अयोध्या राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर अनुष्ठान हो रहे हैं. अयोध्या का नजारा बदला-बदला सा है. इसे लेकर देश का माहौल राममय है. चारों तरफ उत्साह का वातावरण है. देश ही नहीं, विदेशों में भी रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर उल्लास है. रामभक्तों का रोम-रोम इस ऐतिहासिक पल के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहा है. झारखंड में भी प्रभु राम के पांव पड़े हैं. माता सीता व भाई लक्ष्मण के साथ उन्होंने वनवास के दौरान वक्त गुजारा था. भगवान श्रीराम का झारखंड से गहरा लगाव रहा है. गुमला, लोहरदगा, रांची, सिमडेगा एवं देवघर समेत कई जिलों में भगवान श्री राम के चरण पड़े हैं. झारखंड की राजधानी रांची में एक ऐसी जगह है, जिसका रामायण काल से गहरा कनेक्शन है. भगवान श्रीराम से जुड़ा है रांची का मरासिली पहाड़. स्थानीय लोगों की मानें, तो यहां महर्षि वाल्मिकी आए थे और तपस्या की थी. कहा जाता है कि यहीं महर्षि वाल्मिकी ने मरा-मरा का जप किया था. ये पहाड़ रामायण काल की यादें ताजा कर देता है. यहां भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त हनुमान की प्रतिमा है और शिव मंदिर भी है. यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पूजा-अर्चना करने पहुंचते हैं. मरासिली पहाड़ रांची शहर के बाहरी इलाके में स्थित है. नामकुम की राजाउलातू पंचायत में आता है. एक विशाल पहाड़ और शांत वातावरण. यहां न सिर्फ श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगता है, बल्कि इस पहाड़ पर बड़ी संख्या में पर्यटक भी पहुंचते हैं. शहर के शोर से दूर लोग सपरिवार शांत माहौल में कुछ पल गुजारना चाहते हैं. सुकून के पल बिताना पसंद करते हैं. ऐसे लोगों के लिए भी ये बेहतर जगह है. मरासिली पहाड़ न सिर्फ पर्यटन स्थल के लिहाज से बेहतर है, बल्कि इसका सांस्कृतिक महत्व भी है. हिंदू धर्म के लोगों के लिए ये आस्था का केंद्र है. भारतीय संस्कृति से इसका गहरा जुड़ाव है.
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VIDEO: रांची के मरासिली पहाड़ का है रामायण कनेक्शन
झारखंड की राजधानी रांची में एक ऐसी जगह है, जिसका रामायण काल से गहरा कनेक्शन है. भगवान श्रीराम से जुड़ा है रांची का मरासिली पहाड़. स्थानीय लोगों की मानें, तो यहां महर्षि वाल्मिकी आए थे और तपस्या की थी.
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