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बिहार: छत से गिरकर अर्चना ने आधा शरीर गंवाया लेकिन नहीं मानी हार, फिर जीत लायीं मेडल

बिहार की बेटी अर्चना के हौसले को सभी सलामी देते हैं. 17 साल पहले छत से गिरकर आधा शरीर गंवा देने वाली अर्चना फिर मेडल जीत लायी हैं. अर्चना ने गोवा में आयोजित राष्ट्रीय पारा एथलेटिक्स प्रतियोगिता में रजत व कांस्य जीते हैं.

आरफीन जुबैर, भागलपुर

छत से गिर कर आधा शरीर गंवा देने वाली बिहार की एथलीट अर्चना कुमारी ने दिव्यांगता को अपनी कमजोरी नहीं बनने दी. वह एक के बाद एक मेडल जीत कर आगे बढ़ती गयीं. गोवा में नौ से 13 जनवरी तक आयोजित 22वें नेशनल पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में अर्चना ने शॉटपूट में रजत व डिस्कस थ्रो में कांस्य पदक जीता, जबकि भाला फेंक में कुछ प्वाइंट से पीछे रह गयीं. अर्चना इससे पहले इंडोनेशिया व चीन की राजधानी बीजिंग में अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भी खेल चुकी हैं. अबतक नेशनल स्तर की प्रतियोगिता में एक दर्जन से अधिक गोल्ड व सिल्वर मेडल जीत चुकी हैं. वह 2009 से ही एथलेटिक्स से जुड़ी हैं.

17 वर्ष पहले गंवा बैठी थीं आधा शरीर

अर्चना कुमारी किसान परिवार में जन्मी और पली बढ़ी. नौवीं कक्षा में छत से गिरने के कारण वह छाती के नीचे शरीर के पूरे हिस्से को गंवा बैठीं. 17 वर्ष पहले हुई इस घटना के बाद आज तक वह व्हीलचेयर पर हैं. इस घटना ने उनके एथलेटिक्स के शॉटपुट, डिस्कस थ्रो और जेवलिन थ्रो की प्रैक्टिस पर भी विराम लगा दिया था, लेकिन उन्होंने हिम्मत व हौंसला कम नहीं होने दिया. व्हीलचेयर पर बैठ कर ही फिर से रोजाना तीन घंटे की प्रैक्टिस शुरू की. परिणाम भी सुखद रहा. आज उनके नाम सात गोल्ड, सात सिल्वर व चार ब्राेंज मेडल हैं. इसके साथ-साथ वर्ष 2017 में चीन के बीजिंग व 2018 में इंडोनेशिया के जकार्ता में अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रतियोगिता में उन्होंने हिस्सा लिया. खेल कोटा से उन्हें नौकरी मिली. वर्तमान में नेशनल खिलाड़ी अर्चना दिव्यांगजन सशक्तीकरण कार्यालय में कार्यरत हैं.

देश के लिए ओलिंपिक में पदक जीतने का सपना

अर्चना कुमारी का कहना है कि खेल को लेकर उन्होंने अभ्यास जारी रखा है. देश के लिए ओलिंपिक पदक जीतना उनका सपना है. बस मौका मिलने का इंतजार है. उनका अगला लक्ष्य ओलिंपिक ही है. इसे लेकर वह और मेहनत करेंगी.

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अर्चना का प्रोफाइल

नाम : अर्चना कुमारी

शिक्षा : बीए

पिता : महेश मंडल (किसान)

माता : फूलमती देवी

स्थायी पता : नगरी, पंजवारा, बांका

वर्तमान पता : मारवाड़ी पाठशाला, पुलिस कॉलोनी, सरकारी क्वार्टर

समस्या : 

2006 में छत से गिरने से हुईं चोटिल. स्पाइनल इंज्यूरी हुई. चोट लगने से चेस्ट के नीचे शरीर पूरी तरह बेजान है. 17 वर्ष से व्हीलचेयर ही सहारा है.

उपलब्धि :

  • 2009 में जयपुर के मानसिंह स्टेडियम में गोल्ड

  • 2010 में पंचकूला देवी लाल स्टेडियम, हरियाणा में दो सिल्वर व एक ब्रोंज

  • 2012 में बेंगलुरु में एक गोल्ड व एक ब्राेंज

  • 2013 में बेंगलुरु में गोल्ड

  • 2015 में गाजियाबाद में एक गोल्ड व एक ब्रांज

  • 2016 में पंचकूला देवी लाल स्टेडियम, हरियाणा में दो सिल्वर व एक गोल्ड

  • 2017 में जयपुर के सवाई मानसिंह स्टेडियम में दो सिल्वर

  • 2017 में चीन के बीजिंग में शॉटपुट में भाग लिया और बेहतर प्रदर्शन किया

  • 2018 में इंडोनेशिया के जकार्ता में एशियन गेम्स में भाग लिया, बेहतर प्रदर्शन किया

  • 2023 में दिल्ली में आयोजित खेलो इंडिया में शॉटपूट में सिल्वर मेडल

  • 2024 में गोवा में आयोजित 22वें नेशनल पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में सिल्वर व ब्रोंज मेडल

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