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गुमला: नवरत्नगढ़ किला के समीप होगी खुदाई, रहस्य से उठेगा परदा

दरअसल, यह नौ मंजिला भवन फिलहाल में तीन मंजिला भवन ही नजर आता है. कुछ लोग कहते हैं कि छह भवन जमींदोज हो गया है. इसलिए अभी जमीन के ऊपर मात्र तीन मंजिला भवन ही नजर आता है.

दुर्जय पासवान, गुमला

विश्व धरोहर नवरत्नगढ़ के जिस नौ मंजिला भवन में नागवंशी राजा रानी रहते थे. उस भवन के समीप पुरातत्व विभाग खुदाई करेगा. ताकि 355 सालों राजा रानी कितने मंजिला भवन में रहते थे. इस रहस्य से परदा उठ सके. गुमला से 32 किमी दूर सिसई प्रखंड के नगर गांव में नवरत्नगढ़ है, जिसे डोयसागढ़ भी कहा जाता है. पुरातत्व विभाग झारखंड नवरत्नगढ़ के वर्षो पुराने रहस्य से परदा उठाने पर लगा हुआ है. अभी पुरातत्व विभाग द्वारा नवरत्नगढ़ के अलग-अलग हिस्सों में खुदाई कर जमीन के नीचे दबे महल, जगरनाथ मंदिर, भवन, छिपने के सुरंग को खोजने में लगा हुआ है. लेकिन अभी भी जिस नौ मंजिला महल में राजा रानी रहते थे. उस रहस्य से परदा नहीं उठा है.

क्योंकि, कलांतार में जब इस क्षेत्र से नागवंशी राजाओं का शासन खत्म हुआ, तो नवरत्नगढ़ का अधिकांश हिस्सा जमींदोज हो गया था. अभी जिस नौ मंजिला भवन के नाम पर इस प्राचीन धरोहर को हम नवरत्नगढ़ के नाम से जानते हैं. दरअसल, यह नौ मंजिला भवन फिलहाल में तीन मंजिला भवन ही नजर आता है. कुछ लोग कहते हैं कि छह भवन जमींदोज हो गया है. इसलिए अभी जमीन के ऊपर मात्र तीन मंजिला भवन ही नजर आता है. परंतु, पुरातत्व विभाग की माने तो जबतक इसकी खुदाई नहीं होती है. यह स्पष्ट नहीं कहा जा सकता है कि राजा रानी का भवन नौ मंजिला था या फिर पांच-छह मंजिला भवन था.

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हालांकि, अलग-अलग स्थानों पर पुरातत्व विभाग द्वारा कराये गये खुदाई के अनुसार अबतक जमीन के अंदर से जो भवन व मंदिर का हिस्सा मिला है. उसपर नजर डालने से लगता है कि यहां नौ मंजिला भवन नहीं है. बल्कि जिसे हम नौ मंजिला भवन समझ रहे हैं. वह पांच मंजिला भवन है. पुरातत्व विभाग के मो अजहर सब्बीर ने बताया कि 2024 के अप्रैल माह के बाद जिस लोग नौ मंजिला भवन समझ रहे हैं. वहां पास खुदाई होगा, ताकि नौ मंजिला भवन की सच्चाई पता चल सके. हालांकि, पुरातत्व विभाग की जांच से यह पता चला है कि वहां नौ मंजिला नहीं, बल्कि पांच मंजिला भवन था. पुरातत्व विभाग के अनुसार अभी तीन मंजिला भवन नजर आता है जो खंडहर है. हर एक मंजिला भवन में नौ कमरा है. आशंका व्यक्त की जा रही है कि इसी नौ कमरे के कारण इसे नवरत्नगढ़ का किला कहा जाता है.

नागवंशी राजाओं ने 355 सालों तक शासन किया है

नागपुरी कवि सह लेखक नारायण दास बैरागी ने बताया है कि गुमला जिले में 1571 से लेकर 1925 तक 16 नागवंशी राजा हुए, जिनका शासनकाल 355 सालों तक रहा है. इसमें 193 सालों तक सिसई प्रखंड के नवरत्नगढ़ जिसे डोयसागढ़ भी कहते हैं. यहां छह नागवंशी राजाओं ने शासन किया. डोयसागढ़ के बाद नागवंशी राजा अपनी राजधानी पालकोट प्रखंड के लालगढ़ ले गये. पालकोट में 162 सालों तक नागवंशी राजाओं की राजधानी रही है. श्री बैरागी कहते हैं कि 355 सालों तक नागवंशी राजा गुमला में शासन किये.

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