास तक के कार्य पूरे हो गए. प्राण प्रतिष्ठा का चौथे दिन का अनुष्ठान शुक्रवार सुबह 9 बजे शुरू होगा.
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अनुसार 19 जनवरी शुक्रवार को सुबह 9 बजे से प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान शुरू होगा. पहले गणपति आदि स्थापित देवताओं का पूजन, द्वारपालों द्वारा सभी शाखाओं का वेदपारायण, देवप्रबोधन, औषधाधिवास, केसराधिवास, घृताधिवास, कुंड पूजन, पञ्चभूसंस्कार होगा. अरणिमंथन से प्रगट हुई अग्नि की कुंड में स्थापना की जाएगी. इसके बाद ग्रहस्थापन, असंख्यात रुद्रपीठस्थापन, प्रधानदेवतास्थापन, राजाराम-भद्र-श्रीरामयंत्र- बीठदेवता -अङ्गदेवता – आवरणदेवता – महापूजा, वारुणमंडल, योगिनीमंडलस्थापन, क्षेत्रपालमंडलस्थापन, ग्रहहोम, स्थाप्यदेवहोम, प्रासाद वास्तुश्शांति, धान्याधिवास सायंकालिक पूजन व आरती होगी.
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इससे पहले प्राण प्रतिष्ठा के तीसरे दिन गुरुवार 18 जनवरी को पूजा की शुरुआत मध्याह्न 1.20 बजे संकल्प से होगी. उसके बाद गणेशाम्बिकापूजन, वरुणपूजन, चतुर्वेदोक्त पुण्याहवाचन, मातृकापूजन, वसोर्धारापूजन (सप्त घृत मातृका पूजन), आयुष्यमन्त्रजप, नान्दीश्राद्ध होगा. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अनुसार इसके बाद आचार्यादिचऋत्विग्वरण, मधुपर्कपूजन, मण्डपप्रवेश, पृथ्वी- कूर्म- अनन्त- वराह-यज्ञभूमि-पूजन, दिग्ररक्षण, पञ्चगव्य – प्रोक्षण, मण्डपाङ्ग वास्तुपूजन, वास्तु बलिदान, मंडप सूत्रवेष्टन, दुग्ध- धारा, जलधाराकरण, षोडशस्तम्भपूजनादि मंडपपूजा (तोरण, द्वार, ध्वज, आयुध, पताका, दिक्पाल, द्वारपालादिपूजा) होगा. रामलाल की मूर्ति का जलाधि वास, गन्धादिवास और फिर सायंकालिक पूजन एवं आरती होगी.
प्राण प्रतिष्ठा के दूसरे दिन बुधवार 17 जनवरी को अनुष्ठान जलयात्रा से शुरू हुई. भगवान श्री रामलला की मूर्ति की शोभायात्रा सम्पन्न हुई. मंडप में आनंद रामायण का पारायण शुरू हुआ. विग्रह को विधिविधान के साथ राम मंदिर परिसर में लाया गया. जय श्री राम के नारों और कड़ी सुरक्षा के बीच विग्रह एक ट्रक से हनुमान गढ़ी के रास्ते मंदिर परिसर तक ले जाया गया था.