21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बढ़ता कर संग्रहण

वित्त वर्ष 2022-23 में जीडीपी में प्रत्यक्ष करों का हिस्सा 6.11 प्रतिशत रहा था, जो 15 वर्षों में सबसे अधिक योगदान है.

बीते नौ वर्षों में प्रत्यक्ष कर संग्रहण में 160.52 प्रतिशत की उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2013-14 में 6,38,596 करोड़ रुपये की राशि प्रत्यक्ष कर राजस्व के रूप में सरकार के पास आयी थी. वित्त वर्ष 2022-23 में यह आंकड़ा 16,63,686 करोड़ रुपये हो गया. इस अवधि में आयकर रिटर्न भरने वाले लोगों की संख्या भी लगभग दोगुनी हो गयी है. वित्त वर्ष 2013-14 में 3.8 करोड़ लोगों ने रिटर्न भरा था, जबकि 2022-23 में यह संख्या 7.4 करोड़ हो गयी. ये आंकड़े यह इंगित करते हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था का आधार लगातार मजबूत हो रहा है. यह उपलब्धि इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि इसी अवधि में कई देशों की तरह भारत को भी कोरोना महामारी के कहर का सामना करना पड़ा. महामारी तथा भू-राजनीतिक संघर्षों एवं तनावों के कारण आपूर्ति शृंखला प्रभावित होती रही है तथा अंतरराष्ट्रीय बाजार में अनिश्चितता बनी रही है. नोटबंदी के कारण भी कुछ समय तक विभिन्न आर्थिक गतिविधियों पर असर पड़ा था. वस्तु एवं सेवा कर प्रणाली लागू होने से भी कुछ समय के लिए वाणिज्यिक कामकाज प्रभावित हुए थे. फिर भी भारतीय अर्थव्यवस्था सबसे तेज गति से बढ़ती कुछ अर्थव्यवस्थाओं में है. इसका एक बड़ा प्रमाण प्रत्यक्ष कर संग्रहण में वृद्धि के रूप में हमारे सामने है. वित्त वर्ष 2022-23 में सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) में प्रत्यक्ष करों का हिस्सा 6.11 प्रतिशत रहा था, जो 15 वर्षों में सबसे अधिक योगदान है.

यदि हम वर्तमान वित्त वर्ष 2023-24 की बात करें, तो अप्रैल से 15 दिसंबर 2023 तक 6.24 लाख करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष कर राजस्व संग्रहित हुआ था, जो पिछले वित्त वर्ष में इसी अवधि में हुए संग्रहण से 19.8 प्रतिशत अधिक है. इस राशि में 4.81 लाख करोड़ रुपये कॉर्पोरेट टैक्स के रूप में और 1.42 लाख करोड़ रुपये व्यक्तिगत आयकर से आये हैं. मार्च में वित्त वर्ष के समाप्त होने तक इस आंकड़े में और बढ़ोतरी होगी. यह स्पष्ट हो गया है कि इस वर्ष जीडीपी की वृद्धि दर सात प्रतिशत से अधिक रहेगी. राजस्व में वृद्धि यह तो इंगित करती ही है कि कंपनियों और पेशेवर लोगों की आमदनी में बढ़ोतरी हो रही है, इससे यह भी आस बढ़ती है कि विकास परियोजनाओं एवं कल्याणकारी कार्यक्रमों के सरकार के पास समुचित पूंजी उपलब्ध है. सनद रहे कि अर्थव्यवस्था को गति देने में सरकारी पूंजी व्यय की बड़ी भूमिका रही है. कर संग्रहण बढ़ाने में पिछले कुछ वर्षों के कराधान प्रणाली में सुधार तथा तकनीक के अधिक उपयोग का बड़ा योगदान रहा है. इन उपायों से पारदर्शिता बढ़ी है तथा कर देने में आसानी हुई है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें