भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की बायोपिक फिल्म मैं अटल हूं, बीते शुक्रवार को सिनेमाघरों में दस्तक दे चुकी है. पंकज त्रिपाठी फिल्म में अटल बिहारी वाजपेयी की भूमिका को जीवंत कर रहे हैं. इस फिल्म के निर्माताओं में संदीप सिंह का नाम भी शुमार है. संदीप सिंह से उनकी इस फिल्म और आनेवाले प्रोजेक्ट्स पर उर्मिला कोरी से हुई बातचीत.
भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की कहानी में आपको सबसे ज्यादा क्या अपील कर गया , जो आपने फिल्म बनाने का फैसला किया ?
भारतीय इतिहास में अटल बिहारी वाजपेयी महान राजनेताओं में से एक रहे हैं. उन्होंने अपने शब्दों से विपक्षी पार्टियों के लोगों के भी दिल जीत लिए थे. उन्होंने प्रगतिशील भारत का ब्लू प्रिंट तैयार किया था. एक फिल्म मेकर के तौर पर मुझे लगता है कि इन सब अनसुनी कहानियों को कहने के लिए सिनेमा सर्वश्रेष्ठ माध्यम है, इसलिए हमने इस पर फिल्म बनाने का फैसला किया. कइयों का कहना है कि चुनाव की वजह से हम ये फिल्म बना रहे हैं. अगर ऐसा होता तो हम सिर्फ उनकी राजनीतिक विचारधारा को दिखाते थे लेकिन इस फिल्म में उनके व्यक्तित्व और उनकी कविताओं को कहानी का मुख्य आधार बनाया गया है.
पंकज त्रिपाठी को इस फिल्म के लिए हां करवाना कितना मुश्किल या आसान था ?
फिल्म के लिए सबसे पहली पसंद पंकज त्रिपाठी जी ही थे. अगर वह फिल्म को मना कर देते थे तो यह फिल्म नहीं बनती थी. इस फिल्म के लिए निर्देशक से पहले हमने उन्हें अप्रोच किया था. २०२१ के आसपास की बात है. उस वक़्त हम फिल्म का रिसर्च का काम कर रहे थे उस वक़्त हमारे पास स्क्रिप्ट भी नहीं थी. मैंने पंकज जी को अर्टिफिकल इंटेलिजेंस की मदद से उन्हें अटल बिहारी वाजपेयी की छवि में दिखाया. बहुत काम फर्क दोनों के बीच में था. पंकज जी को शुरुआत में यकी न नहीं हो रहा था ,मैंने उन्हें कन्विंस किया , जिसके बाद उन्होंने फिल्म को हां कह दिया था. उस वक़्त तक बाउंड स्क्रिप्ट तैयार भी नहीं हुई थी. उन्होंने अटल जी के किरदार को जीवंत करने के लिए बहुत मेहनत की है. उनके इंटरव्यूज और भाषण के क्लिप्स देखने अलावा उनके करीबी रहे लोगों से भी वह मिले. शूटिंग के दौरान पंकज जी खिचड़ी ही खाते थे ,क्योंकि अटल जी को भी खिचड़ी ही खाना पसंद था. पंकज जी हमेशा ये कहते थे कि मुझे बाहर से अटल नहीं दिखना है बल्कि भीतर से अटल होना है.
क्या किसी व्यक्ति विशेष को अटल बिहारी वाजपेयी की इस बायोपिक फिल्म को आपने दिखाई थी ?
मैंने दर्शकों के लिए फिल्म बनायीं है, तो मैं यह फिल्म दर्शकों को ही दिखाना चाहता था. मुझे उन्ही की प्रतिक्रिया से सरोकार है.
निर्माता के तौर पर आप अधिकतर बायोपिक फिल्मों का ही हिस्सा रहे हैं ?
हां क्योंकि मुझे असल ज़िन्दगी के लोगों की कहानियां अपील करती हैं. मैं नाच गाना टाइप फिल्में नहीं बना सकता हूं. मेरा मकसद अच्छी कहानियों को सामने लाना है, जो लोगों की ज़िन्दगियों को छू सकें. पेड़ों के इर्द – गिर्द नाच गाना इस तरह के सिनेमा मैं नहीं बना सकता हूं.
आप पर अक्सर एक विशेष पार्टी के हित में कंटेट को प्रमोट करने का आरोप लगता रहा है ?
मैं किसी भी धर्म के खिलाफ नहीं हूं. मैं ये बात हमेशा कहता आया हूं और अभी भी यही कहूंगा. मेरे मन में सभी धर्मों के लिए आदर भाव है.
वीर सावरकर आपकी अगली रिलीज फिल्म पर रणदीप हूडा के साथ विवाद के बाद क्या स्थिति है ?
परिवार में जब आप एक साथ रहते हैं , तो थोड़ी – बहुत कहा सुनी हो ही जाती है. अभी सबकुछ ठीक हो गया है. हम जल्द ही अपनी फिल्म वीर सावरकर को साथ में लेकर आ रहे हैं.
आपने सुब्रतो रॉय पर फिल्म बनाने की घोषणा की है?
उनपर फिल्म बननी ही चाहिए. वह नीरव मोदी , विजय माल्या की तरह देश को छोड़कर तो नहीं गए. वह एकमात्र ऐसे बिजनेसमैन थे, जिन्होंने सरकार को २५०० करोड़ रुपये वापस किये थे. उन्होंने कई लोगों को रोज़गार से जोड़ा था. उनके संघर्ष की कहानी रही है, मुझे लगता है कि वो लोगों को जाननी चाहिए.