13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

सखुआ के पत्ते पर पाइका नृत्य के साथ आदिवासी सामाजिक दस्तावेज का विमोचन, बोंगा से मांगा आशीर्वाद

केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष अजय तिर्की ने कहा कि आदिवासी समाज को एकजुट करना और उन्हें जागरूक करना केवल आदिवासियों की समस्याओं के समाधान के लिए ही जरूरी नहीं है, बल्कि झारखंड की प्रगति के लिए भी यह एक वैसा मामला है, जिसका कोई विकल्प नहीं है.

एकजुट होकर लड़कर अपना अधिकार लेने के संकल्प के साथ राजधानी के मोरहाबादी मैदान में आदिवासी जनाधिकार मंच ने बुधवार (24 जनवरी) को आदिवासी सामाजिक दस्तावेज का विमोचन किया. मंच ने संकल्प लिया कि चार फरवरी को आयोजित होनेवाली महारैली को सफल बनाने के लिए सघन जनसंपर्क अभियान चलेगा. इस दस्तावेज में आदिवासियों के सामाजिक, आर्थिक एवं संवैधानिक मुद्दों पर चिंतन की पहल की गयी है. आदिवासी सामाजिक दस्तावेज विमोचन समारोह को संबोधित करते हुए प्रभाकर तिर्की ने कहा कि आदिवासियों के साथ ही आदिवासी एवं मूलवासी हितों के प्रति समर्पित प्रत्येक संवेदनशील व्यक्ति को संविधान में मिले आदिवासियों के अधिकार और उसके संरक्षण पर गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि रैली के माध्यम से आदिवासियों के मुद्दे को जनता के बीच ले जाया जायेगा और इसी सामाजिक चिंतन के साथ दस्तावेज तैयार किया गया है, जिसका एकमात्र उद्देश्य सच को सामने लाना और आदिवासियों की एकता स्थापित करना है.

आदिवासी विस्थापन के लिए मजबूर

केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष अजय तिर्की ने कहा कि आदिवासी समाज को एकजुट करना और उन्हें जागरूक करना केवल आदिवासियों की समस्याओं के समाधान के लिए ही जरूरी नहीं है, बल्कि झारखंड की प्रगति के लिए भी यह एक वैसा मामला है, जिसका कोई भी विकल्प नहीं है. प्रेम शाही मुंडा ने कहा कि छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार आने के बाद वहां के जंगल काटे जा रहे हैं. आदिवासी विस्थापन के लिए मजबूर हैं. उन्होंने कहा कि महारैली की सफलता के साथ-साथ आदिवासियों की विकट समस्याओं के समाधान के लिए भी यह जरूरी है कि आदिवासी समुदाय के साथ-साथ मूलवासी और आदिवासियों के प्रति संवेदनशील प्रत्येक व्यक्ति एकजुट हो. उन्होंने कहा कि ऐसा होने पर ही आदिवासियों के साथ-साथ झारखंड की दशा-दिशा भी तय होगी.

Also Read: बंधु तिर्की बोले- ऐतिहासिक होगी चार फरवरी की आदिवासी एकता महारैली, लाखों लोग होंगे शामिल
सरना व ईसाई आदिवासियों को लड़ाने की हो रही कोशिश

दयामनी बारला ने कहा कि झारखंड के संसाधनों को लूटने का बहुत ज्यादा प्रयास हो रहा है. पहले भी इसे लूटा गया. अगर आदिवासी और मूलवासी एकजुट नहीं हुए होते, तो यह संसाधन भी नहीं बच पाता. इसलिए इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है. रमा खलखो ने कहा कि साजिश के तहत सरना एवं ईसाई आदिवासियों को लड़ाने की कोशिश हो रही है. उन्होंने कहा कि आदिवासियों के अधिकार छीनने की कोशिश की जा रही है. रतन तिर्की ने कहा कि आदिवासियों के सभी ज्वलंत मुद्दों एवं उनकी वर्तमान स्थिति के संदर्भ में दस्तावेज में विस्तार से बताया गया है. यह वर्तमान परिस्थितियों की गंभीरता बताने के लिए काफी है.

Also Read: आदिवासी संगठनों ने किया राजभवन मार्च, दी चेतावनी- केंद्र और इडी का रवैया न बदला, तो चलेंगे तीर-धनुष
आदिवासी एकता महारैली स्वर्णिम अवसर

रिटायर्ड आईपीएस हरि नारायण महली ने कहा कि आदिवासियों को अधिकार से वंचित किया जाना गंभीर चिंता की बात है. मोनालिसा लकड़ा ने कहा कि एकता से ही आदिवासी अपने लक्ष्य को हासिल कर पाएंगे. चार फरवरी को आयोजित आदिवासी एकता महारैली स्वर्णिम अवसर है. यदि अब भी आदिवासी गंभीर नहीं हुए, तो इसका खामियाजा लंबे समय तक भुगतना पड़ेगा. समारोह में अजय तिर्की, प्रभाकर तिर्की, रमा खलखो, प्रेम शाही मुंडा, रतन तिर्की, दयामनी बारला, प्रेमचंद मुर्मू, प्रकाश तिर्की, मोनालिसा लकड़ा, हरि नारायण महली, सुषमा बिरुली, महादेव टोप्पो, दिनेश उरांव, शंकर धान, जगदीश लोहरा, मनसा लोहरा, शिवा कच्छप सहित अनेक लोग उपस्थित थे.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें