राजेश गुप्ता, लोहरदगा:
लोहरदगा के भंडरा प्रखंड क्षेत्र में रोजगार की कमी से मजदूर पलायन करने को विवश हैं. बेरोजगारी इतनी बढ़ गयी है कि लोगों को आसपास काम या धंधा कर आजीविका चलाना मुश्किल हो रहा है. मजबूरन लोग बिहार, बंगाल, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, नेपाल सहित अन्य राज्यों में पलायन कर गये हैं. क्षेत्र के लोग मेहनती हैं. जिसके कारण इन्हें हर जगह काम मिलता है. ईंट भट्ठा से लेकर फैक्ट्री में काम मिल जाता है. पहले लोग ईंट भट्ठा में परिवार के साथ रहकर काम कर आजीविका चलाते थे. परंतु इन दिनों क्षेत्र के मजदूरों का आकर्षण कंपनियों या फैक्ट्री में काम करने पर बढ़ा है. जहां इन्हें अच्छी मजदूरी मिल जाती है. साथ ही रहने सहित अन्य सुविधाएं भी मिल जाती है. धान की फसल काटने के बाद अधिकतर मजदूर पलायन कर चुके हैं.
भंडरा प्रखंड क्षेत्र में 14993 परिवार मनरेगा के तहत रजिस्टर्ड हैं. जिसमें 35768 श्रमिक हैं. रजिस्टर्ड परिवारों में से 123 परिवार को ही वर्ष 2023-24 में 100 दिन काम मिला है. आकाशी पंचायत में 1515 परिवार रजिस्टर्ड हैं. जिसमें 3873 श्रमिक हैं. इनमें से छह परिवार को ही 100 दिन काम मिला. बड़ागई पंचायत में 1761 परिवार मनरेगा के तहत रजिस्टर्ड हैं. जिसमें 4098 श्रमिक हैं. जिसमें मात्र एक परिवार को 100 दिन का काम मिला. भंडरा पंचायत में 1379 रजिस्टर्ड परिवार में 3450 श्रमिक हैं. इनमें 37 परिवार को ही 100 दिन का काम मिला. भारो पंचायत में 1766 परिवार रजिस्टर्ड हैं. जिसमें 3872 श्रमिक हैं. रजिस्टर्ड परिवार में से छह परिवार को 100 दिन का काम मिला. भीठा पंचायत में 1314 परिवार रजिस्टर्ड हैं. जिसमें 3764 श्रमिक रजिस्टर्ड हैं. रजिस्टर्ड परिवार में से 15 परिवार को ही 100 दिन काम मिला.
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गडरपो पंचायत में 1848 परिवार रजिस्टर्ड हैं. जिसमें 3764 श्रमिक हैं. रजिस्टर्ड परिवार में से 22 परिवार को ही 100 दिन का काम मिला है. जमगई पंचायत में 1619 परिवार रजिस्टर्ड हैं. जिसमें 4171 श्रमिक हैं. इस पंचायत में 100 दिन का काम किसी रजिस्टर्ड परिवार को नहीं मिल पाया है. मसमानों पंचायत में 1551 परिवार रजिस्टर्ड हैं. जिसमें 3807 श्रमिक हैं. रजिस्टर्ड परिवारों में से 13 परिवार को 100 दिन का काम मिला है. उदरंगी पंचायत में 2024 परिवार निबंधित हैं. जिसमें 4813 श्रमिक हैं. निबंधित परिवारों में से 23 परिवारों को 100 दिन का काम मिला है. इस प्रकार देखा जाये तो मनरेगा के तहत निबंधित श्रमिकों को औसत से कम काम मिला है. इसे भी पलायन का प्रमुख कारण माना जा रहा है.