पटना. हाई कोर्ट ने प्राथमिकी दर्ज होने के चार माह के बाद भी लापता/अपहृत बच्चे की बरामदगी नहीं हो पाने पर दायर किए गए याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट ने पटना के एसएसपी को कहा की वह तीन दिनों के भीतर याचिकाकर्ता के साथ उपस्थित हो कर व्यक्तिगत रूप से उपलब्ध वीडियो क्लिप को देखें. न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद की एकलपीठ ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए उक्त निर्देश दिया. कोर्ट ने कहा कि वीडियो क्लिप और अन्य सामग्रियों को देखने के बाद एसएसपी एक रणनीति बनाएंगे कि इस मामले में कैसे आगे बढ़कर पीड़ित लड़की का पता लगाया जाए और दोषियों को पकड़ा जाए. कोर्ट ने कहा कि सभी संदिग्धों से पूरी तरह से पूछताछ व जांच कठोरता के साथ की जाने की आवश्यकता है.
चार माह बीत जाने के बावजूद कुछ नहीं किया गया
याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया कि अगर अपहरण के चार माह के भीतर अपहृत की बरामदगी नहीं होती है तो उस मामले को राज्य के मानव तस्करी विरोधी इकाई को भेजना हैं ताकि अपहृत बच्चे की बरामदगी के लिए अत्यधिक गहन जांच की जा सकें. उनका कहना था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को एक दिशा निर्देश जारी किया है लेकिन आवेदक की पुत्री के गायब होने के प्राथमिकी दर्ज होंने के चार माह बीत जाने के बावजूद कुछ नहीं किया गया.
प्रशासन की ओर से लगाये गए कैमरे ख़राब
याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है कि आस-पास के स्थानों पर प्रशासन की ओर से लगाये गए कैमरे ख़राब और निष्क्रिय पड़े होने के कारण पुलिस कुछ नहीं कर रही हैं. पास के एक दुकान के कैमरे से पाया गया है कि पीड़ित लड़की अपने कोचिंग संस्थान से लौट रही थी और सड़क पार करते समय अचानक एक इनोवा कार उसके पास रुकी और उसके बाद उसका पता नहीं चल सका. यह याचिका गोला रोड स्थित गोल कोचिंग इंस्टीट्यूट से कोचिंग क्लास कर घर वापस लौटते समय नाबालिग छात्रा का अपहरण या लापता हुई बच्ची के पिता की ओर से दायर की गई है. इस मामले को लेकर राजधानी पटना के रूपसपुर थाना कांड संख्या 815/23 दर्ज है.