Share Market Cap and FPI Investment: भारतीय शेयर बाजार के लिए पिछला सप्ताह भयावह रहा. मुनाफा वसूली और कंपनियों के नतीजों से प्रभावित होकर बाजार पाताल में चला गया. सेंसेक्स और निफ्टी दोनों दो प्रतिशत से ज्यादा टूट गए. इसका असर टॉप 10 कंपनियों के मार्केट कैप और विदेशी निवेशकों पर देखने को लिए मिला. सेंसेक्स की शीर्ष 10 सबसे मूल्यवान कंपनियों में से पांच के बाजार मूल्यांकन पिछले सप्ताह सामूहिक रूप से 1,67,936.21 करोड़ की गिरावट आई. विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने इस महीने के पहले तीन सप्ताह में अबतक काफी सतर्क रुख अपनाते हुए भारतीय शेयर बाजारों से 13,000 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की है.भारतीय शेयरों के ऊंचे मूल्यांकन और अमेरिका में बॉन्ड पर प्रतिफल बढ़ने की वजह से एफपीआई बिकवाल बने हुए हैं.
HDFC को सबसे ज्यादा नुकसान
बाजार की फिसलन में सबसे अधिक नुकसान एचडीएफसी बैंक को हुआ.बीते सप्ताह बीएसई का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 1,144.8 अंक 1.57 प्रतिशत नीचे आया. एनएसई और बीएसई पर 20 जनवरी यानी शनिवार को सामान्य कारोबारी सत्रों का आयोजन किया. समीक्षाधीन सप्ताह में रिलायंस इंडस्ट्रीज, टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस), एचडीएफसी बैंक, हिंदुस्तान यूनिलीवर और भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के बाजार पूंजीकरण में गिरावट आई.वहीं आईसीआईसीआई बैंक, इन्फोसिस, भारती एयरटेल, भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) और आईटीसी की बाजार हैसियत बढ़ गई. सप्ताह के दौरान एचडीएफसी बैंक का बाजार मूल्यांकन 1,22,163.07 करोड़ रुपये घटकर 11,22,662.76 करोड़ रुपये रह गया. एचडीएफसी बैंक के शेयर में शुक्रवार को लगातार तीसरे दिन गिरावट आई. बैंक का शेयर इस दौरान 12 प्रतिशत टूटा. बैंक के दिसंबर तिमाही के नतीजे बाजार उम्मीदों के अनुरूप नहीं रहे हैं, जिससे इसका शेयर नीचे आ गया. हालांकि, शनिवार को आयोजित सत्र में एचडीएफसी बैंक का शेयर 0.54 प्रतिशत चढ़ गया.
रिलायंस ने भी उठाया बड़ा नुकसान
इस सप्ताह में रिलायंस इंडस्ट्रीज का बाजार पूंजीकरण 18,199.35 करोड़ रुपये गिरकर 18,35,665.82 करोड़ रुपये रह गया. हिंदुस्तान यूनिलीवर का बाजार मूल्यांकन 17,845.15 करोड़ रुपये घटकर 5,80,184.57 करोड़ रुपये पर और टीसीएस का 7,720.6 करोड़ रुपये के नुकसान के साथ 14,12,613.37 करोड़ रुपये पर आ गया. भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की बाजार हैसियत 2,008.04 करोड़ रुपये घटकर 5,63,589.24 करोड़ रुपये रह गई. इस रुख के उलट एलआईसी का मूल्यांकन 67,456.1 करोड़ रुपये चढ़कर 5,92,019.78 करोड़ रुपये पर पहुंच गया. एलआईसी बुधवार को बाजार मूल्यांकन के हिसाब से एसबीआई को पीछे छोड़कर देश की सबसे मूल्यवान सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी बन गई. भारती एयरटेल ने सप्ताह के दौरान 26,380.94 करोड़ रुपये जोड़े और इसका बाजार मूल्यांकन 6,31,679.96 करोड़ रुपये हो गया. इन्फोसिस की बाजार हैसियत 15,170.75 करोड़ रुपये बढ़कर 6,84,305.90 करोड़ रुपये और आईसीआईसीआई बैंक की 3,163.72 करोड़ रुपये के उछाल के साथ 7,07,373.79 करोड़ रुपये रही. आईटीसी का मूल्यांकन 2,058.48 करोड़ रुपये बढ़कर 5,84,170.38 करोड़ रुपये हो गया.सेंसेक्स की शीर्ष 10 कंपनियों की सूची में रिलायंस इंडस्ट्रीज पहले स्थान पर कायम रही.
बेचे 24,000 करोड़ रुपये से अधिक के शेयर
डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, इस रुख के उलट विदेशी निवेशक ऋण या बॉन्ड बाजार को लेकर उत्साहित हैं. उन्होंने समीक्षाधीन अवधि में बॉन्ड बाजार में 15,647 करोड़ रुपये डाले हैं. आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने इस महीने (19 जनवरी तक) में भारतीय शेयरों से 13,047 करोड़ रुपये की निकासी की है. उन्होंने 17-19 जनवरी के दौरान 24,000 करोड़ रुपये से अधिक के शेयर बेचे. इससे पहले दिसंबर में एफपीआई ने शेयरों में शुद्ध रूप से 66,134 करोड़ रुपये और नवंबर में 9,000 करोड़ रुपये डाले थे. जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि एफपीआई की बिकवाली के दो कारण हैं. एक अमेरिका में बॉन्ड प्रतिफल बढ़ रहा है. 10 साल के बॉन्ड पर प्रतिफल 3.9 प्रतिशत के हालिया स्तर से बढ़कर 4.15 प्रतिशत हो गया है, जिससे उभरते बाजारों से पूंजी निकासी हो रही है. उन्होंने कहा कि दूसरी वजह भारत में शेयरों का ऊंचा मूल्यांकन है. एफपीआई एचडीएफसी बैंक के उम्मीद से कमजोर नतीजों का हवाला देकर बड़े पैमाने पर बिकवाली कर रहे हैं.
बिकवाली का कारण बना एचडीएफसी
मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि एफपीआई की बड़े पैमाने पर बिकवाली की वजह एचडीएफसी बैंक के निराशाजनक तिमाही नतीजे हैं. उन्होंने कहा कि एफपीआई ने नए साल की शुरुआत में सतर्क रुख अपनाते हुए ऊंचे मूल्यांकन की वजह से भारतीय शेयर बाजारों में मुनाफावसूली की है. उन्होंने कहा कि इसके अलावा ब्याज दर परिदृश्य को लेकर अनिश्चितता ने भी उन्हें किनारे पर रहने को मजबूर किया है.वे भारत जैसे उभरते बाजारों में निवेश से पहले और संकेतकों का इंतजार कर रहे हैं.
(भाषा इनपुट)
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