बोकारो, रंजीत कुमार : ऑनलाइन खरीदारी करनेवाले सावधान! आप साइबर अपराधियों के रडार पर हैं. डिलिवरी के बाद कार्टन से सामान निकालने के बाद लोग अक्सर बॉक्स को फेंक देते हैं. लोग ध्यान नहीं देते हैं कि कार्टन पर बारकोड और उनसे जुड़ी कई डिटेल्स के साथ रैपर चिपका रह जाता है, जो साइबर ठगों के हाथ में पहुंच जाता है. डिलिवरी के बाद फेंके गए इन कार्टन पर अंकित बारकोड को साइबर अपराधी जमा कर लेते हैं. फिर बारकोड स्कैन कर सारी जानकारी इकट्ठा करते ही शुरू होता है साइबर अपराध खेल. लोगों के पर्सनल कॉन्टैक्ट इकट्ठी करके ठगी उन्हें कई तरह के लुभावने ऑफर ई-मेल, टेक्स्ट मैसेज आदि के माध्यम से भेजते हैं.
ऑनलाइन सामान खरीदारी के बाद डब्बे को फेंकते वक्त ध्यान रखें कि जिस कागज पर बारकोड अंकित रहता है. उस कागज को बारिकी से फाड़ दें. ध्यान रखें कि किसी तरह से बारकोड का स्कैन नहीं किया जा सके. पिछले दिनों को-ऑपरेटिव कॉलोनी और मनमोहन को-ऑपरेटिव कॉलोनी से धराये साइबर अपराधी भी इस तरह के साइबर फ्राड में शामिल थे. उनके पास से बारकोड स्कैन किए गए कई दस्तावेज मिले. 500 से अधिक पेज मिले, जिसमें सैकडों मोबाइल नंबर भी थे.
अगर आपके व्हॉट्सएप ग्रुप पर फ्री रिचार्ज के मैसेज आये, तो झांसे में नही आएं. यह मैसेज टेलीकॉम कंपनियों का नहीं, बल्कि साइबर ठगों का है. मैसेज में भेजे गए लिंक पर क्लिक करते ही मोबाइल का डेटा लीक हो जाएगा. इसका दुरुपयोग किया जा सकता है. इस तरह की शिकायतें बोकारो के विभिन्न थानों में रोजाना आ रही है. शिकायत करने वाले बताते है कि लिंक क्लिक करते ही मोबाइल हैंग हो जाता है. कई लोग मैसेज की पुष्टि के लिए साइबर सेल तक जाते हैं.
सोशल मीडिया पर इन दिनों एक मैसेज तेजी से वायरल हो रहा है. इसमें कहा गया है कि सिम की विभिन्न कंपनियों ने श्रीराम मंदिर बनाने की खुशी में तीन महीने का फ्री-रीचार्ज स्कीम निकाला है. अगर किसी के पास जिओ, एयरटेल और बीआई का सिम है, तो वह फ्री-रीचार्ज योजना का लाभ ले सकता है. फ्री-रीचार्ज का ऑफर सिर्फ 22 जनवरी तक है. इसके बाद उपभोक्ताओं को लाभ नहीं मिलेगा. साइबर एक्सपर्ट सेक्टर 4 इंस्पेक्टर अमित रोशन कुल्लू ने कहा कि इस तरह के फर्जी मैसेज के झांसे में नहीं आएं. ठग मोबाइल का डाटा चुराने के लिए मैसेज के साथ लिंक भेज रहे हैं. सावधान व सतर्क रहें.
साइबर ठगी के शिकार होने पर साइबर सेल को जानकारी जरूर दें. ध्यान रखें कि साइबर ठगी के शिकार होने से पहले सावधानी बरते. ओटीपी, मोबाइल नंबर, ई-मेल आइडी, पासवर्ड सहित अन्य डिजिटल गुप्त सूचना किसी से भी साझा नहीं करें. संस्थान की तरफ से मांगने पर तुरंत संबंधित संस्थान या पुलिस से संपर्क करें. रंजीत कुमार
प्रियदर्शी आलोक, एसपी, बोकारो