शकील अख्तर, रांची : ‘सांसद आदर्श ग्राम योजना’ के तहत राज्य के आठ जिलों में एक भी योजना पूरी नहीं हुई है. इनमें बोकारो, चतरा, धनबाद, दुमका, गिरिडीह, हजारीबाग, खूंटी और पश्चिम सिंहभूम शामिल हैं. इन आठों जिलों में से चार में तो ‘सांसद आदर्श ग्राम योजना’ के तहत एक भी योजना नहीं ली गयी थी. ‘सांसद आदर्श ग्राम योजना’ के तहत हर सांसद को 2024 तक अपने-अपने क्षेत्र की पांच ग्राम पंचायतों को चुन कर उन्हें विकसित करना था. इन चुनी गयी ग्राम पंचायतों को कुछ इस तरह विकसित करना था, ताकि दूसरी ग्राम पंचायतें इससे प्रेरित हो सकें. योजना को दो चरणों में पूरा करना था. पहला चरण 2014-18 और दूसरा चरण 2019-24 निर्धारित किया गया था. पहले चरण की उपलब्धि 70 प्रतिशत रही, जबकि दूसरे चरण में अब तक की उपलब्धि सिर्फ 36.60 प्रतिशत ही है.
दूसरे चरण में योजनाओं की सुस्त चाल
राज्य सरकार के आंकड़ों के अनुसार, ‘सांसद आदर्श ग्राम योजना’ के पहले चरण(2014-18) में कुल 4187 योजनाएं ली गयी थीं, जिनमें से 3098 योजनाएं पूरी कर ली गयी थीं. दूसरे चरण(2019-24) में 3725 योजनाएं ली गयीं, जिनमें से सिर्फ 1377 योजनाएं ही पूरी की जा सकी हैं. 376 योजनाओं का काम प्रगति पर है, लेकिन 1972 योजनाओं का काम शुरू ही नहीं किया जा सका है. पहले चरण में सभी ग्राम पंचायतों ने ग्राम विकास योजना (वीडीपी) तैयार कर उसे अपलोड किया. हालांकि, दूसरे चरण में चार जिलों- बोकारो, दुमका, खूंटी और पश्चिम सिंहभूम ने वीडीपी अपलोड नहीं की गयी. शेष चार जिलों- चतरा, धनबाद, गिरिडीह और हजारीबाग ने वीडीपी अपलोड कर योजनाओं का चयन भी किया, लेकिन एक भी योजना शुरू नहीं की. दूसरे चरण में गिरिडीह जिले में सबसे ज्यादा 770 योजनाओं का चयन किया गया, लेकिन एक भी योजना शुरू नहीं हो सकी.
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