पटना/गोपालगंज: अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को अविस्मरणीय बनाने के लिए पटना, गोपालगंज सहित राज्य के विभिन्न शहरों में हजारों महिलाओं के घरों में किलकारी गूंजी. उन्होंने अपनी डिलीवरी 22 जनवरी को अयोध्या में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के शुभ मुहूर्त में करवाने की इच्छा जतायी थी और सोमवार को उनकी ये इच्छा पूरी हो गयी. अलग- अलग अस्पतालों में ऑपरेशन थिएटर फुल रहे. सरकारी व गैर सरकारी अस्पतालों में कई डॉक्टरों का कहना था कि आज सुबह से शाम तक ऑपरेशन थिएटर में ही रहना पड़ा.
पटना के एक अस्पताल में 37 बच्चों का जन्म
पटना के एक निजी अस्पताल में सोमवार को 37 बच्चों का जन्म हुआ. दरअसल, जिन महिलाओं की डिलीवरी 22 जनवरी के 7 दिन पहले या 7 दिन बाद होनी थी, उन्होंने रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के दिन डिलीवरी कराने की इच्छा जताई थी. डॉ. सारिका राय के नर्सिंग होम में तीन दर्जन ऐसी महिलाएं भर्ती थीं जो चाहती थीं कि उनके बच्चे का जन्म उसी दिन और उसी समय हो जब रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा हो. उनके नर्सिंग होम में जन्में कुल 37 बच्चों में 18 लड़कियां और 19 लड़के हैं. इनमें दो जुड़वां बच्चे हैं. जानकारी के अनुसार पटना में 22 जनवरी को 340 से ज्यादा बच्चों ने जन्म लिया है.
बच्चे का नाम रखा रामलला
गोपालगंज के सदर अस्पताल में पैठान पट्टी निवासी शशिकांत डूबे और उनकी पत्नी के घर करीब एक बजे बच्चे की किलकारी गूंजी. बच्चे का जन्म होते ही परिवार में खुशिया छा गई. हर किसी के मन में यह भावना उत्पन्न होने लगी की मेरे घर भी राम पधारे हैं. बच्चे के पिता का कहना है कि आज दोहरी खुशी का दिन है. एक ओर जहां राम लला की प्राण प्रतिष्ठा हुई वहीं दूसरी ओर घर में बेटे का जन्म हुआ. बेटे का नाम भी रामलला रखेंगे.
श्रीराम के जयघोष से गुंजा अस्पताल
सरेया की रजनी त्रिपाठी ने भी राम काे जन्म देकर खुद कौशल्य मां बनने के सपना को पूरा किया. डिलीवरी के कई केस आये हैं. अस्पतालों में महिलाओं के प्रसव के बाद परिजनों में जय श्रीराम के जयघोष गूंजते रहे. लोगों ने कहा आज का दिन शुभ है. आज जन्म लेने वाले बच्चों का नामकरण भी भगवान राम के नाम से जोड़ कर करने की तैयारी है. जिनके घर बच्चों ने जन्म लिया उनके घर आनंद से भर गये.
अस्पतालों में पूरा माहौल राममय रहा
गोपालगंज के बंजारी में स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ सुमन के यहां सिजेरियन प्रसव के लिए महिलाओं ने पहले से ही पंजीकरण कराया था. दो बच्चों का जन्म उसी मुहूर्त पर हुआ. स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ कविता ने बताया कि महिलाओं की डिलीवरी पूरी होने के साथ ही एक राम और एक जानकी ने जन्म लिया. इस दौरान जानकी को लहंगा पहनाया और राम को कुर्ता धोती पहनाया गया.
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आज जन्म लेने वाले बच्चों के घर आने से दोगुना हुआ उत्साह
कुचायकोट की डॉ सरिता कुमारी का कहना है कि चार महिलाओं ने प्राण प्रतिष्ठा वाले दिन सिजेरियन प्रसव कराने को कहा था. उदकरा गांव के रहने वाले अर्जुन मांझी की पत्नी जयंतवी देवी ने बिना ऑपरेशन के ही उसी मुहूर्त में दो बेटियों को जन्म दिया. शहर के अन्य स्त्री रोग विशेषज्ञों के यहां भी महिलाओं ने पहले से ही पंजीकरण कराया है कि उनकी डिलीवरी शुभ मुहूर्त में हुई.